विश्व के हर कोने में अनाज के साथ ही चावल भी बराबर की मात्रा में खाया जाता है। भारत में भी यह स्थिति भिन्न नहीं है। यहाँ भी हर प्रांत और राज्य के लोग चावल को गेंहु जितना ही पसंद करते हैं। क्या आप धुआँ और खुशबू छोड़ती पुलाव की प्लेट को नज़रअंदाज़ कर सकतीं हैं? ? चावल से बनने वाले बहुत व्यंजन लगभग सम्पूर्ण भारत में खाये और पसंद किए जाते हैं। जिनमें दाल-चावल, दही-चावल और खिचड़ी-पुलाव आदि मुख्य रूप से पसंद किए जाते हैं। चावल के व्यंजनों की यही विविधता छोटे बच्चों की माँ के लिए वरदान होती है। दूधमुहें बच्चे को दूध छुड़ाने के समय चावल से बने व्यंजन ,अच्छे ठोस आहार के रूप सामने आते हैं। इतना होने पर भी लगभग हर माँ इस संबंध में निर्णय नहीं ले पाती हैं। Chote Bachon Ko Chaval देने का निर्णय उनके लिए सरल नहीं होता है।
इसके अलावा आजकल चावल की भी विभिन्न किस्में बाजार में उपलब्ध हैं। यही विभिन्नता भी माँ के सामने असमंजस की स्थिति उत्पन्न कर देती है। जब Chote Bachon Ko Chaval देने की बात आती है तो वो इस संबंध में निर्णय नहीं ले पाती हैं, की बच्चों को कौन से चावल दिये जाएँ।
Chote Bachon Ko Chaval: एक अनोखा चयन
छह महीने के बाद जब बच्चों को ठोस आहार की शुरुआत होती है तो चावल एक पसंदीदा भोजन होता है। लेकिन बाज़ार में विभिन्न प्रकार के चावल सबके लिए उपलब्ध हैं। यह विभिन्नता छोटे बच्चों की माँ के सामने विभिन्न प्रश्न रखती है। उनमें से सबसे पहला है की Chote Bahchchon Ko Chaval कौन से दिये जाएँ। आइये देखते हैं की आज भारतीय बाज़ारों में कितने प्रकार के चावल खाने के लिए उपलब्ध हैं?अगर विकिपीडिया की मानें तो भारत में लगभग 74 प्रकार के चावल बाज़ार में उपलब्ध हैं। जबकि खाद्य विशेषज्ञों की रिपोर्टें तो इससे भी आगे हैं। इनके मतानुसार स्थानीय रूप से इस संख्या से भी अधिक चावल भारतीय बाज़ार में पाये जाते हैं। इसी कारण इन सबके बारे में पता करना और पोषण संबंधी जानकारी लेना कोई आसान काम नहीं है।
छोटे बच्चों को कौन सा चावल दिया जा सकता है:
इस परिस्थिति में छह महीने के शिशु की माँ ठोस आहार का निर्णय कैसे ले सकती है। Chote Bahchchon Ko Chaval देने के लिए उपयुक्त किस्म का निर्धारन सरलता से कैसे किया जाए, यह माँ के सामने सवाल होता है। इसके लिए आप अपने बच्चे को वही चावल दें, जो आपका परिवार खाता है। विभिन्न शोध रिपोर्ट में यह सिद्ध हो चुका है की, बच्चा गर्भकाल में ही अपनी पसंद की पहचान कर लेता है। इसलिए वह उस स्वाद को पहचानता है जो आप लोग पहले से ही खा रहे हैं। इसके अतिरिक्त हमारा शरीर, स्थानीय वातावरण के अनुकूल स्वाभाविक रूप से उपलब्ध भोजन को स्वीकार कर चुका होता है। इसलिए आप अपने दैनिक जीवन में जो चावल खातीं हैं, छोटे बच्चे को भी वही चावल दें।
दक्षिण भारत की निवासी होने के कारण हमारे घर में पोननी उबला हुआ चावल प्रयोग में आता है। इसी कारण जब मेरी बिटिया को ठोस आहार के रूप में चावल का सूप देना था तो मैंने इसी नियम का पालन किया था। आप भी इसी प्रकार अपनी समस्या का हल कर सकतीं हैं। एक बार जब आपका नन्हा-मुन्ना, दिये जाने वाले चावल का आदि हो जाये, तो आप धीरे-धीरे उसे दूसरी किस्म का चावल भी दे सकतीं हैं।
भारत में मिलने वाले सामान्य चावल :
आपकी सुविधा के लिए यहाँ भारत में उपलब्ध विभिन्न चावलों की क़िस्मों से परिचय करवाते हैं।आमतौर पर भारतीय बाज़ार में जो चावल उपलब्ध हैं, वो इस प्रकार हैं:
कच्चे सफ़ेद चावल :
भारत में परंपरा से सफ़ेद चावल ही हर प्रकार के भोजन में प्रयोग होते आ रहे हैं। यह चावल न केवल आसानी से पक जाते हैं बल्कि, छोटे बच्चे इन्हें आसानी से पचा भी लेते हैं। सादे बने हुए सफ़ेद चावल, किसी भी प्यूरी के साथ मिलाकर दिये जा सकते हैं। यह प्यूरी फल या सब्जी की हो सकती है। इसके अलावा दाल, चिकन या फिश के साथ भी सादे चावल दिये जा सकते हैं।
आधे उबले सफ़ेद चावल :
कुछ लोग इन चावलों को इनके नाम जैसा ही मानते हैं। जबकि ऐसा बिलकुल नहीं है। दरअसल, इन चावलों का छिलका उतार कर, इन्हें थोड़ा गर्म किया जाता है। इस प्रक्रिया में चावलों में निहित पोषण तत्व जैसे कैल्शियम, पोटेशियम और विटामिन बी 6 बने रहें, इस बात का पूरा ख्याल रखा जाता है। इसी कारण यह सामान्य चावलों से थोड़े अच्छे माने जाते हैं। आधे उबले चावलों में फाइबर की मात्रा भी बहुत अच्छी होती है। इसी कारण Chote Bahchchon Ko Chaval देते समय, यह चावल एक अच्छी पसंद हो सकते हैं। इन चावलों से बनी खिचड़ी या दही चावल बच्चे शौक से खा सकते हैं।
ब्राउन राइस:
दरअसल ब्राउन राइस, सफ़ेद चावलों का कच्चा रूप होता है। इसमें सफ़ेद चावलों की तुलना में 67% अधिक न्यूट्रीएंट, फाइबर और फैटी एसिड होते है। इसके अतिरिक्त इनमें सभी ज़रूरी विटामिन जैसे बी1, बी3 और बी 6 भी प्रचुर मात्रा में होते हैं। मैग्निशियम, सेलेनियम और मैगनीज भी अच्छी मात्रा में होते हैं। हालांकि ब्राउन राइस को पकने में समय लगता है। लेकिन इन्हें खाने से छोटे बच्चों का पेट अधिक समय तक भरा रहता है। सफ़ेद चावलों से बनने वाले सभी व्यंजन ब्राउन राइस के साथ भी बनाए जा सकते हैं। ब्राउन राइस का स्वाद, सफ़ेद चावलों जैसा नहीं, बल्कि इससे भिन्न होता है।
लाल चावल:
दक्षिण भारत के केरल प्रदेश में मुख्य रूप से उपलबद्ध यह चावल हल्के लाल-भूरे रंग का होता है। इसमें आयरन और एंटी ऑक्सीडेंट की प्रचुर मात्रा होती है। इस कारण यह शरीर की सूजन और एलर्जी को कम करने में लाभकारी होते हैं। कैल्शियम, मैग्निशियम और सेलेनियम तथा ज़िंक के गुणों से भरपूर होने के कारण यह पौष्टिककारी भोजन माना जाता है। लाल चावल, शेष सभी चावलों से अधिक समय पकने के लिए लेता है। इसलिए इन्हें हमेशा प्रेशर कुकर में ही पकाना चाहिए। खिचड़ी बनाने के लिए इन चावलों का उपयोग अच्छा रहता है। इनकी प्रकृति के कारण कुछ बच्चे इन्हें खा कर बदहज़मी की शिकायत कर सकते हैं। इसलिए लाल चावल को आठ महीने से अधिक के बच्चे को ही देना चाहिए।
जीरा सांबा चावल:
दक्षिण भारत के व्यंजनों में जीरा सांबा चावल का अधिकतम प्रयोग होता है। विशेषकर दक्षिण भारतीय बिरयानी में यही चावल इस्तेमाल होता है। इस चावल का नाम इसके आकार का जीरा से मिलने के कारण है। अच्छा सुगंधित चावल होने के कारण दावती व्यंजनों में यह खूब पसंद किया जाता है। इसमें वो सभी पौष्टिक गुण होते हैं जो सफ़ेद चावलों में होते हैं। सफ़ेद चावलों की ही भांति यह चावल भी जल्दी पक जाता है। Chote Bahchchon Ko Chaval की खिचड़ी सरलता से बन सकती है। इसके अलावा यदि आप चाहें तो नारियल के दूध के साथ मिलाकर भी इन चावलों को पका लें। बच्चे शौक से इसे पसंद करेंगे।
बासमती चावल:
बासमती चावल, विश्व में भारतीय सभ्यता की पहचान है। प्राचीन काल से बासमती चावल अपने लंबे आकार, खुशबू और दावती व्यंजन होने की पहचान को बनाए हुए हैं। बासमती चावल में अन्य चावलों की तुलना में 20% अधिक फाइबर पाया जाता है। इसे पकने में अधिक समय नहीं लगता है। इसके अतिरिक्त बासमती चावल पकने के बाद घुलता नहीं है,जिसके कारण थोड़े बड़े बच्चों के लिए यह उपयुक्त भोजन हो सकता है। बड़ों के साथ ही हर उम्र के बच्चे भी बासमती चावल शौक से खाते हैं। इन चावलों से बनी खीर, किसी भी मौके की शान बढ़ाने के लिए काफी होती है ।
काला चावल:
अधिकतर लोग शायद काले चावल के बारे में अधिक नहीं जानते हैं। इसका मुख्य कारण है की यह चावल भारत में आसाम के अतिरिक्त कहीं अधिक नहीं पाया जाता है। लेकिन अब भारत के अन्य राज्यों के बड़े स्टोर में भी यह चावल पाया जाता है। आयरन, विटामिन ई, फाइबर और एंटीओक्सीडेंट से भरपूर काला चावल अब अनेक घरों की रसोई तक पहुँच गया है।
छोटे बच्चों के लिए चावल रेसिपी:
नन्हें-मुन्नों के ठोस आहार की श्रेणी में चावल सबसे अधिक पसंदीदा आहार माना जाता है। यदि आप एक वर्ष से कम आयु के Chote Bahchchon Ko Chaval की कोई डिश बना रहीं हैं तो उसमें नमक, चीनी या गाय का दूध न मिलाएँ। आपकी सुविधा के लिए यहाँ चावल से बनाई जा सक्ने वाली रेसिपी दी गई हैं:
- चावल सूप
- चावल दलिया
- ब्राउन राइस दलिया
- घी चावल
- दही चावल
- सेब खिचड़ी
- सादी खिचड़ी
- टमाटर खिचड़ी
- वेजीटेबल खिचड़ी
- गाजर खिचड़ी
- पालक खिचड़ी
इन सभी के अतिरिक्त आप चावल से तुरंत बनाई जा सकने वाली रेसिपी भी बना सकतीं हैं। इसमें ओर्गेनिक राइस दलिया, ओर्गेनिक ब्राउन राइस दलिया, तुरंत बनने वाली अरहर दाल चावल खिचड़ी,सोया चावल दलिया पाउडर और तुरंत बनने वाली मूंग दाल खिचड़ी भी बना सकतीं हैं।
छह महीने के बाद बच्चों को दलिया-खिचड़ी दी जा सकती है। इनकी 10 दलिया रेसिपी आप यहाँ से देख सकती हैं।
उम्मीद है आपको यह लेख और जानकारी पसंद आई होगी, ऐसी ही और पालन पोषण संबंधी अधिक जानकारी के लिए हमसे फेसबुक पर जुड़ें
प्रातिक्रिया दे