आठ महीने के बच्चों का आहार चार्ट
बच्चे के आठवे महीने में कदम रखते ही माँ के सामने नयी चुनौतियाँ खड़ी हो जाती हैं !!!
आपका बच्चा अब घुटने के बल सरकने लगेगा, हर समय कुछ नया खोजने की कोशिश करेगा । यह वो समय है जब वह खाने से अधिक चम्मच से खेलना पसंद करेगा ,हर समय चीजों को इधर-उधर फेंकना पसंद करेगा , और भी नयी नयी शरारत सीखेगा !!!
आठ महीने का होते होते आपका बच्चा बिना किसी सहारे के कुछ मिनिट सीधा बैठ सकेगा और अपनी नन्ही नन्ही उँगलियों और अंगूठे से चीज़ों पे अपनी पकड़ बनाना सीख गया होगा।
यह सही समय है आपके बच्चे को इस प्रकार का आहार देने का जिसे वो आसानी से हाथ में पकड़ कर खा सके। इससे उसे अपने खाने के आकार, प्रकार, स्वाद को पहचानने में मदद मिलेगी।
यह सही समय है आपके बच्चे को इस प्रकार का आहार देने का जिसे वो आसानी से हाथ में पकड़ कर खा सके। इससे उसे अपने खाने के आकार, प्रकार, स्वाद को पहचानने में मदद मिलेगी।
बच्चे के आठ महीने का होने के बाद आप उसे कुछ नए प्रकार का भोजन भी देना शुरू कर सकतीं हैं जैसे की –
- अंडे का पीला भाग
- चिकन
- चीज़
- दही
- टोफू
- फूल गोभी
- ब्रोकली
- कीवी
- मछली
- ब्रेड स्टिक्स
नोट: आप इस बात को लेकर हैरान हो सकतीं हैं कि बच्चे को एक साल की उम्र तक गाय के दूध के लिए मना किया जाता है लेकिन दही और चीज़ दे सकते है। इसका कारण यह है की चीज़ और दही में लाक्टोस टूट जाता है इसलिए वो पचने में आसान होते हैं। और इसलिए बिना किसी खतरे के ब्रेस्टमिल्क की जगह दिए जा सकते हैं।
अपने छोटे बच्चे को ठोस आहार देने से पहले क्या जरूरी होता है यह जानने के लिए यहाँ देखें
जब भी बच्चे को कोई नया स्वाद या आहार दें तो हमेशा तीन दिन वाले नियम का ध्यान रखें ।
मैं अपने बच्चे को फिंगर फूड कब दूँ ?
- जब बच्चा सीधा बैठना शुरू कर दे ;
- बच्चा मुंह के खाने को जीभ से या किसी भी प्रकार से मुंह से बाहर न फेंक सके
- बच्चे के हाथ में पकड़ में मजबूती आ गई हो जिससे वो किसी भी खाने की चीज को आसानी से पकड़ कर खा सके ।
- जब बच्चे के हाथों और आँखों में समन्वय स्थापित हो जाता है तो वो खाने की चीज को स्वयं भी उठा कर खाने का प्रयत्न करते हैं।
कैसे शुरू करें :
1. बच्चे को खाना खिलाने से पहले मेज के साथ वाली एक ऊंची कुर्सी पर बैठा दें जिससे बच्चे के खाने खाते समय जो बिखेरेगा, उसे नियंत्रित किया जा सकता है और शिशु को भी खाने से खेलने के लिए पूरी जगह भी मिल सकेगी।
2. बच्चे को किस प्रकार का आहार दें ?
वैसे तो शिशु विशेषज्ञ बच्चे को वही खाना देने की सिफ़ारिश करते हैं जो आप स्वयं खाते हैं, लेकिन भारतीय भोजन में विभिन्नता होने के कारण यह हर समय संभव नहीं होता है, क्यूंकी कुछ प्रकार के आहार बच्चे के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं।
जब बच्चे को इस प्रकार का भोजन देना हो तो उबली हुए सब्जियों को लंबाई में काट कर दिया जा सकता है। फलों (सेब, नाशपाति)के टुकड़ों को एक समान काटकर भी दिया जा सकता है। इसके अलावा चावल से बनी स्टिक्स , अनाज से भरे चम्मच या इससे मिलती जुलती चीजें इस प्रकार बच्चों को दी जा सकती हैं।
3. बच्चे खाना खाते समय बहुत गिराते हैं, इसलिए इस तरह की परेशानी के लिए तैयार रहें।
4. जब आपका लाड़ला अपने आप खाना खाने की कोशिश कर रहा हो तो इस समय खड़े होकर उसे निहारने की जगह आप उसकी इस काम में मदद करें। उसके नाजुक हाथों को मुँह की ओर ले जाने में उसकी मदद करें।
5. छोटे बच्चे को स्वाद की पहचान करवाने के लिए उसे एक दिन में एक ही प्रकार का आहार दें। जैसे यदि आपने एक दिन सेब दिया है तो अगले दिन नाशपाती दें। अगर दोनों फल एक साथ दिये तो बहुत संभव है की बच्चा दोनों में से किसी भी स्वाद का आनंद न ले सके।
6. जहां तक संभव हो, बच्चे को फास्ट फूड और अधिक नमक-चीनी वाला आहार खाने को न दें।
7. बच्चे के खाने के समय को घड़ी के कांटे से न तोलें, बल्कि बच्चे की भूख के इशारों को समझें, जब उन्हें भूख लगे तभी उन्हें खाने के लिए दें। इसके साथ स्तनपान भी जारी रखें।
8. बच्चे को खाने के लिए जब किसी चीज का टुकड़ा दें तो वह बिलकुल ही छोटा न हो, क्यूंकी ऐसे टुकड़े को बच्चा अपने दांते से काटने के लिए पकड़ नहीं सकता। इसलिए जब भी उसके लिए कोई खाने की चीज को काटें तो उसका आकार और साइज़ ऐसा हो जिसे बच्चा हाथ से पकड़ कर आसानी से अपने मुँह में ले सके।
9. बच्चे को खाना खिलाते समय धैर्य से काम लें। हो सकता है की आप अपना समय बचाने के लिए सारा भोजन जल्दी-जल्दी उसके मुँह में देना ठीक नहीं है ।
10. अगर बच्चे ने किसी खाने को मना कर दिया है तो कुछ समय बाद फिर से उसे देने का प्रयास करें ।
11. जब आपका बच्चा खाना खा रहा हो तो उसके आस-पास ही रहें, ऐसा न हो खाते समय उसके गले में कुछ फंस जाएँ ।
8 महीने के बच्चे के खाने का चार्ट
मैंने 8 माह के बच्चे के खाने लायक एक चार्ट का निर्माण किया है जिसके अनुसार बच्चे को थोड़ा भारी खाना भी दिया जा सकता है। इसलिए आप इसी क्रम का अनुसरण करें :
बच्चे को भोजन निम्न समय के आधार पर दिया जा सकता है ;
सुबह का नाश्ता – सुबह 9 बजे
सुबह का छोटा नाश्ता – 11 बजे
दोपहर का खाना – 1 बजे
दोपहर बाद का नाश्ता – 4 बजे
रात का खाना – 7 से 9 बजे रात को
यदि बच्चे को भूख लगे तो इस समय के बीच में भी स्तनपान करवा सकतीं हैं। क्यूंकी इससे बच्चे को मुख्य रूप से शक्ति और पोषण मिलता है।
सप्ताह 1:
दिन | सुबह का नाश्ता | सुबह का छोटा नाश्ता | दोपहर का भोजन | दोपहर बाद का नाश्ता | रात का खाना |
सोमवार | उबला डोसा | सब्जियों का सूप | सादी खिचड़ी | फल FF | घर का बना सेरेलेक |
मंगलवार | सूजी खीर | उबला अंडा/पीला भाग/ FF | सादा पोंगल | अंगूर जूस | ओट्स दलिया |
बुधवार | इडली | सेब की सौस | गाजर खिचड़ी | वेज FF | गेहूं बादाम दलिया |
वीरवार | सादा चीला | ब्रेड स्टिक्स | सादे घी चावल | चीकू प्यूरी | सूजी दलिया |
शुक्रवार | चावल अनाज | वेज FF | स्वाद वाला पोंगल | केला प्यूरी | ओट्स सेब दलिया |
शनिवार | गेहूं की खीर | आम दही | वेजीटेबल खिचड़ी | फल FF | पोंगल |
रविवार | केला चीला | उबला अंडा/पीला भाग/ FF | टमाटर खिचड़ी | वेज FF | ब्राउन राइस पोंगल |
सप्ताह 2:
दिन | सुबह का नाश्ता | सुबह का छोटा नाश्ता | दोपहर का भोजन | दोपहर बाद का नाश्ता | रात का खाना |
सोमवार | रागी दलिया | चीज़ | कद्दू खिचड़ी | फल FF | गेहूं का दलिया |
मंगलवार | सेब का चीला | तला हुआ अंडा/ पीला भाग/ब्रेड FF | मीठा पोंगल | वेज FF | सादी खिचड़ी |
बुधवार | ओट्स खीर | सेब दही | घी मिर्च चावल | ब्रेड स्टिक्स | उबला डोसा |
वीरवार | घर का बना चावल दलिया | चिकन/सब्जी सूप | पालक खिचड़ी | फल FF | घर का बना सेरेलेक |
शुक्रवार | सादा चीला | चीज़ स्टिक | मसाला पोंगल | वेज FF | मसली हुई रोटी |
शनिवार | ओट्स केला चीला | सादा दही | आलू खिचड़ी | फल FF | गेहूं दलिया |
रविवार | टोफू | उबला चिकन/ वेज FF | वेजीटेबल राइस | ब्रेड स्टिक्स | इडली |
सप्ताह 3:
दिन | सुबह का नाश्ता | सुबह का छोटा नाश्ता | दोपहर का भोजन | दोपहर बाद का नाश्ता | रात का खाना |
सोमवार | रागी शीरा | गाजर की पकौड़ी | सादी खिचड़ी | ब्रेड स्टिक्स | जौ का दलिया |
मंगलवार | घर का बना सेरेलेक | मिर्च वाला अंडा/ फल FF | पालक खिचड़ी | टमाटर जूस | उबला डोसा |
बुधवार | गेहूं का चीला | अरबी FF | अंडा योक चावल | सीरियल स्नेक बार | मिश्रित आटे की रोटी |
वीरवार | ओट्स दलिया | फल FF | घी चावल | टमाटर जूस | सूजी का दलिया |
शुक्रवार | रागी डोसा | चिकन/सब्जी सूप | मिक्स्ड़ वेज खिचड़ी | फल FF | साबुदाना दलिया |
शनिवार | छोटी इडली | स्वाद वाला दही | स्वाद वाला पोंगल | तली फूलगोभी | ओट्स दलिया |
रविवार | सादा चीला | चीज़ | लौकी खिचड़ी | रागी लड्डू | सादी खिचड़ी |
सप्ताह 4:
दिन | सुबह का नाश्ता | सुबह का छोटा नाश्ता | दोपहर का भोजन | दोपहर बाद का नाश्ता | रात का खाना |
सोमवार | सादा पास्ता | फल FF | टमाटर खिचड़ी | लौकी प्यूरी | तिरंगी इडली |
मंगलवार | वेज डोसा | तरबूज स्मूदी | मसाला पोंगल | पालक सूप | ओट्स दलिया |
बुधवार | रागी केक | चीज़ | कद्दू खिचड़ी | अवाकादो प्यूरी | घर का बना चावल अनाज |
वीरवार | केला चीला | तला हुआ अंडा/ पीला भाग/ वेज FF | चिकन/ सादे चावल | वेज स्टॉक | सूजी खीर |
शुक्रवार | घर का बना सेरेलेक | फल दही | पेठा खिचड़ी | गाजर की खीर | गेहूं बादाम दलिया |
शनिवार | फल ओट्स दलिया | चिकन फ्राई / फल FF | मीठा पोंगल | सेब स्मूदी | बच्चों के लिए मसाला दोसा |
रविवार | बिना अंडे का चीला | चुकंदर हलवा | वेजीटेबल खिचड़ी | चीज़ | वेज खिचड़ी |
ध्यान दें : FF का अर्थ फिंगर फूड और पेनकेक हमेशा साबुत गेहूं पेनकेक होते हैं
जब बच्चे को हाथ में पकड़ने के लिए खाने को दे रहे हैं तो शुरू में 2 या 3 टुकड़े दें और बाद में धीरे-धीरे उसकी मात्रा को बढ़ा दें। इस बात की उम्मीद न करें की नन्हा बालक हाथ में लेते ही सब कुछ तुरंत खत्म कर देगा, बल्कि वह पहले धीरे-धीरे स्वाद को पसंद करके ही उसे खाना शुरू करता है।
आप बच्चे के भोजन की सूची को प्रिंट करवा के भी रख सकतीं हैं।
आप अपने बच्चे के लिए “बेबी फूड डायरी” भी बना सकतीं हैं जिसमें उसकी पसंद और नापसंद के आहार की सूची के साथ ही उसे किस प्रकार के भोजन से एलर्जी है, यह भी नोट करके रख सकतीं हैं ।
फिंगर फूड के रूप में आप क्या दे सकतीं है – वेजीटेबल फिंगर फूड, फ्रूट फिंगर फूड
मैं पूरे माह के लिए बनाए जा सक्ने वाले आहार की रेसिपी को भविषय में समय-समय पर देती रहूँगी, इसके लिए कृपया मुझे गूगल+ ट्विटर, पिंटरेस्ट, या My Little Moppet के फेसबुक पेज को नियमित रूप से देखती रहें ।
जो रेसिपी पहले पोस्ट की जा चुकी हैं उसके लिए रेसिपी इंडेक्स के इस लिंक पर देखें
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यहाँ दी गई जानकारी केवल सूचना के उद्देशय से तैयार की गई है और यह किसी भी प्रकार की चिकित्सकीय सलाह का स्थान नहीं लेती है। आपको अपने बच्चे के भोजन संबंधी सलाह के लिए शिशु विशेषज्ञों से ही सलाह लेनी चाहिए ।
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