शिशुओं और बच्चों की मस्तिष्क शक्ति के विकास में वृद्धि के 19 आसान उपाय : बच्चे के जन्म के समय मस्तिष्क ही ऐसा मुख्य अंग है जो पूरी तरह विकसित नही होता। शुरुआती तीन वर्षों में बच्चे के मस्तिष्क में असाधारण बदलाव होते है।इसलिए इन दिनों में बच्चे का पालन-पोषण उसका दिमागी विकास निर्धारित करता है। एक अभिभावक के तौर पर बच्चे के पालन का सही तरीका अपनाना बहुत ही आसान है जो उसकी मस्तिष्क शक्ति का सही विकास कर सके। निम्नलिखित शिशुओं और बच्चों की मस्तिष्क शक्ति के विकास में वृद्धि के 19 आसान उपाय को सीख कर और अपना कर आप बच्चे के मानसिक,व्यवहारिक, सामाजिक और बौद्धिक विकास को सुनिश्चित कर सकती हैं।
शिशुओं और बच्चों की मस्तिष्क शक्ति के विकास में वृद्धि के 19 आसान उपाय
1)बच्चे की हर बात पर बड़े प्रेम से प्रतिक्रिया दें :
बच्चे को रोने देना उसके फ़ेफ़डे मजबूत नहीं करेगा,यह उसके दिमाग मे अनावश्यक तनाव उत्पन्न करेगा।यदि आप अपने बच्चे की ज़रूरतों पर लगातार ध्यान दे रही है तो यकीन मानिए आप उसके प्रति अपना प्रेम ज़ाहिर करने से भी अधिक महत्वपूर्ण काम कर रही है।उसके दिमागी विकास के लिए मजबूत आधार तैयार कर रही हैं।
2) उन्हें आपके स्पर्श की शक्ति दीजिए :
स्पर्श का एहसास बच्चे में सुरक्षा का भाव उत्पन्न करता है।यह अहसास उसके मानसिक और भावनात्मक पहलुओं को मजबूत करता है।स्पर्श की शक्ति को असरकारक बनाने का सबसे आसान तरीका है बच्चे को गोद मे उठाना और बाहों में समेटे रहना।केवल तब ही नहीं जब वह रोता है,बल्कि कभी कभी यूँ ही।
3)उनसे ढेर सारी अच्छी-अच्छी बातें कीजिये :
वर्षों के शोध में यह बात स्पष्ट साबित हुई है कि बच्चे से बातें करना उनके आई. क्यू. और भविष्य में उनके शैक्षिक प्रदर्शन को सीधे तौर पर प्रभावित करता है।इसलिए अपने बच्चे से ढेर सारी अच्छी-अच्छी बातें कीजिये।
4)स्तनपान :
बच्चे जितने अधिक समय तक स्तनपान करते है,जीवन मे उतनी ही अधिक उपलब्धिया हासिल करते है। माँ का दूध बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता और आत्मविश्वास मजबूत करने में सहायक है।इसीलिए स्तनपान बहुत अनिवार्य है।
5)ऊँची आवाज़ में पढ़ें :
पढ़ाई का महत्व आप अच्छे से जानती है। इसलिए अपने बच्चे में पढ़ने की आदत डालिये। किताबें और रंगीन सुंदर चित्र ज्यादातर समय उसकी नज़रों के सामने होने चाहिए। उसे किताबें ऊँची आवाज़ में पढ़कर सुनाइये। आपकी देखा देखी वह भी किताबों के प्रति आकर्षित होगा।
6) थोड़ी थकान अच्छी है :
शारीरिक गतिविधियों का मानसिक विकास पर सीधा प्रभाव होता है। अपने बच्चे के साथ खेलें, उसके साथ मस्ती करें।उसे दौड़ायें। थोड़ी थकान होने दें।
7)कुछ नयापन प्रस्तुत करें :
शोध बताते है कि बच्चे की खेल में खिलौनों का शामिल होना उसके बौद्धिक विकास में सहायक हैं।हर बार नए खिलोने खरीदने के बजाय घरेलू चीज़ों को भी खिलौनों की तरह उपयोग किया जा सकता है।
8)उन्हें सीखने योग्य खेलों में व्यस्त रखें:
ऐसे खेल जो बच्चों को अपनी इन्द्रियाँ जैसे छूना,सूंघना,चखना,देखना और सुनना,इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित करते है,कोशिश करें बच्चे ऐसे खेलों में व्यस्त रहें।
9)नाटकीय खेलों के लिए प्रोत्साहित करें,घर के छोटे-छोटे कामों में उनसे सहायता लें:
यदि आपकी बच्ची गुड़िया की शादी रचा रही है या आपके बच्चे का घोड़ा रेस में भाग ले रहा है,अर्थात वे नाटकीय खेलों में शामिल है। ऐसे खेल बच्चों की कल्पना शक्ति को मजबूत बनाते है,भाषा शैली और सामाजिकता के गुण निखारते हैं।घर के छोटे-छोटे काम भी वे इस तरह के खेलों के रूप में लेंगें।
10)स्क्रीन के सामने बिताये समय का सावधानी से इस्तेमाल करें :
टीवी, कप्यूटर या मोबाइल जैसे इलेक्ट्रॉनिक चीजों का ज़्यादा इस्तेमाल बच्चों के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए इनका इस्तेमाल सीमित होना चाहिए।यह भी निश्चित करें कि प्रोग्राम आयु के मुताबिक, धीमी गति से और अहिंसक हो।
11) सरल,दैनिक क्रियाकलापों के द्वारा नई चीजें सिखाएं :
तीन साल से कम उम्र की बच्चों को सीखने के लिए क्लास रूम जैसे माहौल की ज़रूरत नही होती। दैनिक क्रियाकलाप और चीज़े बच्चों को मूलभूत बातें सिखाने के प्रर्याप्त अवसर देते हैं।जैसे रंग पहचानना या गिनती करना।
12)उन्हें कहानी कहने के लिए प्रोत्साहित करें :
जब बच्चा कहानी कहता है तब उसका पूरा मस्तिष्क काम कर रहा होता है। इसलिए उसके मानसिक विकास के लिए ज़रूरी है कि जब वह बोलने लगे,उसे कहानी सुनाने के लिए प्रोत्साहित करें। उससे बिताये दिन का वृत्तांत सुने।
13)सक्रिय संगीत के लिए नींव तैयार करें :
बच्चे को संगीत का आनंद लेना सिखाये। मस्तिष्क के सुकून के लिए यह बहुत ज़रूरी है। उसके साथ गायें। रिदम के साथ हाथ लहरायें। संगीत कितना मनोरंजक है,उसे यह सिखायें।
14)उनकी पूरी नींद सुनिश्चित करें :
नींद शक्ति का ऐसा स्रोत है जो मस्तिष्क को शांत सचेत और पुनः तरोताजा कर देता है। ध्यान रहे कि बच्चा पूरी नींद ले। उसके सोते वक्त कोई ऐसी हरकत न हो जो उसकी नींद खराब करे।
15)निश्चित दिनचर्या निर्धारित करें :
निश्चित दिनचर्या बच्चे में आत्मविश्वास पैदा करती है । इसलिए निश्चित दिनचर्या का सख्ती से पालन अनिवार्य है। इसका मतलब सब काम घड़ी के मुताबिक करना नहीं है।आशय यह है कि बच्चे को एक अनुमानित रिदम मिले।
16)बच्चे की देखभाल का दायित्व सही हाथों में हो :
बच्चे के मस्तिष्क विकास के लिए ज़रूरी है कि ज़रूरत पड़ने पर कोई व्यक्ति सदा उसके साथ रहे। यदि आप कामकाजी महिला हैं और बच्चे को अपना पूरा समय नही दे पाती तो चाइल्ड केअर चुनने में बहुत सावधानी बरतनी होगी।
17)अपने पति से झगड़ा होने पर बच्चे के सामने पुनः सुलह कर लें :
पति-पत्नी में झगड़ा होना स्वाभाविक बात है। किन्तु यह ध्यान रहे कि इस बात का बुरा असर आपके बच्चे पर ना पड़े।झगड़ा हो हाने पर बच्चे के सामने पुनः समझौता भी कर ले।इससे वह मतभेदों के समाधान का महत्वपूर्ण जीवन पाठ सीखेगा।
18) बच्चों की भावनात्मक बुद्धि विकसित करें :
बच्चे की खुशी और सफ़लता इस बात पर निर्भर करती है कि भावनात्मक रूप से वह कितना मजबूत है। और उसे मजबूत बनाने की ज़िम्मेदारी आपकी है।
19)स्वयं के दिमागी विकास पर भी ध्यान दें :
बच्चे का मस्तिष्क अपने अभिभावक के मस्तिष्क का प्रतिबिंब ही होता है।वह वही सीखता है जो देखता है।इसलिए अभिभावक के मस्तिष्क का विकास भी ज़रूरी है।
तो अब आप जानती हैं क्या करना है। ये शिशुओं और बच्चों की मस्तिष्क शक्ति के विकास में वृद्धि के 19 आसान उपाय की फेहरिस्त एक नज़र में थोड़ी लंबी ज़रूर लग सकती है किंतु सब आसान चीज़े है जिन्हें अपनाकर आप अपने बच्चे की मानसिक सेहत को दृढ़ कर सकेगीं ।
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