बच्चे भगवान की बनायी हुयी खूबसूरत रचना हैI वे बहुत ही प्यारे होते है और उनकी मुस्कुराहट पत्थर दिलों को भी पिघला सकती है,लेकिन जिस तरह से वे अपने जीवन के पहले वर्ष के दौरान बढ़ते हैं, उसे देखते हुए, आपको बहुत हैरानी होगी! ज़्यादातर बच्चे उपर से नीचे(top to down pattern) की तरफ़ बढ़ते है सबसे पहले सिर और गर्दन की मांसपेशियां (3 महीने), हाथ और बाजू (6 महीने), धड़ और पीठ (9 महीने), पैर (12 महीने) और अंत में, आंत (bowels)।ध्यान दिजिये कि हमने आंत के विकास के लिए कोई समय नहीं दिया है, क्योंकि आंतों पर नियंत्रण प्राप्त करने के लिये कोई विशिष्ट (specific) आयु नहीं होती।और यही कारण है कि शौचालय का उपयोग करने के लिए एक बच्चे को प्रशिक्षित करना एक नए माता-पिता की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक माना जाता है;उन्हे कुछ भी पता नहीं होता कि शिशु को पॉटी ट्रेनिंग देना कब शुरू करें तो आइये इस बारे में और अधिक जाने –
शिशु को पॉटी ट्रेनिंग देना कब शुरू करें
दुनिया भर में पॉटी ट्रेनिंग
पॉटी प्रशिक्षण शुरु करने की सही उम्र क्या है ये बात कई कारकों(factors) पर निर्भर करती है।दुनिया भर में पॉटी ट्रेनिंग अलग अलग तरीको से दी जाती है और इसका सांस्कृतिक महत्व भी है . कुछ अफ्रीकी जनजातियों में, शिशुओं को छह महीने के होने पर पॉटी ट्रेनिंग देना शुरु किया जाता है।
बेबी विरिंग (baby wearing)वहा का रिवाज है और जब मा को ऐसा लगता है कि बेबी को पॉटी आयी है वो उसे बाहर ले कर जाती है और ज़मीन पर बिठा देती है। चीन मे एक साल के बच्चे ऐसी पेन्ट पहनते है जो कि क्राच (crotch) से खुली हुयी हो ताकि जैसे ही आपको लगे उन्हें पॉटी आयी है आप उन्हे पॉटी पर बिठा दे.संयुक्त राज्य में, पॉटी प्रशिक्षण बहुत बाद में शुरु होता है, आमतौर पर 2 और 4 साल के बीचI दुनिया भर मे ऐसा देखा गया है कि पॉटी ट्रेनिंग की उम्र पिछले कुछ सालो मे बढ रही है.
इन सब से ही डिस्पोजेबल डायपर,वाशिंग मशीन और ड्रायर जैसे अन्य आधुनिक उपकरणों की माँग में वृद्धि हुयी है. भारत में भी, शहरी बच्चों की तुलना में ग्रामीण बच्चों को पॉटी ट्रेनिंग जल्दी दी जाती है क्युकि शहरों में डायपर आसानी से मिल जाते हैं। पहले माता-पिता अपने बच्चे के हाव भाव (signs of elimination) देखते थे , और जैसे ही उन्हे लगता था कि बच्चे को पॉटी आयी है वे जल्दी से उन्हें पॉटी पर बिठा देते थे. कपड़े के डायपर जब वे गन्दे हो जाते हैं तो बच्चों को असुविधाजनक लगता है ,और इसी से बचने के लिए बच्चे में पॉटी ट्रेनिंग की सीखने की भावना आती है।
पॉटी ट्रेनिंग कब शुरू करें
तो अब आपको ये पता चल ही गया है कि पहले लोग शिशु को पॉटी ट्रैन कैसे करते थे और दुनिया भर में शिशु को पॉटी ट्रैन करने के लिए क्या तरीके अपनाये जाते है लेकिन सवाल अब यह है कि आप शिशु को पॉटी ट्रेनिंग देना कब शुरू करें।
पॉटी ट्रेनिंग वास्तव में आपके बच्चे और परिस्थितियों पर निर्भर करती है। हम में से अधिकांश लोग अफ्रीकी डिगो जनजातियों की तरह पूरे दिन घर से बाहर नहीं रहते हैं, इसलिए उनके तरीके हमारे लिए फ़ाय्देमन्द नही है। 3 या 4 साल की उम्र तक डिस्पोजेबल डायपर ठीक है, लेकिन ये महंगा होने के साथ-साथ पर्यावरण के अनुकूल भी नही है। पॉटी ट्रेनिंग आप दो तरह से शुरू कर सकते है
1.बच्चे के हाव भाव देखते रहना (Elimination Communication)
इस विधि में ,माता-पिता पेशाब करने और पॉटी करने के संकेतों को बारीकी से देखते हैं और जैसे ही उन्हे लगता है कि बच्चा पेशाब करने वाला है या पॉटी करने वाला है वो बच्चे को जल्दी से पॉटी सीट पर बिठा देते हैं । यह माता-पिता द्वारा की जाने वाली कुछ ध्वनियों के साथ हो सकता है, जिसे बच्चा जल्द ही पॉटी टाइम के साथ जोड़ देता है। यह शिशुओं के लिए भी काम करता है, लेकिन माता-पिता की पूरी भागीदारी की आवश्यकता होती है। यदि माता-पिता पर पहले से ही अन्य जिम्मेदारिया हैं, तो यह काम मुश्किल और तनावपूर्ण हो सकता है। लेकिन दूसरी ओर, आपको कम गन्द साफ़ करना पडेगा और बच्चे का डायपर जल्दी ही छूट जायेगा।
2.बच्चे को अपने आप सीखने दे (Child-Led Training)
इस विधि में, आप तब तक प्रतीक्षा करते हैं जब तक कि बच्चे पॉटी प्रशिक्षण के कुछ लक्षण दिखाने ना शुरु कर दे, ये आमतौर पर जब आपका बच्चा 18 महीने का हो जाए उसके बाद आप ये विधि (method) शुरू कर सकते हैं। यहां, बच्चा इस प्रक्रिया में अधिक शामिल होता है, लेकिन बच्चे को पूरी तरह से सीखने में अधिक समय लग सकता है। साथ ही, आपको तब तक डायपर खरीदते रहने चाहिये, जब तक आप पॉटी ट्रेनिंग सफलतापूर्वक पूरी नहीं कर लेते।
आपकी पसंद का तरीका आपकी व्यक्तिगत परिस्थितियों के साथ-साथ आपके बच्चे के स्वभाव पर भी निर्भर करेगा, क्योंकि कोई भी दो बच्चे एक जैसे नहीं हैं; यहाँ तक कि भाई-बहन भी अलग अलग उम्र मे पॉटी ट्रेनिंग सीखते हैं.
पॉटी ट्रेनिंग शुरू करने के लिए संकेत
अगर आप ये सोच रहे है कि आप अपने बच्चे को,जब वो एक साल का हो जाए,उसके बाद पॉटी ट्रेनिंग शुरु करेगी तो आपको ये ध्यान रखना होगा कि आपका बच्चा संज्ञानात्मक और शारीरिक रूप से इस प्रक्रिया के लिए तैयार हो. नीचे एक सूची दी गयी है जिस से आप ये पता कर सकते हैं कि आपका बच्चा पॉटी ट्रेनिंग के लिए तैयार हैं या नहीं
शारीरिक संकेत
- वह रोज एक ही समय में पेशाब करता है
- वह रात में पेशाब नहीं करता है
- वह एक समय में कुछ घंटों के लिए सूखा रह सकता है
- वह स्वतंत्र रूप से एक कुर्सी से बैठ और खड़े हो सकता हैं
- वह अपनी पैंट को ऊपर और नीचे खींच सकता है
संज्ञानात्मक संकेत
- वह वयस्क(adult) शौचालय या बड़े लड़के के अंडरवियर पहनने में रुचि रखती है
- वह बुनियादी(आसान) निर्देशों का पालन कर सकती है
- वह गंदे या गीले डायपर या कपड़े पहनने में असहज महसूस करती है
- अपना काम उसे अकेले में करना पसन्द है
अगर आप इन संकेतों को बिना जाने बच्चे की पॉटी ट्रेनिंग शुरू कर देती हैं तो यह प्रक्रिया ज़रूरत से ज़्यादा समय ले सकती है.साथ ही इसका कोई भी फ़ायदा नही होगा। पॉटी ट्रेनिंग कुछ ऐसा नही है कि आप इसे अपने बच्चे को जल्दी जल्दी सिखा दे ताकि वो बेड गीला ना करे. अगर आपका बच्चा इन संकेतों को दिखाता है, तो भी कई बार पॉटी प्रशिक्षण शुरू करने के लिए इंतजार करना चाहिए। यदि आपके घर में कोई बड़ा बदलाव हो रहा है, जैसे कि एक नए बच्चे का आगमन, या नए घर में शिफ्ट होना,आप तब तक इंतजार करे जब तक कि आपका बच्चा इस बदलाव में अच्छी तरह से एडजस्ट न हो जाए। इसलिए इसे आसान और मज़ेदार बनाएं और आप दोनों इसका आनंद ले।
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Gudiya singh says
Meri bachi potty nahin karti hai 5 saal ki hone Ko hai kabhi Khul ke potty nahi aati hai usko dard batati hai kya karu please upay bataye
Hindi MyLittleMoppet says
Gudiya Ji
Apki bacchi ko kabj ki shikayat hai. Use fibre yukt aahar de saath hi khoob pani pilaye. Agar potty jate huve dard hota hai to ek baar doctor ki salah jarur le. bacchon mai kabj dur karne ke anya upay janane ke liye ye blog padhe – http://bit.ly/31pQgUC
Cheers
Hema