भारतीय सभ्यता में मनाया जाने वाला हर पर्व खुशियों और प्रसन्नता का रंग लेकर आता है। यह रंग और अधिक हो जाता है जब रंगों का त्योहार होली आता है। वसंत ऋतु के बाद ग्रीष्म की दस्तक देती हुई भारत की हवा होली के रंगों से सजकर ही आती है। वास्तव में इस त्योहार को हर उम्र और राज्य के लोग खुशी और उल्लास से मनाया जाता है।लेकिन एक वर्ग ऐसा भी है, जो इस त्योहार को पूरे मन से मनाने में संकोच करता है। इस वर्ग में वो माँ आतीं हैं जिन्होनें कुछ समय पूर्व ही एक नन्ही सी जान को जन्म दिया है। छह महीने की आयु के बच्चे की माँ को अनेक सावधानियों और नियमों का पालन करना होता है। क्यूंकी उसके खान-पान और रहन सहन का असर उसके दूध के माध्यम से उनके नन्हें शिशु पर भी होता है। ऐसे में उनके मन में एक सवाल यह भी आ सकता है की स्तनपान के दौरान मैं होली कैसे खेलूँ?
स्तनपान के दौरान होली कैसे खेलूँ?
इस जटिल दिखने वाले सामान्य प्रश्न का जवाब यह है की आप स्तनपान के दौरान होली खेल सकतीं हैं। लेकिन इसके लिए आपको कुछ सावधानियों को ध्यान में रखना होगा।
आजकल अधिकर रंगों में रसायनों का प्रयोग किया जा रहा है। इस कारण यह रंग त्वचा के लिए हानिकारक और शरीर पर भी बुरा प्रभाव डालते हैं।यदि किसी प्रकार रंग बच्चे के शरीर में चले जाते हैं तो उससे बच्चे को नुकसान हो सकता है। ऐसा तभी हो सकता है जब बच्चा आपके रंग लगे स्तनों या निप्पल से दूध पी लेता है।
दूसरी ओर प्राकृतिक रंग,हर्बल या ओर्गेनिक विधि से बने रंगों से होली खेलना सबसे अधिक सुरक्शित होता है। इसके अतिरिक्त आपका छह माह से कम का शिशु, अपने आहार के लिए केवल स्तन पान पर ही निर्भर है। इसलिए यहाँ आपका सोचना की स्तनपान के दौरान मैं होली कैसे खेलूँ, बिलकुल उपयुक्त है।
इसीलिए आप होली खेलने के लिए किसी भी प्रकार के रंगों का इस्तेमाल करें यह जरूर ध्यान दें। होली खेलते समय आपके स्तनों और निप्पल पर रंग न लगे। इसके बाद भी बच्चे को दूध पिलाने से पहले अपने स्तन और निप्पल, अच्छी तरह साफ कर लें। इसके लिए साबुन और पानी का इस्तेमाल करें। केवल सूखे कपड़े से रंग छुड़ा लेना ही काफी नहीं होगा। कई बार यह देखा गया है की कपड़े से छुटाने पर भी रंग लगा रहता है।
वैसे देखा जाए तो सबसे सुरक्शित तरीका है की आप घर पर ही रंगों को बनाकर उनसे होली खेलें।
स्तनपान के दौरान होली कैसे खेलूँ : उपयोगी टिप्स:
अभी-अभी आपके जीवन में एक नयी खुशी ने आपकी संतान के रूप में दस्तक दी है। आप उसका मन से लालन-पालन कर रहीं हैं। इस समय वह नन्ही जान अपने खान-पान के लिए केवल स्तनपान पर ही निर्भर है। इसलिए आप अब होली खेलने जा रहीं हैं तो अपनी नन्ही जान की सुरक्षा के लिए कुछ सावधानियाँ रखनी होंगी
बच्चे को पहले स्तन-पान करवा दें:
होली वाले दिन, रंग खेलने से पहले ही आप बच्चे को स्तनपान करवा दें। इससे आपका बच्चा पेट भरा होने पर संतुष्ट और प्रसन्न रहेगा। पेट भरा होने पर वह पूरी नींद ले सकेगा और आप निश्चिंत होकर होली खेल सकेंगी।
प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल:
रंग खेलने के लिए केवल प्राकृतिक रंगो या ओर्गेनिक रंगों का ही इस्तेमाल करें। इसके लिए केवल विश्वसनीय जगह से ही रंग लें।
अंजाने लोगों के साथ होली नहीं:
होली खेलते समय उन लोगों के ही संपर्क में आयें जिन्हें आप अच्छी तरह जानती हों। जो लोग आपकी स्थिति और भावनाओं को समझें, केवल उन्हीं के साथ होली मनाएँ।
तेल मालिश:
होली में रंग खेलने से पहले अपने शरीर पर तेल की चिकनाई या फिर मौच्राइजर लगा सकतीं हैं। सरसों के तेल की मालिश इस समय बहुत लाभकारी रहती है। शरीर पर लगी चिकनाई, रंगों को शरीर पर ठहरने नहीं देती है। इसके अतिरिक्त बाद में रंग छुटाने में भी आसानी रहती है।
कपड़े कैसे पहनें:
होली खेलते समय आप थोड़े ढीले और पूरी बांह वाले कपड़े पहनें। इससे आपकी त्वचा पर रंग का असर कम होगा।
अंतःवस्त्रों में आप उन कपड़ों का चयन कर सकतीं हैं जिनमें पैड लगा होता है। इससे आपके स्तन और निप्पल पर रंग नहीं लगेगा।
होली में खाते समय सावधानी:
होली खेलते समय पापड़ी और गुजिया खाने से त्योहार का रंग दुगुना हो जाता है। लेकिन आपको यह सब खाते समय थोड़ी सावधानी रखनी होगी। केवल वही वस्तु खाने के लिए लें जिसकी स्वच्छता और पौष्टिकता के बारे में संतुष्ट हों। खाने से होने वाली तकलीफ होने पर आपको दवा का सहारा लेना पड़ सकता है। यह आपके दूधमुहें बच्चे के लिए नुकसान देह हो सकता है।
चन्दन का टीका:
अपने लाडले को अभी इस त्योहार का हिस्सा न बनाएँ। शिशु विशेषज्ञों का मानना है की छह माह से कम के बच्चों पर रंग नहीं लगाना चाहिए। इसलिए एक छोटा चन्दन का टीका, त्योहार मनाने के लिए काफी होता है।
स्तन के दूध को स्टोर करें:
यदि आप इन सभी सावधानियों को बरतने में असमर्थ हैं तो एक अन्य उपाय है। आप अपने स्तन का दूध पहले से ही निकाल कर उसे भली प्रकार स्टोर कर लें। एक-दो दिन की जरूरत के अनुसार स्तन का दूध निकाल कर सुरक्शित रख सकतीं हैं। इस स्थिति में जब तक आपके शरीर पर होली के रंगों का असर रहेगा, यह दूध काम आ सकता है। जैसे ही आपको महसूस हो, की आप पहले की भांति अपने शिशु को दूध पिलाने के लिए सुरक्शित हैं, तो आप उसे दे सकतीं हैं।
स्तन के दूध को स्टोर करने के तरीके
अंत में अब यह कहना सही होगा की आपको इस बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है की स्तनपान के दौरान मैं होली कैसे खेलूँ ?
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