एक छोटे से बच्चे की माँ बनने के बाद आप यह सोचती होंगी की एक वर्ष तक बच्चे को नमक और चीनी क्यूँ नहीं देनी चाहिए ? यह प्रश्न तब और अधिक आपको परेशान करता होगा जब आप अपने बच्चे के दूध को कम करके उसका ठोस आहार शुरू करने का प्रयत्न कर रहीं हों।
कुछ दिन पहले एक सखी जो कुछ ही समय पहले माँ बनी थी, ईमेल करके पूछा “क्या मैं अपने बच्चे के आहार में नमक मिला सकती हूँ”? इस तरह के अनेक प्रश्न मैं लगभग रोज ही मुझे ईमेल के माध्यम से पूछे जाते हैं। काम की व्यस्तता के कारण , इन प्रश्नों का जवाब “जब तक बच्चा एक वर्ष का न हो जाये, उसे नमक नहीं देना चाहिए” मैं छोटे से उत्तर के रूप में देती थी। तब उत्सुक माँ फौरन अगला सवाल एक वर्ष तक बच्चे को नमक का चीनी न देने का कारण पूछने के लिए करतीं हैं।
दरअसल आधुनिक माएँ अपने बच्चे के लालन-पालन में इतनी जागरूक हैं की वे केवल संक्षिप्त उत्तर से संतुष्ट नहीं होती हैं बल्कि अपनी जागरूकता को संतुष्ट करने के लिए विस्तृत जानकारी की शोध करने में भी पीछे नहीं रहतीं हैं। तो इस स्थिति में उनके लिए यह काम मैंने स्वयं करने का प्रयत्न किया और आज के लेख में यह बताने का प्रयत्न किया है की छोटे बच्चे को एक वर्ष की आयु तक नमक और चीनी क्यूँ नहीं देना चाहिए।
एक वर्ष तक बच्चे को नमक क्यूँ नहीं देनी चाहिए?
आइये आपको इस बारें में कुछ मूलभूत तथ्यों को बताएं :
“आपको ऐसा क्यूँ लगता है की आपके बच्चे को उसके आहार में नमक देना चाहिए ?”
शायद आप यह सोचती हैं की नमक के बिना भोजन बेस्वाद होता है इसलिए आपका छोटा बच्चा दूध के बिना पहला भोजन खाने से मना कर रहा है।
क्या आप जानती हैं की यह गलती लगभग हर माँ यह गलती करतीं हैं, दरअसल छोटे बच्चे खाने को इसलिए मना करते हैं क्यूंकी उन्हें स्तनपान की आदत होती है और उन्हें पेट भरने का यह नया तरीका पसंद नहीं आता है।
जब बच्चे छह माह की आयु तक केवल स्तनपान से ही अपने भोजन की जरूरत को पूरा करते हैं और उन्हें इस आयु तक नमक के स्वाद का पता नहीं है तो उन्हें इतनी जल्दी नमक देना भी नहीं चाहिए।
यह तो प्रकृति का नियम है की जिस वस्तु का अनुभव ही न किया हो उसकी कमी को भी महसूस नहीं किया जा सकता है। छोटे बच्चे भी इस नियम का अपवाद नहीं हैं।
बच्चों के खाने में नमक मिलाने का क्या नुकसान हो सकता है :
क्या आप जानतीं हैं की एक बच्चे को एक दिन में 1 ग्राम (0.4 ग्राम सोडियम) की जरूरत होती है और यह स्तनपान या डिब्बे के दूध रूपी आहार से पूरी हो जाती है। इसलिए इस मात्रा से अधिक का नमक छोटे बच्चों की किडनी पर बोझ बन जाता है जिसके कारण किडनी ठीक से काम करने में असमर्थ रहती है। इससे जहां एक ओर छोटे बच्चों को किडनी की समस्या शुरू हो सकती हैं वहीं वयस्कता में उच्च तनाव की समस्या भी शुरू हो जाती है। इसके अलावा बचपन में नमक की अधिक मात्रा ओस्टिओप्रोसिस, हृदय संबंधी परेशानियाँ और सांस से जुड़ी बीमारियाँ भी हो सकतीं हैं।¹
SACN² के अनुसार नवजात शिशु और छोटे बच्चो में नमक की आवश्यकता निम्न मात्रा के अनुसार होती है :
आयु अधिकतम नमक की मात्रा
0-6 माह < 1 ग्राम (0.4g सोडियम)
6-12 माह < 1 ग्राम (0. 4g सोडियम)
1-3 वर्ष 2 ग्राम (0.8g सोडियम)
4-6 वर्ष 3 ग्राम (1.2g सोडियम)
7-10 वर्ष 5 ग्राम (2 g सोडियम)
11 वर्ष और इससे अधिक 6 ग्राम (2.4 सोडियम)
हालांकि कुछ लोग बच्चों के भोजन में चुटकी भर नमक मिलाने की सलाह देते हैं लेकिन यह भी उतना ही नुकसानदेह होता है।
शरीर के आकार के अनुसार चुटकी की मात्रा में भी अंतर आ सकता है। एक गणना के अनुसार एक चुटकी में ¼ ग्राम नमक होता है।
यदि एक चुटकी नमक एक दिन के तीन समय के भोजन में मिलाया जाए तो लगभग यह 0.75 ग्राम से अधिक हो सकता है जो स्तनपान या डिब्बे के दूध से मिलने वाले नमक से अतिरिक्त होता है जिसे बच्चा एक दिन में लेता है।
यदि आप बच्चे के खाने में कुछ स्वाद मिलाना चाहतीं हैं तो उसकी आयु के अनुसार उसमें कोई मसाला मिला सकतीं हैं।
“बच्चों के खाने में कब, कैसे और कौन सा मसाला मिलाएँ ” जानने के लिए यहाँ देखें
यह कैसे पता करें की बाज़ार में मिलने वाला बच्चों के आहार में कितना नमक है ?
जबकी हम सभी अपने बच्चों के लिए घर का बना हुआ खाना देना ही पसंद करते हैं लेकिन कुछ स्थितियाँ ऐसी हो सकतीं हैं जब यह भोजन देना संभव नहीं होता है, जैसे यात्रा आदि की स्थिति में, तब हमें बाजार में मिलने वाले भोजन पर निर्भर रहना पड़ता है।
न केवल नवजात बच्चों बल्कि छोटे बच्चों के लिए भी बाज़ार के खाने में नमक की मात्रा अधिक हो सकती है इसलिए उनके लिए भोजन का चयन सावधानी से करें ।
नमक की मात्रा की गणना आमतौर पर सोडियम की मात्रा के आधार पर की जाती है। एक मोटे अनुमान के अनुसार यदि 100 ग्राम नमक में 0.6 ग्राम सोडियम होता है³ तो उसे उच्च नमक वाली स्थिति माना जाता है। इसलिए आप 2.5 सोडियम की मात्रा के गुणक के आधार पर नमक की मात्रा ज्ञात कर सकतीं हैं।
एक वर्ष तक की आयु तक चीनी क्यूँ नहीं देनी चाहिए ?
भारतीय समाज में अनेक माएँ यह सोचतीं हैं की बच्चों को चीनी नहीं देनी है इसलिए उन्हें कुछ भी मीठा नहीं देना है और इस प्रकार नन्हें बच्चे कुछ पोशाक फलों से भी वंचित हो जाते हैं।
इस बात का ध्यान रखें की चीनी से तात्पर्य “सफ़ेद शुद्ध चीनी” से होता है इसलिए मीठे के रूप में प्राकृतिक फल और उनसे मिलने वाले मीठे स्वाद को बच्चों को देने से नहीं रोकना चाहिए।
एक वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए चीनी क्यूँ नुकसानदेह है ?
- चीनी को शुद्ध करने के दौरान विभिन्न रसयानों और रासयानिक प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है जो छोटे बच्चों के लिए नुकसानदेह होता है।
- अधिक चीनी खाने से बच्चों के दांतों को नुकसान हो सकता है।
- चीनी की अधिक मात्रा बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी कमी लाती है।
- यह तथ्य विभिन्न शोध में भी सिद्ध हो चुका है की जो बच्चे अधिक चीनी खाते हैं उन्हें हृदय संबंधी बीमारी, मोटापा और मधुमेह इत्यादि परेशानी हो सकती है।
बच्चों के आहार के लिए मीठे के स्थान पर क्या लें ?
हालांकि नवजात शिशु को प्रतिदिन मीठे की जरूरत नहीं होती है, लेकिन यदि आप चाहें तो उनके लिए बनी खीर, दलिया, बच्चों के लिए बने केक और मिष्ठान्न में प्राकृतिक मीठा मिला सकतीं हैं।
बच्चों के भोजन के लिए प्राकृतिक मीठा क्या है :
- बच्चों के भोजन को मीठा करने के लिए उसमें फलों को मिलाया जा सकता है।
- आठ माह के बाद खजूर का शर्बत दिया जा सकता है।
- एक वर्ष की आयू के बाद शहद से भी भोजन को मीठा किया जा सकता है।
बच्चों के आहार को मीठा करने के लिए और अधिक प्राकृतिक मीठे के लिए यहाँ देखें
उम्मीद है की बच्चों को नमक और चीनी के संबंध में जो संदेह थे वो अब दूर हो गए होंगे। अगर इसके अतिरिक्त कुछ और जानना है तो नीचे कमेन्ट करके अपना प्रश्न पूछे और मैं उसका उत्तर दूँगी।
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संदर्भ :
- World Action on Salt / Salt and Children Health
- Scientific Advisor Commission on Nutrition gov.uk
- How much salt do babies and children need? NHS
- Effects of salt overload on Kidneys
- Harmful effects of Sugar
धीरेन्द्र says
बच्चा ३ माह का हो गया है। मा का दूध पर्याप्त नहीं मिल रहा और डिब्बे का दूध उसे पसंद नहीं आता है। क्या डिब्बे के दूध में शहद या मिश्री मिला सकते है और क्या उपाय कर सकते है की बच्चे को पर्याप्त दूध मिल पाए
Hindi MyLittleMoppet says
धीरेन्द्र जी
बच्चे को एक साल से पहले शहद देना बहुत ही खतरनाक हो सकता है। बच्चे को छोटे छोटे अंतराल पर माँ का दूध पिलाते रहे ऐसा करने से ज्यादा दूध बनना शुरू होगा। अगर फार्मूला मिल्क दे रहे है और बच्चा नहीं पी रहा तो ब्रांड बदल के देखें। खाद्य सामग्री जो स्तनों मैं दूध की मात्रा बढ़ाते हैं
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हेमा