स्तनपान माँ और बच्चे के लिए बहुत जरुरी है लेकिन कई बार इसमें माओं को कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस ब्लॉग में हम स्तनपान के दौरान होने वाली आम समस्याएं उनके समाधान के बारे में बात करेंगे।
“स्तनपान यानि कि ब्रेस्टफ़ीडिंग मा के द्वारा अपने आप को,अपने बच्चे को और पृथ्वी को दिया जाने वाला सबसे बडा उपहार है।” – पामेला के विगिन्स
उपरोक्त उद्धरण मे ब्रेस्टफ़ीडिंग से सबसे ज़्यादा लाभ जिसे मिलता है – वह है माँ . जी हा , वलर्ड ब्रेस्टफ़ीडिंग सप्ताह मे , हर कोई स्तनपान से होने वाले लाभों के बारे में बात कर रहा है . हम भी इस बात से पूरी तरह सहमत हैं, लेकिन स्तनपान के दौरान होने वाली से होने वाली समस्याओं के बारे मे कोई बात नही करना चाहता है.
स्तनपान बिल्कुल प्राकृतिक प्रक्रिया है लेकिन हम मे से बहुत लोग ऐसे है जो इस बारे बढा चढा कर बाते करते है . वैसे, इसमें कोई संदेह नहीं है कि स्तनपान यानि कि ब्रेस्टफ़ीडिंग बच्चे के लिए प्राकृतिक है, लेकिन ये माँ के लिए भी उतना ही प्राकर्तिक हो यह ज़रूरी तो नहीं. माँ के लिए स्तनपान के सफर बेहतर बनाने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता होती है और उसे थोडी पीडा भी झेलनी पड सकती है . दुर्भाग्यवश कई माओ को ब्रेस्टफ़ीडिंग खुद से ही या अपने दम पर करवानी पड़ती है क्युकि भारत मे अभी भी लैक्टेशॅन काउंसलर की कमी है . और जब आपके सभी रिश्तेदार अपनी अपनी सलाह देना शुरु करते हैं तो आप और भी दुविधा मे पड सकती है .
कई मामलो मे मा को ब्रेस्टफ़ीडिंग छुडवानी पड सकती है या शिशु को ठोस आहार जल्दी देने शुरु करने पड सकते है जिनमें से कोई भी बच्चे के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। ब्रेस्टफ़ीडिंग कराने वाली माँ की समस्यायों के बारे मे हमे अधिक बातचीत करनी चाहिए इसी लिए हम यहाँ नयी मा को स्तनपान के दौरान होने वाली आम समस्याएं और उनके समाधान के बारे मे बात करने जा रहे है .
स्तनपान के दौरान होने वाली आम समस्याएं और उनका समाधान
1. स्तनपान के दौरान निप्पल में दर्द की समस्या (Painful latch)
यह संभवतः नई माओं की सबसे बड़ी समस्या और सबसे अधिक हतोत्साहित या निराश करने वाली समस्या है . जर्नल पीडियाट्रिक्स द्वारा किये गये अध्ययन में पाया गया है कि 54% माताओं को स्तनपान के दौरान निप्पल में दर्द की समस्या की समस्या होती है और इसी वजह से वे ब्रेस्टफ़ीडिंग छुडवाना चाहती हैं .
बस अपने निप्पल को बच्चे के मुंह में डालना उचित लैच या पकड सुनिश्चित नहीं करता है I एक सही लैच के लिए, न केवल निप्पल, बल्कि एरोला का एक बड़ा हिस्सा बच्चे के मुंह में होना चाहिए। बच्चे का मुंह शुरुआत में चौड़ा होना चाहिए। उसके होंठों बाहर की तरफ होने चाहिए, और निप्पल उसके मुंह के भीतर गहराइ तक होना चाहिए I इससे सुनिश्चित होता है कि निप्पल पर कोई ज़्यादा दबाव तो नहीं है। एरोला का एक बड़ा हिस्सा बच्चे के मुंह में होने से वह ग्रंथियों से ज़्यादा दूध पी सकता है .
अब भले ही आप अपनी तरफ़ से सब कुछ ठीक कर रहे है लेकिन अगर फिर भी शिशु की लैच सही नही है तो, उसे लिप या टंग टाई ( बच्चे की जीभ का तालु से जुड़ जाना) हो सकती है। इसके लिए शिशु को डॉक्टर के पास ले जाये I सर्जिकल प्रक्रिया द्वारा इसे आसानी से बिल्कुल ठीक किया जा सकता है.
शिशु स्तनपान यानि कि ब्रेस्ट फ़ीड करने की नैचुरल प्रवृत्ति के साथ पैदा होते है। जब एक नवजात शिशु को जन्म के एक घंटे के भीतर उसकी मां के पेट पर लिटाया जाता है, तो वह गंध द्वारा आकर्षित होकर, अपने आप को ब्रेस्ट तक पहुँच जाता है। वह इधर–उधर देखता है, अपना अंगूठा चूसता है और अंत में निप्पल को अपने मुँह में डालता है और चूसने लगता है। है न आश्चर्यजनक !
2.स्तनों में दूध की वृद्धि (Engorged Breasts)
जन्म के बाद कुछ दिनों में ही , माँ को लगता है की उनके स्तन दूध से भर गए है। यह बच्चे के लिए तो बहुत अच्छी खबर है, जबकि यह सब माँ के लिए बहुत कठिन हो सकता है! एक तरफ़ दर्द तो दूसरी तरफ़ निपल्स का चपटा यानि कि फ़्लैट हो जाना जिससे शिशु को इन्हे मुह मे डालने मे परेशानी हो सकती है। आपके स्तन दूध से भरे हुयी है फिर भी आपका शिशु भूख से चिल्ला रहा है, इससे ज़्यादा परेशान करने वाली बात कोई और हो सकती है क्या !
पत्ता गोभी के पत्ते स्तनों के इस दर्द से छुटकारा दिलाने का पारम्परिक उपाय है। यदि आप को बहुत ज़्यादा दर्द नही हो रहा है तो आप ब्रेस्ट की थोड़ी मालिश भी कर सकते हैं . सबसे अच्छा तरीका है कि ब्रेस्ट को नरम बनाने के लिए ब्रेस्ट पंप का इस्तेमाल कर के आप थोडा दूध निकाल लिजिये ताकि बच्चा आसानी से फ़ीड ले सके .
3.स्तनों में संक्रमण (Mastitis)
यह एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है जो कि त्वचा में दरार होने की वजह से बच्चे के मुंह से आपको हो सकता है . इसमे आपको तेज़ बुखार, कंपकंपी और दर्द रहता है . अगर सही समय पर डॉक्टर से परामर्श न लिया जाये तो ये कॉम्प्लीकेटेड् हो सकता है . हॉट कंप्रेस कुछ के लिए तो सही रहता है लेकिन सब के लिए नहीं, इसलिए डॉक्टरी से परामर्श लेना आवश्यक है।
और अच्छी बात यह है कि आप फिर भी अपने बच्चे को ब्रेस्ट फ़ीड दे सकती हैं। अपने बच्चे को फ़ीड ज़रूर दे लेकिन अगर यह बहुत दर्दनाक है, तो अपने दूध को पंप की सहायता से निकाले . बच्चे को पंप करके दूध तब तक पिलाएं जब तक कि संक्रमण खत्म न हो जाए और आप फिर से उसे ब्रेस्ट फ़ीड दे सकें।
4 .थ्रश या छाले ( Thrush)
यह एक तरह का फंगल इन्फेक्शन है और यह बच्चे के मुंह के साथ साथ मां की ब्रेस्ट को भी प्रभावित कर सकता है। ब्रेस्ट फ़ीड लेने वाले बच्चे के मुंह मे थ्रश या छाले हो जाते हैं जो मां के निपल्स में भी फैल सकते है। खुजली, जलन, से मांओ को थ्रश का पता चल जाता है . शिशुओं की जीभ पर आमतौर पर सफेद, दही की तरह कोटिंग यानि कि परत होती है। थ्रश का उपचार करवाना बहुत ज़रूरी है नही तो ये आपसे और बच्चे से फ़ैल भी सकता है . आप थ्रश के दौरान शिशु को फ़ीड दे सकते हैं या अगर इससे दर्द हो रही है तो आप पंप का सहारा भी ले सकती हैं . इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें।
5.स्तनो मे कम दूध होना
ये एक ऐसी समस्या है जो अधिकतर महिलायो को लगता है कि ये हर किसी को हो सकती है लेकिन ऐसा नही होता है . इस समस्या से हर महिला प्रभावित नहीं होती हैं . अध्ययन से पता चलता है कि केवल 5% माओं के पास अपने बच्चे के लिए पर्याप्त दूध नहीं होता है। आपकी चिंता दूर करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप अपने बच्चे को दूध पिलाने से पहले और उसके बाद उसका वजन करें। परिणाम देख कर आप खुद ही आश्चर्यचकित हो जायेगे .
चूंकि एक बच्चे के चूसने यानि कि सक करने से पंप से अधिक दूध निकलता है, इसलिए सिर्फ़ पंप से निकले हुये दूध की मात्रा न देखे . यदि आपका बच्चा फ़ीड लेने के बाद संतुष्ट लगता है और अच्छे से सो रहा है और अच्छी तरह से बढ़ रहा है, तो चिंता की कोई बात नहीं है। लेकिन यदि आपके बच्चे को वास्तव में पर्याप्त दूध नहीं मिल रहा है, तो आप दूध की आपूर्ति को बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ खा सकती हैं .
6. स्तनो मे ज़्यादा दूध होना :
दूध पर्याप्त मात्रा में न होना एक समस्या है, तो दूध बहुत ज़्यादा मात्रा मे होना भी परेशानी है! बहुत अधिक दूध आमतौर पर ब्रेस्ट से अपने आप ही बाहर आना शुरु कर देता है . और अगर ऐसा सबके सामने हो जाये तो ये आपके लिए असुविधाजनक हो सकता है.
जब शिशु की फ़ीड लेने की रूटीन सही हो जाती है तब शरीर मांग के हिसाब से ही दूध की आपूर्ति करता है तब ये समस्या आसानी से सुलझ जाती है . तब तक पंप की सहायता से अतिरिक्त दूध निकालते रहे ताकि शिशु आसानी से फ़ीड ले सके . शिशु को पहले अच्छे से एक ब्रेस्ट से दूध पी लेने दे और यदि इसी से उसका पेट भर जाता है तो भी कोई बात नही . उभार को रोकने के लिए दूसरे स्तन से दूध पंप की सहायता से बाहर निकाल ले. आप चाहे तो इस दूध को बाद में उपयोग करने के लिए फ्रीज कर सकते हैं या इसे अन्य माओं को इस्तेमाल करने के लिए दे सकते हैं .
7.ब्रेस्ट लीक होना
एक नयी माँ के हार्मोन इस तरह होते है कि जब भी कोई भी शिशु या बच्चा रोता है तो अपने आप ही ब्रेस्ट मे से दूध आने लगता है. ज्यादातर महिलाओं को इस समस्या से जूझना पड़ता है . कुछ माये सुबह अपने ही कपड़े पर पडे दूध के साथ जगती है तो कुछ की चादर खराब हुयी होती है . यह समस्या किसी को भी हतोत्साहित करने के लिए पर्याप्त है!
अच्छी बात यह है कि ज्यादातर अन्य समस्याओं की तरह, यह समस्या भी अपने आप ठीक हो जाती है जब शरीर मांग के अनुसार दूध का उत्पादन या प्रोड्क्शन करना शुरू कर देता है . तब तक, अच्छी क्वालिटी वाले ब्रेस्ट पैड का इस्तेमाल करें। जब भी आप कही बाहर जाए तो शॉल या स्टोल से खुद को कवर करे ताकि दूध के धब्बे दिखाई न दें। अपने बच्चे को मांगने पर दूध पिलाएं ताकि आपका शरीर जल्द से जल्द उसकी जरूरतों के अनुसार ढल जाए।
8.अंदर की ओर धंसे हुए निप्पल (Inverted Nipples)
हर महिला के निप्पल अलग–अलग होते हैं, लेकिन जो चीज़ स्तनपान को प्रभावित कर सकती है वह है निप्पल अंदर की ओर धंसे होना . यहाँ, निप्पल बाहर की ओर फैले होने के बजाय अंदर की ओर होते हैं . यह एक बड़ी समस्या नहीं है, हालांकि कुछ बच्चों को इसे मुह मे डालने मे परेशानी हो सकती है . यदि शिशु एरोला का अधिकाश भाग अपने मुंह मे ले लेता है तो ये समस्या ब्रेस्ट फ़ीडिंग को ज़्यादा प्रभावित नहीं करती .
आप किसी ऐसी चीज़ का इस्तेमाल करे जिससे कि आप निप्पल को बाहर खींच सके . आप एब्स्ट्रैक्ट पंप का इस्तेमाल कर सकते हैं और निप्पल के बाहर आने तक कुछ समय पंप करे और फिर बच्चे को फ़ीड दे. यदि आपका बच्चा अच्छी तरह से फ़ीड नहीं ले रहा है और उसका वजन भी कम हो रहा है, तो आप डॉक्टर से परामर्श ले और इस समय शिशु को एक्स्प्रेस दूध पिलाएं।
9.स्तनपान के समय दूध वाहिनी अवरुद्ध होना
दूध कोशिकाए दूध को निप्पल तक पहुंचाने में मदद करती हैं ताकि शिशु आसानी से दूध पी सके . दिखाये गये चित्र मे भाग 6 मे दूध नलिकाएं हैं। कुछ मामलों में दूध ,नलिका से आसानी से नहीं निकल पाता है, जिससे कि आपकी ब्रेस्ट या निप्पल के आस पास गांठ बन सकती है। आप गांठ के साथ दर्द का भी अनुभव भी कर सकते हैं। यदि इसे ऐसे ही छोड़ दिया जाये तो यह मास्टिटिट बन सकता है जो ठीक होने में अधिक समय ले सकता है।
इस स्थिति से बचने के लिए, सही आकार की आरामदायक नर्सिंग ब्रा पहने . आपकी ब्रेस्ट भारी होती हैं, इसलिए वही ब्रा पहने जो आपकी ब्रेस्ट को सहारा दे. शिशु को केवल भूख लगने पर ही फ़ीड दे और उसे पहले एक ब्रेस्ट से दूध पीने दे और फिर दूसरी से दे .
10. शिशु का स्तन को काटना
केवल एक माँ , जिसे उसके शिशु ने फ़ीड लेते समय काटा है, इस दर्द का अनुभव कर सकती है . कुछ माये तो वास्तव में इस दर्द मे रोने भी लगती है , और अगली बार उन्हे शिशु को फ़ीड देते समय डर भी लगता हैं। आप ऐसे शिशु को भी आसानी से फ़ीड दे सकती हैं बशर्ते आप काटने का कारण जान जाये तो –
- यदि आपका बच्चा दांत निकाल रहा है तो उसे नर्सिंग से पहले टीथर या कुछ ठंडा और मज़बूत चबाने को दे ताकि उसके मसूड़ों में दर्द न हो।
- यदि आपका बच्चा नर्सिंग के अंत में काट रहा है, तो इसका मतलब है कि वह फ़ीड ले चुका है. इस स्थिति मे आप को शिशु के पूरी तरह से फ़ीड लेने के चिह्नों को देखना है ताकि अगली बार उसके काटने से पहले ही आप उसे फ़ीड छुडवा सके
- अगर आपका शिशु विचलित है, तो वह अच्छे से फ़ीड नही ले पाता है और परिणाम सवरूप वह आपको काट सकता है. अगर ऐसी स्थिति है तो सबसे पहले उसे चुप कराये और फिर फ़ीड दे I यदि आपका बड़ा बच्चा आपका ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहा है, तो आपका बच्चा आपका ध्यान अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रहा होगा।
जैसे ही शिशु आपको काटे, उसे थोड़ी देर के लिए ब्रेस्ट से हटा दें। उसे प्यार से समझाये कि काटना अच्छा बात नहीं है . जल्दी ही आपके शिशु को इस बात का एहसास होने लगेगा कि वह जैसे ही आपको काटेगा आप फ़ीड कुछ समय के लिए छुडवा देगी और इस वजह से वह आपको बाइट यानि कि काटना बंद कर देगा .
11. बच्चे का धीरे धीरे दूध पीना
स्तनपान कराने वाली माये आराम से सो भी नही पाती है और ये स्थिति और भी बदतर बन सकती है जब आपका शिशु धीरे धीरे फ़ीड लेने वाला या लेज़ी फ़ीडर हो . ये वह शिशु होता है जो अग्रिसिव्ली या जल्दी जल्दी फ़ीड लेना तो शुरू कर देता है लेकिन बाद मे निप्पल अपने मुंह मे डाल कर सो जाता है . उसके मुंह से निप्पल को हटाने मे वह बहुत रोने लगता है और इस मामले में आप को उसे दोबारा दोबारा फ़ीड भी देनी पड सकती है. इस स्थिति मे शिशु का पेट नहीं भरता है और आपको उसे बार बार स्तनपान कराना पड सकता है . इस स्थिति मे माओं की हालत ख़राब होती है क्युकि उनका बच्चा पेट न भरने की वजह से हर समय फ़ीड की मांग करता है और वे आराम तक नहीं कर सकती है .
इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि दूध धीरे–धीरे आ रहा हो . इसके लिए फ़ीड देने से पहले और फ़ीड के दौरान ब्रेस्ट की मालिश करे . अगर शिशु बहुत छोटे हैं तो वे वास्तव में नींद में हो सकते हैं, इसलिए आप उनके पैरों पर गुदगुदी करके या उनके कान को थपथपाकर उन्हे जगाये रखने की कोशिश करें। यदि आपका बच्चा कई बार फीड लेने के बाद भी संतुष्ट नहीं है, तो पंप से कुछ दूध निकाल कर पिलाएं . अगली बार फिर ब्रेस्टफ़ीड दे .
12. बच्चे का स्तनपान ना करना ( Nursing Strike)
क्या बच्चे भी हड़ताल पर जा सकते हैं? जी हाँ बिल्कुल! नर्सिंग स्ट्राइक तब होती है जब बच्चा स्तनपान करने से अचानक इनकार कर देता है। फ़ीड न लेने से शिशु भूखा और क्रोधित रहता है और मा की ब्रेस्ट मे सूजन रहती है . नर्सिंग स्ट्राइक होने के कई कारण हो सकते हैं और इस समस्या का हल खोजने के लिए कारण का पता लगाना आवश्यक है।
- हो सकता है शिशु ने आपको काटा हो जिससे कि आप को दर्द से चिलायी हो और बच्चा डर गया हो
- हो सकता है कि बच्चे के दांत निकल रहे हो और इसी वजह से वह फ़ीड न ले पा रहा हो
- उसके जीवन में कोई बडा बदलाव आया हो – हो सकता है कि माँ ने वापस काम पर जाना शुरु कर दिया हो, घर पर नए लोग आये हो , एक नई जगह पर जा रहे हैं, यात्रा आदि।
अगर आपका शिशु आपके चिल्लाने से डर गया है तो आप उसे प्यार करे और तभी वह दोबरा फ़ीड लेना शुरू कर सकता है. अगर बच्चा दांत निकाल रहा है तो उसे फ़ीड से पहले खिलौना दे बाद मे उसे फ़ीड दे . इस बीच,दूध को पंप से निकाल कर उसे दे . यदि शिशु कुछ दिनों से दूध नही ले रहा है, तो अपने डॉक्टर से परामर्श ले, हो सकता है कि बच्चे को बुखार या कुछ और समस्या हो।
13. खुले में स्तनपान कराना
कई माये अपने बच्चों को एक वर्ष से अधिक समय तक फ़ीड देती हैं, और उन्हें इतने समय के लिए घर के अंदर रहने के लिए कहना , यह बिल्कुल भी उचित नहीं है! लेकिन हर मॉम एक विशेष तरीके से फ़ीड देना चाहती है, विशेष रूप से हमारे देश में जहां बहुत सारे झांकने वाले लोग आपको मिल जाएंगे . और यदि आप एक संयुक्त परिवार में रहते हैं, तो ये स्वाभाविक है कि आपके कमरे मे हर समय कोइ न कोई आता जाता रहता हो . ज़्यादातर माओं के लिए, मुख्य चिंता वास्तव में ब्रेस्ट को ढंकना नहीं होता बल्कि;छाती का ऊपरी हिस्सा और पेट को कवर करना है. ये ऐसे भाग हैं जो तब सामने आते हैं जब आप या तो बटन खोलते हैं या एक टी–शर्ट या टॉप को ऊपर करते हैं। इसके सही करने के कई तरीके हैं:
- विशेष रुप से फ़ीडिंग के दौरान पहने जाने वाले नर्सिंग टॉप खरीदे . वे अक्सर स्टाइलिश होते हैं और पोस्ट पार्टम आकारों में आते हैं, लेकिन वे महंगे हो सकते हैं। इस बात का ध्यान रखे कि ज़िप और फास्टनिंग्स से आपके बच्चे के चेहरे पर खरोंच न आये .
- दूसरा उपाय है आप अंदर लंबी बनियान विद लो नैक पहने और उसके ऊपर कोई भी रेगुलर टॉप पहने। फ़ीड देने के लिये टॉप ऊपर करे और बनियान नीचे और बस हो गया .
- एक नर्सिंग कवर का इस्तेमाल करें जो एप्रन की तरह पहना जाता है और इसमे सब कुछ छुप जाता है, यहां तक कि आपका बच्चा भी! बेशक इस केस में कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा होता है, लेकिन इससे यह भी स्पष्ट हो सकता है कि आप नर्सिंग यानि की फ़ीड दे रहे हैं। यह संयुक्त परिवार के लिए बहुत फायदेमंद है .
नर्सिंग कवर के लिए आप दुपट्टा का इस्तेमाल भी कर सकते हैं,लेकिन सब बच्चों को कवर होना अच्छा नही लगता है . मिरर के सामने घर पर इसका अभ्यास करे ताकि आप जान सकें कि यह कैसे किया जाता है और आपके बच्चे को भी इसकी आदत हो जाये . नही तो कही आप को कही ऐसी स्थिति का सामना न करना पड जाये कि आपका शिशु आपका दुपट्टा खीच ले और आपकी ब्रेस्ट दिखायी दे रही है और अपने बच्चे को आप फ़ीड देने की कोशिश कर रही हो .
14. स्तनपान कराने की इच्छा ना होना
ऐसा माना जाता है कि ब्रेस्टफ़ीडिंग माँ के प्यार का प्रतीक है . लेकिन सच्चाई यह है कि सभी माओं को ब्रेस्टफ़ीडिंग अच्छा नही लगता है . कई माये ब्रेस्टफ़ीडिंग से नफ़रत करती है और वे ब्रेस्टफ़ीडिंग सिर्फ़ स्वास्थ्य लाभ या वित्तीय कारणों से करवाती है . यह पोस्ट नर्सिंग डिप्रेशन की तरह नहीं है . यहां, मां पूरी तरह से ठीक है और अपने बच्चे को प्यार भी करती है लेकिन वह ब्रेस्टफ़ीड देना पसंद नहीं करती है। यह उसे घृणित महसूस कराता है या जब तक उसका निप्पल बच्चे के मुंह में होता है तब तक उसे अपने निप्पल पर कोइ जंतु रेंग रहा है ऐसा एहसास होता रहता है।
कई मामलों में यह समस्या तब सही हो जाती है जब माँ और बच्चे की उचित दिनचर्या और मांग और आपूर्ति का पैटर्न बन जाता है. कुछ माओं के लिए, यह तब शुरू होता है जब वे गर्भवती होती हैं और वे अभी भी अपने बच्चे को फ़ीड दे रही होती हैं। यह हार्मोन से संबंधित स्थिति के कारण भी हो सकता है जिसे डिस्फोरिक मिल्क इजेक्शन रिफ्लेक्स (डी–एमईआर) कहा जाता है।
किसी को भी वास्तव में इस बात का पता नहीं है कि ऐसा क्यों होता है, लेकिन आप इन भावनाओं को दूर करने के लिए छोटे कदम उठा सकते हैं। आप अपना ध्यान अपने फोन, टीवी या एक मजेदार पैरेंटिंग बुक पढने मे केन्द्रित करे। सुनिश्चित करें कि आपने खाना खाया हुया है और हाइड्रेटेड भी है। जब भी संभव हो पर्याप्त आराम करें . अपने बडे बच्चे की फ़ीड छुड़वाने के बारे में सोचें। अगर आपको लगता है कि आप ये स्टेप्स नही अपना सकती तो कोई बात नही दूध पंप की सहायता से निकाले और इसे अपने बच्चे को दे . यदि यह बहुत अधिक हो जाता है, तो किसी प्रोफ़ेशनल की हेल्प ले.
15. बड़े बच्चों को स्तनपान कराना
कुछ मायनों में, बड़े बच्चों को स्तनपान कराना बेहतर है – वे पूरी तरह से ब्रेस्ट मिल्क पर निर्भर नहीं होते हैं और न ही 24 × 7 वे ब्रेस्ट से जुड़े रहते हैं। हालांकि, एक्स्टेन्डिड ब्रेस्टफ़ीडिंग की कुछ अपनी चुनौतियां भी हैं। ऐसे बच्चे जो सार्वजनिक रूप से आपके टॉप ऊपर खींचते हैं और फ़ीड लेते हैं, कई हैं! एक साथ शिशु और टॉडलर्स को फ़ीड देना चित्रो मे तो अच्छा लगता है लेकिन इस के लिए बहुत ज़्यादा प्रयास की आवश्यकता होती है .
आप अपने बड़े बच्चे को फ़ीड देने का समय तय कर ले ताकि बाकी का समय आप छोटे बच्चे को दे सके. फिर कुछ नर्सिंग नियम बच्चों को सिखाये, जैसे कि सार्वजनिक रूप से फ़ीड की मांग नहीं करना, मम्मी की शर्ट को ऊपर / नीचे नहीं खींचना और निश्चित रूप से निप्पल को पिंचिंग या नही दबाना आदि !
16.अंतरंगता और रिश्ता
एक ऐसा विषय जिसके बारे में ज्यादातर लोग बात करना पसंद नहीं करते हैं – वह है बच्चे के बाद सेक्स और अंतरंगता।
एक नवजात शिशु की देखभाल और ब्रेस्टफ़ीडिंग 24 × 7 का काम है और इस दौरान किसी भी और काम को करने के लिए महिला मे ऊर्जा बचती ही नहीं है. जो लोग बच्चे को अपने साथ सुलाने की कोशिश करते है हमेशा एक सम्भावना बनी रहती है कि बच्चा किसी भी समय जाग कर फ़ीड ले सकता है .
कई माओं को भावनात्मक परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। वे अपनी ’माँ’ की भूमिका में इस तरह घुल मिल जाती हैं कि वे अब पत्नी ’की भूमिका में खुद के बारे में नहीं सोच सकते। और यदि आप एक साथ दो या दो से अधिक बच्चों को ब्रेस्ट फ़ीड करा रहे हैं, तो आप महसूस करते हैं कि आपका शरीर अब आपका नहीं है। बच्चों से, त्वचा से त्वचा का संपर्क इतना ज़्यादा हो जाता है कि आपको कोइ और स्पर्श चाहिए ही नही होता .
इस समस्या का समाधान प्रत्येक दंपति और उनकी समस्याओं पर निर्भर करता है। फिर भी सबसे पहले नई माँ को अपनी देख भाल करनी चाहिए Iअच्छा भोजन, पर्याप्त आराम और घरेलू जिम्मेदारियों को बांट देना एक महिला को बहुत बेहतर महसूस कराएगा। जब बच्चे बडे हो जाये तो उनके सोने के लिए साइड बेड लगवा दे I सबसे महत्वपूर्ण बात, चीजों को आराम से लें और विश्वास रखे कि यह सब अंततः बेहतर हो जायेगा।
तो चलिये इस विश्व स्तनपान सप्ताह, स्तनपान के दौरान होने वाली आम समस्याएं और स्तनपान के अच्छे और बुरे पहलुओं के बारे में बातचीत करते हैं। इससे माओं को भी स्पोर्ट मिलेगा और उनकी ब्रेस्टफ़ीडिंग जर्नी भी सफ़ल रहेगी . याद रखें कि नर्सिंग में परेशानी होने से आप एक खराब माँ नहीं बनती है – आप अच्छी माँ ही रहेंगी क्योंकि आप फिर भी कोशिश कर रही हैं!
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