यह सामान्य ज्ञान है कि एक साल से कम उम्र के बच्चों को नमक नहीं दिया जाना चाहिए, लेकिन कई माताएं अक्सर ये सवाल करते हैं: क्या मैं अपने बच्चे को सेंधा नमक दे सकती हूँ
नमक, उन चीजों में से एक है जिसका जिक्र सिर्फ पाककला में ही नहीं , बल्कि भारत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्वो में भी होता है . हमारे पूर्वजों ने नमक को एक पवित्र भोजन माना है. अंग्रेजों के नमक कर के खिलाफ गांधीजी की दांडी मार्च भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में ऐतिहासिक क्षणों में से एक है. नमक एक ऐसा शब्द है जिसका बॉलीवुड में भी कई संदर्थों में इस्तेमाल किया जाता है और यह निश्चित रूप से किसी भी व्यंजन को स्वादिष्ट बनाता है.
सोडियम और क्लोराइड आयन, नमक के मुख्य घटक हैं और मानव अस्तित्व के लिए आवश्यक हैं. लेकिन यह मानव शरीर द्वारा स्वयं नहीं बनाया जा सकता. आहार में नमक की से कमी से बीमारियां हो सकती हैं, लेकिन शरीर के लिए बहुत अधिक नमक भी जहरीला होता है. मॉडरेशन महत्वपूर्ण है, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति के लिए सही तरह का नमक चुनना जरूरी है.
आज के वक्त में कई तरह के नमक मौजूद हैं. यहां आपको बताते हैं कि भारत में आसानी से कितने तरह के नमक उपलब्ध हैं-
- टेबल नमक– भारत में सबसे ज्यादा इसी नमक का इस्तेमाल किया जाता है. यह नमक कई सारे चरणों से गुजरता है और इसलिए इसके परिष्करण के दौरान इसमें कई तरह के केमिकल मिलाए जाते हैं. इसके रंग को हल्का करने के लिए इस पर ब्लीच का भी इस्तेमाल किया जाता है.
- समुद्री नमक– इस नमक को समुद्री पानी की भाप बना कर बनाया जाता है और इस वजह से यह प्रोसेसिंग से बचा रहता है. समुद्री नमक में जस्ता, पोटेशियम और आयरन जैसे प्राकृतिक खनिज होते हैं. हालांकि, प्रदूषण में वृद्धि के साथ, समुद्री नमक में सभी प्रकार के प्रदूषक होने की संभावना होती है.
- हिमालय नमक (सेंधा नमक )– यह नमक हिमालयी पहाड़ों से निकाला जाता है और दुनिया में सबसे शुद्ध माना जाता है. यह खनिजों में समृद्ध है और खाना पकाने के साथ-साथ स्पा उपचार में भी इसका प्रयोग किया जाता है.
- काला नमक– काला नमक बनाने के लिए हिमालयी नमक को चारकोल और हर्ब्स के साथ मिलाया जाता है और उसके बाद इसे भट्ठी में पकाया जाता है. काला नमक का एक मजबूत, विशिष्ट स्वाद है, और आयुर्वेद में भी इसका उपयोग किया जाता है.
हम पहले से जानते हैं कि 1 से कम उम्र के बच्चों को सामान्य नमक नहीं दिया जा सकता. इसलिए आज हम आपको हिमालयी नमक और इसे शिशुओं को कैसे देना शुरू कर सकते हैं इसके बारे में बताएंगे.
हिमालयी नमक (सेंधा नमक)क्या है?
हिमालयी नमक जिसे ‘सेंधा नमक‘ भी कहा जाता है को हिमालय को काट कर बनाया जाता है . विशेष रूप से, हिमालयी नमक पाकिस्तान में खेवड़ा नमक खान से प्राप्त होता है. जबकि इसमें रासायनिक सरचना टेबल नमक के समान ही होती है , हिमालयी नमक अधिकांश प्रदूषकों और सभी प्रकार के रासायनिक प्रसंस्करण से मुक्त होता है, और इसे अक्सर पृथ्वी पर ‘सबसे शुद्ध नमक’ कहा जाता है.
हिमालय नमक हमारे विचार से ज्यादा पुराना है! जबकि ज्यादातर विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि इस भव्य गुलाबी नमक के बारे में 100 से 200 मिलियन वर्ष पहले पता चला था. कुछ भूवैज्ञानिकों का अनुमान है कि हिमालयी नमक 800 मिलियन वर्ष पुराना हो सकता है. इसका रंग ऑफ-व्हाइट से लेकर गुलाबी तक हो सकता है. इसका यह रंग कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, कोपर और आयरन जैसे ट्रेस खनिजों के कारण होता है.
हिमालयी रॉक नमक खनन की पहली बार डॉ. वार्थ नामक ब्रिटिश खनन अभियंता द्वारा 1849 में खोज की गई थी. आज, हिमालयी नमक का प्रयोग विभिन्न व्यंजनों, स्पा उपचारों के साथ-साथ हिमालयी नमक लैंप में किया जाता है, जिसका प्रयोग हवा को शुद्ध करने और उपचार के लिए किया जाता है.
हिमालयी नमक ( सेंधा नमक) के फायदे
हिमालयी नमक में 84 स्वाभाविक रूप से खनिज होते हैं जिसमें सोडियम क्लोराइड, सल्फेट, कैल्शियम, पोटेशियम और मैग्नीशियम शामिल हैं, जो मानव शरीर के लिए महत्वपूर्ण हैं. प्रसंस्करण की कमी और इसके बड़े आकार की वजह से इस नमक में नियमित टेबल नमक की तुलना में कम सोडियम सामग्री होती है. हिमालयी नमक के कुछ अन्य लाभ यहां दिए गए हैं:
- हड्डियों को मजबूत बनाता है
- दिमाग की शक्ति और क्षमता को बढ़ाता है
- पाचन तंत्र मजबूत करता है
- रक्त-कोष्ठक के लिए लाभकारी होता है
- त्वचा और संयोजी ऊतकों को मजबूत करता है
- कोशिकाओं के भीतर एक स्थिर पीएच संतुलन को बढ़ावा देता है और डिटोक्सीफिकेशन में मदद करता है
- स्वस्थ फेफड़ों और सांस लेने की क्षमता को सामान्य करता है
- शरीर में मिनरल को सामान्य रखने में मदद करता है जिससे मांसपेशियों में ऐंठन नहीं होती
- ब्लड शूगर को सामान्य रखता है
- ब्लड प्रेशर कम करने और खून प्रवाह को बढ़ाने में मदद करता है
- नींद को बढ़ाता है
- बढ़ती उम्र के चिह्नों को कम करता है
- कामेच्छा बढ़ाता है
क्या मैं अपने बच्चे को सेंधा नमक दे सकती हूँ
क्योंकि हिमालयी नमक और टेबल नमक एक समान रासायनिक संरचना साझा करते हैं, इसलिए सलाह दी जाती है कि हिमालयी नमक के लिए उसी नियम का पालन करें- एक वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को ही नमक दें. स्तनपान के बच्चों को स्तन दूध के माध्यम से आवश्यक मात्रा में नमक मिलता है और शिशु फार्मूला में भी नमक की मात्रा होती है.
भले ही यह टेबल नमक के मुकाबले ज्यादा लाभकारी है लेकिन फिर भी शिशु को इसे देने से पहले सावधानी बरतने की आवश्यकता है ताकि आपके शिशु को बढ़े होने पर ज्यादा नमक वाले पदार्थ खाने की आदत न हो. बच्चों को नमक देने के लिए मुख्य रूप से नीचे दी गई मात्रा की सलाह दी जाती है-
- 1 से 3 साल तक- 2 ग्राम नमक रोजाना (0.8 ग्राम सोडियम)
- 4 से 6 साल तक- 3 ग्राम नमक रोजान (1.2 ग्राम सोडियम)
- 7 से 10 साल तक- 5 ग्राम नमक रोजान (2 ग्राम सोडियम)
- 11 साल और उससे से अधिक- 6 ग्राम नमक रोजान (2.4 ग्राम सोडियम)
जैसा कि आप बच्चे के भोजन में शामिल सभी अवयवों को भरोसेमंद स्रोत से प्राप्त करते हैं वैसे ही अपने नमक को भी भरोसेमंद स्रोत से प्राप्त करना सुनिश्चित करें. चूंकि हिमालयी नमक में एक कोरसर बनावट है, इसलिए इसे अच्छी तरह से मिश्रित करें. इसका स्वाद टेबल नमक की तुलना में थोड़ा अलग भी होता है. आपके बच्चे के पहले जन्मदिन के बाद, हिमालयी नमक टेबल नमक के मुकाबले एक बेहतर विक्लप है, जो रसायनों और संरक्षक से मुक्त होता है, ताकि आप अपने बच्चे को सबसे अच्छा नमक दे सकें.
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