Indigestion Gharelu upay
यह तो सब जानते हैं की छोटे बच्चों का लालन-पालन कोई आसान काम नहीं है। एक माँ को अपने बच्चे के लिए अलग-अलग समय पर विभिन्न रूप लेने होते हैं। दोस्त और माँ होने के साथ जरूरत पड़ने पर एक नर्स और डॉक्टर का रूप भी हर माँ को लेना होता है। इसका मुख्य कारण है की छोटे बच्चों को हर समय कोई न कोई शिकायत लगी ही रहती है, जिनका उपचार तत्काल करना जरूरी होता है। अधिकतर छोटे बच्चों की तकलीफ को दूर करने के घरेलू उपाय अधिक कारगर होते हैं। यह तो आप जानतीं होंगी की सबसे ज्यादा शिकायत बच्चों का पेट खराब होने से होती है। पेट की परेशानियों में कब्ज,दस्त और अपच वो तकलीफ़ें हैं जिनसे नवजात शिशु और छोटे बच्चे अक्सर परेशान रहते हैं। ऐसी स्थिति में बच्चों के पेट की तकलीफ दूर करने के घरेलू उपाय लगभग हर माँ को पता होते हैं। जब आपका बच्चा अपच से परेशान होता है तो उसको दूर करने के लिए घर की बुजुर्ग महिलाएं तरह-तरह के घरेलू उपाय बतातीं है। तो आइए अपच दूर करने के घरेलू उपाय क्या हो सकते हैं, इसके बारे में जानते हैं:
बच्चों में अपच क्या है :
आज की तकनीकी युग में वह युवती जिसका जीवन एकल परिवार में बिता हो वह नहीं जानती की अपच क्या है। यह तो आप जानते हैं की एक सामान्य व्यक्ति को जब भोजन करने के बाद पेट के निचले हिस्से में परेशानी महसूस होती है तो यह अवस्था अपच की कहलाती है। मेडिकल भाषा में इस परेशानी को डाइसेप्सिया Dyspepsia कहते हैं। आमतौर पर अपच को कोई गंभीर बीमारी नहीं माना जाता है बल्कि या तो कभी कुछ गलत खा लेने से होने वाली परेशानी मानते हैं । लेकिन इसे कभी-कभी किसी और बीमारी का लक्षण भी माना जा सकता हैं।
जब आपके बच्चे के पेट में दर्द के साथ छाती में जलन भी होती है तो इसे हार्ट-बर्न या छाती की जलन भी कहा जाता है। ऐसा तब होता है जब पेट में बनने वाले ऐसिड शरीर में ऊपर की ओर आते हैं। आमतौर पर जब पेट की वो नसें जो ऐसिड को नीचे की ओर लेकर जाने का काम करतीं हैं, उनमें किसी प्रकार की खराबी आती है तो यह ऐसिड छाती की ओर जाता है और इससे वहाँ जलन जैसा महसूस होता है। यह तकलीफ किसी भी उम्र के व्यक्ति को कभी भी हो सकती है। अधिकतर 4 माह से कम उम्र के बच्चे इस तकलीफ से परेशान होते हैं। वैसे तो बच्चों में यह परेशानी 12 माह तक होने पर अपने आप ही खत्म हो जाती है। लेकिन फिर भी कुछ बच्चों में स्कूल जाने की उम्र तक यह परेशानी चलती रहती है।
बच्चों में अपच क्यूँ होता है :
बच्चों में अपच होने के कारण अलग-अलग होते हैं। यह माना जाता है छोटे बच्चों में अपच होने का कोई विशेष कारण नहीं होता है लेकिन फिर भी अपच कभी-कभी किसी गंभीर बीमारी का पूर्व लक्षण भी हो सकते हैं। आमतौर पर बच्चों को निम्न कारणों से अपच की परेशानी हो सकती है :
- छोटे बच्चों का पाचन तंत्र अविकसित होता है इसलिए बहुत जल्दी उन्हें अपच हो जाता है।
- जो बच्चे मिर्च वाला खाना खाने के आदि नहीं होते हैं उन्हें अगर इस प्रकार का खाना खाने को मिले तो उन्हें अपच हो जाता है।
- अगर नींद पूरी न हो या नींद में बैचेनी रहे तो भी अपच की परेशानी हो सकती है ;
- किसी समय बच्चे सीधे ही धुएँ के संपर्क में आते हैं तो उनका पेट खराब हो जाता है ;
- मानसिक तनाव बड़ों को ही नहीं बच्चों को भी परेशान करता है यह भी अपच का कारण हो सकता है ;
- जिन बच्चों का वजन अधिक होता है उनका भी पेट खराब रहता है और अपच हो सकता है ;
- कुछ बच्चे खाते समय भागदौड़ करके और जल्दी-जल्दी खाना पसंद करते हैं, इससे भी उनको अपच की तकलीफ हो सकती है ;
- बाज़ार की कोल्ड ड्रिंक का जरूरत से अधिक सेवन करने से भी बच्चों को अपच की तकलीफ हो सकती है ;
आइये आपको बताते हैं की एक सामान्य व्यक्ति को अपच के लक्षण क्या हो सकते हैं:
• कमर में दर्द का होना विशेषकर छोटे बच्चों को दूध पिलाते समय इस तकलीफ का होना;
• कुछ भी खिलाते समय बच्चों का आनाकानी करना ;
• खाना ठीक से न खा पाना ;
• हिचकी का आना ;
• घुटन महसूस होना ;
• सांस लेने में तकलीफ होना ;
शिशुओं और बच्चों में अपच के लक्षण :
नवजात बच्चा या छोटा शिशु अपनी तकलीफ को व्यक्त नहीं कर सकता है। इसलिए शिशु और छोटे बच्चों में अपच के लक्षण क्या हो सकते हैं इनकी जानकारी होना जरूरी है। छोटे बच्चों में अपच के लक्षण निम्न हो सकते हैं :
• पेट के बीच या ऊपर के हिस्से में दर्द का होना ;
• पेट के ऊपरी हिस्से या छाती में जलन का होना ;
• पेट का भरा हुआ महसूस होना और खाना न खा पाना ;
• उल्टी जैसा महसूस होना या उल्टी हो जाना ;
• लगातार हिचकी का /अथवा डकारों का आना ;
• खांसी का होना
अधिकतर छोटे बच्चों में अपच और उदर शूल (पेट का तीखा दर्द ) के लक्षण एक समान ही होते हैं। इसलिए यदि आप दोनों में अंतर नहीं कर पा रहे हैं तो बेहतर होगा की आप बच्चों के डॉक्टर से संपर्क करें। अगर छोटे शिशुओं के अपच का समय से इलाज न किया जाये तो इससे गंभीर समस्या जैसे शरीर में पानी की कमी या वजन की कमी जैसी परेशानियाँ खड़ी हो जातीं हैं। इससे बच्चों में पोषण की कमी भी हो जाती है।
बच्चों के अपच को दूर करने के घरेलू नुस्खे (indigestion gharelu upay):
1. छोटे बच्चों का अपच दूर करने का सबसे सरल घरेलू उपाय है की उन्हें डकार लेने में उनकी मदद करनी चाहिए। जब भी शिशु को आप दूध पिलातीं हैं तो वह साथ में थोड़ी सी हवा भी अंदर लेता है। इसके लिए दूध पिलाने के कुछ मिनट बाद उसे यह हवा बाहर निकालने में मदद करें जिसके लिए उसे डकार दिलवाना बहुत जरूरी है। नवजात शिशु कई बार इस डकार के साथ थोड़ा सा दूध भी बाहर निकाल देते हैं तो घबराएँ नहीं। इसके बाद यदि आपका शिशु चाहे तो उसे थोड़ा और दूध दें ।
2. इसके बाद भी अगर आपका बच्चा परेशान है तो बिना घबराए उसे थोड़ा सा सीधा करके पकड़ कर रखें। इस प्रकार उसे आराम मिलेगा। बहुत से विशेषज्ञों का मानना है की अगर नवजात शिशु को दूध पिलाने के 30 मिनट बाद थोड़ा सीधा पकड़ लें तो इससे उन्हें आराम मिलता है, बल्कि यदि संभव हो तो इसी स्थिति में उन्हें सुला भी दें।
3. अगर आपके बच्चे को छाती में जलन की शिकायत हो रही है तो उसे आराम देने के लिए आप उसका सिरहाना 6-8 इंच ऊपर की ओर उठा दें। इसके लिए आप सोने के पलंग के नीचे कुछ ईंटें लगा दें। अगर आप इस काम के लिए उसके सोने से पहले अतिरिक्त तकियों का प्रयोग करतीं है तो इससे परेशानी हल न होकर बल्कि और बढ़ भी सकती है।
4. बच्चों का अपच दूर करने के उपाय के रूप में आप दूध का भी उपयोग कर सकतीं हैं। अगर बच्चे के पेट में अपच के साथ पेट में हल्का सा दर्द है तो इसके लिए आप एक गिलास दूध देकर उसे आराम पहुंचा सकते हैं। यदि आपका बच्चा एक वर्ष से ऊपर की आयु का है तो उसे एक गिलास गाय का दूध दें लेकिन अगर आपको लगता है की वह दूध हजम नहीं कर सकता तो यह उपाय रहने दें।
5. ग्राइप वाटर भी बच्चों में अपच दूर करने का घरेलू नुस्खा है जिसका प्रयोग लंबे समय से माँ अपने बच्चे के दुखते पेट को ठीक करने के उपाय के लिए करतीं आ रहीं हैं, लेकिन नवजात शिशु के लिए कई बार बाज़ार से लाई शीशी उपयोगी सिद्ध नहीं होती है। अगर आप चाहें तो आप अपनी ग्राइप वाटर घर में भी बना सकतीं हैं। इसके लिए सौंफ, अदरक और चमोमिल को थोड़े से पानी में उबाल कर ठंडा करके अपनी बच्चे को दें। छोटे और बड़े बच्चों पर इसका तुरंत असर होता है।
6. अगर आपके बच्चे को उल्टी जैसा महसूस हो रहा है तो उसे अदरक की टॉफी बना कर दें तो वह इसे शौक से खा लेंगे और पेट में भी आराम आ जाएगा।
7. छोटे बच्चों का अपच दूर करने के घरेलू उपाय के लिए एक दो चम्मच में शहद में एक चम्मच दालचीनी का पाउडर मिला कर उसे अपने बच्चे को देंगी तो आपके बच्चे के दुखते पेट को तुरंत आराम आएगा। लेकिन इस बात का ध्यान रखें की यह उपाय एक वर्ष से ऊपर के बच्चों के लिए है क्यूंकी नवजात शिशु के लिए कई बार शहद सेहतमंद नहीं होता है।
8. वैसे तो छोटे बच्चों को सादे दूध से भी पेट की तकलीफ में आराम आ जाता है। लेकिन अगर आप थोड़े गरम दूध में दालचीनी और शहद भी देंगी तो इससे पेट में उठने वाले मरोड़ में तुरंत आराम आ जाएगा।
9. छोटे और नवजात शिशुओं के अपच की परेशानी को दूर करने के उपाय के लिए आप पिपरमेंट तेल का भी उपयोग कर सकतीं हैं। इससे उनका हाजमा भी ठीक होगा और उल्टी के अहसास में भी कमी आएगी। इसके लिए आप थोड़ी सी रुई लेकर उसमें पिपरमेंट तेल लेकर बच्चे के पालने के किनारे पर लगा दें। इससे पिपरमेंट की गंध हवा में घुलकर बच्चे के दुखते पेट को आराम देगी।
10. अगर आप अपने बच्चे के पेट पर सौंफ के तेल का लेप करेंगी तो उससे भी उसे आराम आएगा। थोड़े से नारियल के तेल के साथ सौंफ के तेल की मालिश बच्चे के पेट पर करने से उसे अपच की तकलीफ में आराम आएगा।
बच्चों को अपच की तकलीफ से कैसे बचाएं :
छोटे बच्चों और नवजात शिशु को अपच से बचाने के उपाय के रूप में आप निम्न घरेलू नुसख़ों को आजमा सकतीं है:
• बच्चों का अपच दूर करने के उपाय के रूप में छोटे बच्चों को एक साथ न खिलाकर बल्कि थोड़ा-थोड़ा और कम मात्रा में खिलाएँ।
• इस बात का ध्यान रखें की रात को बच्चे के सोने से 2-3 घंटे पहले उसे रात का खाना दें।
• जब बच्चा खाना खा ले तो उसे या तो आराम करने दें या फिर हल्का फुल्का खेल खेले जिससे खाया हुआ खाना आसानी से पच सके।
• बहुत छोटे बच्चों को बाज़ार से लाया हुआ जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक या अधिक मात्रा में चॉकलेट न दें ।
• बच्चों में खाना खाते समय टीवी देखने की आदत न डालें बल्कि इसके स्थान पर वो आराम से मेज पर बैठकर और धीरे-धीरे खाएं।
• बच्चे खाने को अच्छी तरह से चबा कर और आराम से बैठ कर खाएं, इस बात का भी ध्यान रखें।
डॉक्टर के पास कब जाएँ :
जैसा की आप जानते हैं की कई बार बच्चों के पेट का हाजमा बिगड़ने का कारण केवल अपच ही नहीं होता, बल्कि किसी दूसरी बीमारी जैसे अपेंडिसाइटिस, आंत संबंधी रोग, किसी खाने से एलर्जी आदि का लक्षण भी हो सकता है। इसके अतिरिक्त दूध पीने वाले बच्चे पूरी तरह से माँ के खाने पर निर्भर होते हैं। इसलिए दूध पिलाने वाली माँ को अपने खाने का भी ध्यान रखना चाहिए जिससे उनके शिशु को किसी प्रकार की कोई तकलीफ न हो। इसके साथ यदि आपके जिगर के टुकड़े को निम्न में से कोई भी लक्षण दिखाई देता है तो आप बिना देर करे डॉक्टर के पास जाएँ :
• उल्टी या बहुत ज़ोर लगाकर और बहुत ज़ोर से उल्टी का होना;
• उल्टी या मल में कुछ रक्त के निशान मिलना;
• भूख खत्म होना;
• सांस लेने में तकलीफ होना ;
• मल का रंग काला होना
अपच की परेशानी हम सब को कभी न कभी होती ही है लेकिन बच्चे इस परेशानी को झेलने में असमर्थ होते हैं। इसलिए जैसे ही आपको अपने बच्चे की अपच की तकलीफ के बारे में पता चले आप अपच दूर करने के घरेलू उपायों से उसके यह तकलीफ दूर कर सकतीं हैं। यकीन करें, अगर समस्या गंभीर नहीं होगी तो आपका नन्हा शिशु और छोटा बच्चा तुरंत ही अपनी मुस्कान वापस ले लेगा ।
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