गर्मी अपने चरम पर है। बच्चों की स्कूल की छुट्टियां शुरू हो चुकी है। और यह समय मज़े और आराम करने का है! चाहे आप घर पर गर्मी की छुट्टियाँ बिता रहे हों या किसी अच्छी सी लोकेशन पर , आपके बच्चों के पास ढेर सारी मस्ती करने का बहुत समय होगा ! और यह हम माता पिता की जिम्मेदारी है कि वे गर्मियों में होने वाली आम स्वास्थ्य समस्याओं से बचे रहे और उनकी सेहत अछी बनी रहे। इसलिए हम लाये है गर्मियों में बच्चों को होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव के 10 उपाय
भारत के ज़्यादा हिस्से में उष्णकटिबंधीय जलवायु पायी जाती है और इसमें चरम ग्रीष्मकाल शामिल है। भारतीय ग्रीष्मकाल मे गर्मी के साथ-साथ तीव्र उमस पायी जाती है, जो दोनो ही बच्चों में कुछ स्वास्थ्य समस्याओं के लिए जिम्मेदार हैं! चूंकि रोकथाम ही इलाज है, इसलिए बच्चों में होने वाली गर्मियों की सबसे सामान्य स्वास्थ्य चिंताओं के बारे में माता पिता को बताया जाना बेहतर है, ताकि आप पर्याप्त सावधानी बरत सकें। क्यूकि सचेत ही सबल होता हैI
गर्मियों में बच्चों को होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव के 10 उपाय
1.निर्जलीकरण (dehydration)
गर्मियों में बच्चों में निर्जलीकरण या डिहाइड्रेशन प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है, मुख्यतः क्योंकि वे खेलने में इतने व्यस्त होते हैं, कि वे बस पीना भूल जाते हैं। हमे ऐसा लगता है कि वो सामन्य से अधिक तरल पदार्थ ले रहे है , लेकिन बच्चे के शरीर को इस गर्मी में जितना पानी चाइये उससे कम ही होता है। अगर वे नियमित रूप से बाहर खेलते हैं, जहां उन्हें बहुत पसीना आता है तो डीहाइड्रेशन होने का खतरा और ज्यादा हो जाता है । निर्जलीकरण के संकेतों में अत्यधिक प्यास, थकान और बहुत कम मूत्र आना शामिल हैं। ऐसी स्थिति में, उन्हें पानी, मौखिक पुनर्जलीकरण समाधान (oral rehydration solution) या नारियल पानी दें – ये पसीने के माध्यम से खोए गए खनिजों और लवणों को ठीक करने में मदद करते हैं।
2.सनबर्न
कई लोग सन टैन और सनबर्न शब्द का परस्पर उपयोग करते हैं लेकिन वे बहुत अलग हैं। सूरज के संपर्क में आने से त्वचा टैन होती है , लेकिन इसमें आमतौर पर सिर्फ मेलेनिन पिगमेंट प्रभावित होता है। सनबर्न अधिक गंभीर होते हैं, और लाल दिखाई देते हैं और खुजली या छाले का कारण बन सकते हैं। इससे बचाव के लिए बच्चों को सुबह 11:00 बजे से दोपहर 3:00 बजे तक बाहर ना जाने दे क्योंकि सूरज की किरणें सबसे तिखी इसी समय होती हैं और जब भी वे बाहर जाते हैं तो उन्हें धूप से बचाव के लिए टोपी पहनाये। अगर डॉक्टर का परामर्श लेना हो तो शॉवर लेने के बाद डॉक्टर के पास जाना सबसे अच्छा है।
- सनटैन से बचाव के लिए हमेशा धूप में निकलने से पहले सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें।
- क्रीम को शरीर के अंगों पर अच्छे से लगाएं, उन हिस्सों पर भी लगाये , जहा पर क्रीम लगाना मुश्किल है जैसे कि कान का पिछला हिस्सा, गर्दन का पिछला भाग, पीठ आदि।
- बाहर जाने से कम से कम 15 मिनट पहले सनस्क्रीन लगाएं।
- सनस्क्रीन के साथ कीट से बचाने वाली क्रीम को मिक्स ना करें।
- यदि आपका बच्चा 2 घंटे से अधिक समय तक धूप में रहता है तो दोबारा सनस्क्रीन लगाये और यदि वह गीला है, तो पसीना पोंछकर और सुखा कर क्रीम को फिर से लगाएं।
3.तापघात (Heat Stroke)
हीट स्ट्रोक सनबर्न का अगला स्तर हैं, और यह कहीं अधिक गंभीर हैं। यह एक गभीर स्थिति है जिसमें तुरंत डॉक्टर से संपर्क किया जाना चाइये। यह बच्चों के लिए बहुत आमतौर पर होने वाली समस्या नहीं है क्योंकि यह अत्यधिक तेज गर्मी में रहने से होता है, लेकिन यह तब भी संभव है जब आपके बच्चे लंबे समय तक तेज सूरज की रौशनी में बाहर रहें। तेज़ भुखार, चक्कर आना, तेजी से सांस लेना और हृदय गति में वृद्धि हीट स्ट्रोक या सन स्ट्रोक के कुछ संकेत है। गर्मियों के मौसम में,आउटडोर खेलों को प्रतिबंधित करना सबसे अच्छा है, या सिर्फ सुबह और देर शाम को ही बच्चों को बहार खेलने दिया जाना चाइये।
4.एलर्जी
हर मौसम अपने साथ कुछ न कुछ एलर्जी के कारक लेकर आता है, और गर्मी भी इससे अछुती नहीं है! वातावरण में पराग की संख्या बढ़ रही है और इनहेलेंट एलर्जी का स्तर भी। परागज ज्वर के समान परागज एलर्जी सबसे आम है, जिससे छींके आती है और नाक में जलन होती है। बच्चे ज्यादातर स्कूल से घर आते हैं और बाहर खेलने जाते हैं, जिससे एलर्जी के सम्पर्क मे आने का खतरा ज़्यादा बड जाता हैं। इसके अलावा ऐसे स्थान पर छुट्टियां बिताना जहाँ पॉलेन (पराग ) की संख्या वातावरण में ज्यादा हो तो यह एलर्जी के लक्षणों को और बढ़ा सकता है। एंटीथिस्टेमाइंस को हमेशा अपने साथ रखे और एलर्जी ट्रिगर करने वाली चीज़ों से कम से कम संपर्क में आएं ।
5.फफुंदीय संक्रमण (Fungal Infections)
भारत की गर्मी अपने अत्यधिक उमस के लिए जानी जाती है, इसलिए पसीना आना स्वाभाविक है। दुर्भाग्य से, यह फंगल संक्रमण के लिए एकदम सही वातावरण है।फंगल इन्फेक्शन आमतौर पर पैर की उंगलियों और शरीर की सिलवटों या क्रीज ,अंडरआर्म्स, ग्रोइन एरिया, जिन्हें ज्यादा हवा नहीं मिलती है , वहां होता है । इन्फेक्शन के स्थान पर लगातार खुजली और लालिमा होना इसका प्रमुख लक्षण है। हर समय अच्छी स्वच्छता बनाए रखना और साफ, सूखे कपड़े पहनना महत्वपूर्ण है। बाहर खेलने या तैरने के बाद विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
बच्चों के साथ पालन करने के लिए कुछ उपयोगी टिप्स हैं
- खेलने के बाद हमेशा हाथ-पैर धोएं।
- पसीने से सने कपड़ों को बार-बार बदलें।
- बच्चों को शर्ट, जूते आदि जैसे कपड़े साझा करने की अनुमति न दें
- बच्चों को आवारा जानवरों से दूर रखें।
6.चुभती गर्मी (Prickly Heat)
चुभती गर्मी से घमोरिया होना ,भारत में बच्चों के लिए गर्मियों मे होने वाली स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों मे से सबसे आम है और इसका कारण है ज़्यादा पसीने से ग्रंथियों का अवरुद्ध होना है। बड़े बच्चों को यह ज्यादा होती है क्यूंकि उनकी पसीने की ग्रंथियां अविकसित होती है. यह आमतौर पर पीठ, पेट या बाहों पर पर छोटे उभरे हुए धब्बों के रूप में दिखाई देती है। इसमे खुजली होती है और कुछ मामलों में, हल्की लालिमा बनी रह सकती है। यह गंभीर नहीं है, पर इसके कारण बहुत असुविधा होती है। बच्चों के लिये सुरक्षित प्रिक्क्ली हीट पाउडर के उपयोग से राहत मिलती है। बच्चों को ठंडे वातावरण में रखकर इसे रोकना बेहतर है।
बच्चों को घमोरियों से कैसे बचाएँ ?
- बच्चे को मुलायम हल्के सूती कपड़े पहनाएं।
- यदि आपके बच्चे को गर्मी के कारण घमोरिया हो गयी है, तो उसे गुनगुने पानी से नहलाएं और त्वचा को कुछ समय के लिए खुला छोड़ दें।
- यह भी सुनिश्चित करें कि बच्चों मे पानी की पर्याप्त मात्रा बनी रहे है।
7 . दंश (Insect Bites)
कई कीड़े गर्म और आर्द्र जलवायु पसंद करते हैं, इसलिए गर्मिया उनका पसंदीदा मौसम होती है! चूंकि बच्चे गर्मियों में अधिक बाहर खेलते हैं, इसलिए कीड़े के काटने की आशंका भी बढ़ जाती है। वेंटिलेशन के लिए खिड़कियों को खुला छोड़ना भी कीड़ों को घर के अंदरआमंत्रित करता है। आम कीड़े जो काटते हैं वे मच्छर, टिक, मधुमक्खी और ततैया होते हैं। हालांकि यह बहुत गंभीर नहीं है, कुछ के काटने से एलर्जी की प्रतिक्रिया हो सकती है, इस मामले में तत्काल चिक्त्सक ध्यान देने की आवश्यकता होती है। किसी भी अज्ञात कीड़े के काटने पर डॉक्टर को दिखाए।
8.आंख में जलन
गर्मियों के दौरान सूरज की किरणें सबसे तेज होती हैं और इसका असर आंखों पर भी पड़ता है। भीषण गर्मी के सीधे संपर्क में आने से छोटे बच्चों की आँखों को चोट पहुँच सकती है और जलन और सूखापन हो सकता है। एक अन्य करण ,बच्चों को अतिरिक्त स्क्रीन यानि की टीवी और मोबाइल पर बिताया जाने वाला समय है जो छुट्टियों के दौरान मिलता है, जिससे आंखों में अधिक सूखापन होता है। घर पर स्क्रीन के समय को प्रतिबंधित करें और बाहर जाने पर, बच्चों को यूवी संरक्षण की परत वाला धूप का चश्मा और बडी तने वाली टोपी पहनाएं।
9 . बाहरी कान का संक्रमण (Swimmer’s Ear)
ग्रीष्म ऋतु का अर्थ है तैराकी का समय, और छोटे बच्चों के लिए पूल में घुसने का यह सही समय है! लेकिन पूल में बहुत अधिक समय रहने सेबच्चे के कान के बाहरी हिस्से में पानी भर सकता है जिससे बैक्टीरिया का विकास होता है और से “Swimmer’s Ear” नामक संक्रमण होने की आशंका बढ़ जाती है। इस्मे दर्द होता है और आमतौर पर यह खुजली के साथ शुरू होता है। एक बार यह संक्रमित हो जाने पर बाहरी कान को छूने भर से बहुत दर्द होता है। ऐसे स्थिति में तुरंत डॉक्टर को दिखाएं वह आपको कान में डालने की दवाई प्रेसक्राइब करेंगे। आप तैरने वाले टोपी के साथ कानों को कवर करके संक्रमण से बच सकते हैं।
10.अतिसार (Diarrhea)
आमतौर पर भोजन या जल जनित रोगों के कारण गर्मी में अतिसार हो जाता है। बड़े बच्चों के लिए यह बहुत गंभीर नहीं है , लेकिन शिशुओं के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। गर्मियों का अर्थ है पानी की कमी, जिसका अर्थ है कि आप जो खाना बाहर से खा रहे हैं वह बिना धुली प्लेटों में परोसा जा सकता है। बाहर के जूस पीने की भी प्रवृत्ति होती है जो अशुद्ध पानी से बने होते है। गर्मियों के दौरान बच्चों की डाइट पर कड़ी नज़र रखें और जितना हो सके घर पर बना खाना खिलाने की कोशिश करें। छुट्टी के समय, गंदगी भरे स्थानों मे जाने से बचें और गर्म, पकाया भोजन और बोतलबंद पानी का ही सेवन करें ।
गर्मियां मौज-मस्ती और विश्राम का समय होता है और स्कूल शुरू होने से पहले रिचार्ज करने का समय होता है। बच्चों के लिए सामान्य गर्मी से सम्बंधित स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं से अवगत होकर, आप उन्हें रोकने के लिए कदम उठा सकते हैं। अपने बच्चों को उनकी छुट्टियों का आनंद लेने दें और आप भी, उनके स्वास्थ्य की चिंता किए बिना इस समय का आनन्द उठाए।
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