भारत में इस समय बारिश के सुहाने मौसम का दौर है।कहीं रिमझिम तो कहीं मूसलाधार वर्षा धरती भिगाने में जुटी है।मानसून के मौसम का ये सुहानापन अपने साथ ढेर सारी खुशियां तो लाता है किंतु साथ ही लाता है आद्रता, मच्छर और हवा में कई तरह के संक्रमण से उपजी बीमारियाँ जो नन्ने शिशुओं और बच्चों की सेहत के लिए हानिकारक साबित हो सकती हैं। और ऐसी स्थिति में माओं की अपने बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर चिंताएं बढ़ना स्वाभाविक सी बात है। किन्तु बरसात के मौसम को चिंताएं बढ़ाने नहीं बल्कि आनंद का जरिया बनाने के उपाय किये जाने चाहिए।इसके लिए ज़रूरी है थोड़ी सी सावधानी और उचित देखभाल। ये निम्नलिखित बारिश के मौसम में बच्चों को होने वाली बीमारियों से बचाव के उपाय अपना कर आप अपने और अपने बच्चे के स्वास्थ्य की और से निश्चिंत हो कर इस बारिश के सुहाने मौसम का भरपूर लुत्फ ले सकती हैं।
बारिश के मौसम में बच्चों को होने वाली बीमारियों से बचाव के उपाय
1)बच्चे को सूखा एवं साफ रखें :
बरसात के मौसम में शिशुओं की साफ सफाई का ख्याल रखा जाना बहुत ज़रूरी है। नमी के कारण शिशु की नाजुक त्वचा के संक्रमित होने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं। अतः उन्हें दिन में दो बार साफ गुनगुने पानी से नहलाकर साफ तौलिये से अच्छी तरह पोछना चाहिए। शिशु के बगल, गर्दन के आसपास, गुप्तांग और अन्य सभी जोड़ो का विशेष ख्याल रखना आवश्यक है।इस बात का भी ध्यान रखें कि शिशु के पास जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के कपड़े तथा हाथ साफ हों और उसे कोई संक्रमण या बीमारी ना हो।
2) उन्हें आरामदायक कपड़े पहनायें :
बरसात के मौसम में जलवायु में त्वरित बदलाव निरंतर चलता ही रहता है। गर्मी और उमस भरा मौसम अचानक से सर्दी और नमी भरे मोसम में परिवर्तित हो जाता है। बच्चे को आरामदायक सूती कपड़े पहनायें जो उन्हें उमस भरे माहौल में सहज महसूस कराए।पर साथ ही कोई ऊनी स्वेटर या जैकेट सदा साथ में रखें जो सर्द मौसम से बच्चे के बचाव में उपयोगी हो। ध्यान रहे बच्चे के कपड़े पूरी तरह से सूखे होने चाहिए।अन्यथा नमी की वजह से त्वचा से संबंधित संक्रमण होने की आशंकाएं रहती हैं।
3)मच्छरों को बच्चे से दूर रखें :
मानसून मच्छरों का हिमायती है।मच्छरों के पनपने के लिए जो माहौल सबसे अनुकूल होता है, मानसून उन्हें ऐसा माहौल सुलभता से मुहैया करवा देता है।ऐसे में मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियां फैलने की संभावनाएं सबसे अधिक होती है। अतः बच्चों का मच्छरों से बचाव अत्यंत अनिवार्य हो जाता है। मच्छरदानी का उपयोग, बच्चों को पूरी बाँह के कपड़े पहनाना,घर मे या घर के आसपास गंदा पानी जमा नहीं होने देना ऐसे कुछ उपाय है जो मददगार साबित हो सकते है।घर की सफाई के दौरान पोछा लगाने के लिए सिट्रोनेला तेल का इस्तेमाल भी कर सकती हैं। यह मच्छरों को दूर रखने का प्राकृतिक उपाय है।
4)बच्चे को बीमार लोगों से दूर रखें :
वायरल बुखार बरसात में आम तौर पर होने वाली बीमारियों में से है। और यह बीमारी संक्रामक भी है।अतः ऐसे किसी भी व्यक्ति से जिसे यह बीमारी है या कोई फ्लू है, बच्चे को दूर रखें।अपने परिवार के सदस्यों से बच्चे को छूने से पहले अच्छी तरह हाथ धोने और सेनेटाइजर का इस्तेमाल करने का आग्रह करें।
5)भीड़ भरी जगहों से दूर रहें :
भीड़ भरी जगहें जैसे बाज़ार या शॉपिंग मॉल किटाणुओं के लिए सबसे सुलभ स्थान होता है। बच्चों में किसी तरह की बीमारी होने का खतरा भीड़ बड़ी जगहों पर ज़्यादा होता है क्योकि एक विकसित व्यक्ति की तुलना में बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर होती है। अतः बरसात के मौसम में भीड़ भरी जगहों पर बच्चों को ले जाने से बचना चाहिए।या ऐसे समय जाएं जब भीड़ कम होने की संभावनाएं ज़्यादा हो।
6) अपने और अपने बच्चे के हाथ नियमित रूप से धुलायें :
सभी तरह के हाथ धुलाई जागरूकता कार्यक्रमों का एक उद्देश्य होता है कि रोगों और संक्रमणों से बचाव का तरीका यही है कि नियमित रूप से हाथों को साबुन से धोया जाये। गंदे डाइपर को छूने के बाद या खासकर कहीं बाहर से घर आने के बाद हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोयें और घर में बड़े बच्चों को भी ऐसा करने की सलाह दें ताकि जब वे बेबी के पास रहें तो उसे बीमारी होने का खतरा न हो।
7) बच्चे को हमेशा उबला पानी ही पिलायें :
यह बिल्कुल गाँठ बांध लें कि अपने पीने के लिए और बच्चे को पिलाने के लिए उबला पानी ही ठंडा कर इस्तेमाल करेंगी।पेट संबंधी बीमारी या डायरिया का खतरा बरसात के मौसम में सबसे अधिक होता है । ये बीमारियाँ दूषित पानी के सेवन से होती है। पानी उबाल लेने से उसमे मौजूद कीटाणु और बेक्टिरिया नष्ट हो जाते है। इसलिए डॉक्टर्स बरसात में उबले पानी के सेवन की सलाह देते हैं।
8)फलों और सब्जियों को धोकर उनका सेवन करें:
ख्याल रखे कि अधपके फल या कच्ची सब्जियाँ बच्चे के आहार में शामिल ना हों खासतौर पर घर से बाहर खाने पर। घर पर फलों और सब्जियों के इस्तेमाल से पहले उन्हें पानी में एक चम्मच नमक मिलाकर अच्छे से धोयें।
9) पहली बारिश में भीगने से बचें :
बारिश में भीगना किसे पसंद नहीं । और खासकर बच्चों में बारिश में भीगने की उत्सुकता सबसे ज़्यादा होती है। किंतु पहली बारिश में अम्लीयता अधिक होती है जो बच्चे की नाज़ुक त्वचा के लिए हानिकारक हो सकती है। इसलिए स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से पहली बारिश में भीगना उचित नहीं। स्वयं भी बचें और बच्चों को भी ऐसा करने से मना करें।
बारिश के मौसम में बच्चों को होने वाली बीमारियों से बचाव के उपाय और युक्तियां बहुत ही सरल है, आसानी से अमल में लायी जा सकती है और अत्यंत प्रभावशाली हैं। इनके इस्तेमाल के परिणामों से आप स्वयं चकित हो जाएंगी। इन आसान उपायों को अपनाकर इस बार बरसात के मौसम में स्वयं भी स्वस्थ रहें और अपने अंश अपने बच्चे को भी स्वस्थ रखें। परिवार स्वस्थ होता है तो बरसात का मौसम और भी आनंदमयी,सुकून भरा और सुहाना हो जाता है।यदि बारिश की हर बूंद में सेहत की झलक दिखने लगे तो इससे बड़ी खुशी और क्या होगी। इस बार बरसात चिंताएं नहीं निश्चिंतता और हर्षवृद्धि की सौगात लेकर आएगी।
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