आज के समय में आधुनिकता ने कितना ही समाज का रूप बदल दिया हो, लेकिन एक बात सदियों से चली आ रही है जिसमें कोई परिवर्तन नहीं आया है। आज भी हर माँ, चाहे वो विश्व के किसी भी हिस्से की हो, अपने बच्चे के वजन के सही ढंग से न बढ्ने को लेकर परेशान रहती है। उनके अनुसार वो चाहें कितना भी कोशिश कर लें लेकिन उनके बच्चे का वजन नहीं बढ़ता है। इसका सबसे बढ़ा कारण यह है की दुनिया की प्रत्येक माँ एक गोल मटोल बच्चे को ही स्वस्थ होने की निशानी मानतीं हैं और इस कमी को पूरा करने के लिए वो हर संभव प्रयास करतीं हैं। उस समय वे यह तथ्य भी भूल जातीं हैं की अधिकतर बच्चों की शारीरिक संरचना उनके परिवार के जिंस पर भी आधारित होती है।
इसलिए ऐसी हर माँ के लिए एक सुझाव है की आप अपने बच्चे के स्वास्थ्य को देखें न की वजन तोलने वाली मशीन के कांटे पर नजर रखें। शायद आपको यह बात इतनी सरल न लगे। तो इसके लिए आप नीचे दिये हुए चार्ट के अनुसार अपने बच्चे के वजन को आंक सकतीं हैं:
आयु के अनुसार बच्चों का वजन कितना होना चाहिए (bachon ka vajan):
- तीन महीने तक हर बच्चे का वजन 175 से 210 ग्राम प्रति सप्ताह बढ़ता है
- 5 माह तक जन्म के समय का वजन दुगुना हो जाता है
- आगे एक साल तक हर महीने 400 ग्राम वजन बढ़ता है
- एक वर्ष का होने तक जन्म के समय का वजन तिगुना हो जाता है
- दो वर्ष का होने तक 4 गुना
- 3 वर्ष का होने तक 5 गुना
- 5 वर्ष का होने तक 6 गुना
औसत रूप से 3 वर्ष से 7 वर्ष होने तक हर बच्चा हर वर्ष 2 किलो तक के वजन से बढ़ता है और उसके बाद वयस्क होने तक हर वर्ष 3 किलो वजन बढ़ता है।
बच्चों के वजन को बढ़ाना चाहतीं हैं तो :
• प्रति सप्ताह अपने बच्चे के लिए कुछ नया बनाएँ और उसके बाद थोड़ा धैर्य रखें, एकदम से यह अपेक्षा न करें की बच्चे वजन तेज़ी से बढ्ने लगेगा ;
• जब तक आपका शिशु स्तन पान करता है तो यही दूध उसका वजन बढ़ाने में सहायता करता है
जब आपका नन्हा बच्चा ठोस आहार लेना शुरू कर देता है तो आप उसे खाने के लिए निम्न आहार दे सकतीं हैं। लेकिन कुछ भी नया खाना देने से के बाद उसको तीन दिन तक उसका असर देखें की कहीं इस खाने से कोई एलर्जी तो नहीं है। इस नियम को तीन दिन के नियम से भी जाना जाता है।
छोटे बच्चों और शिशुओं के वजन बढ़ाने में सहायक 20 सुपर गुणकारी भोजन:
1. दूध:
जब तक आपका शिशु स्तनपान कर रहा है तो एक वर्ष तक इससे अच्छा और कोई भोजन नहीं है उसके लिए । उसके बाद दिन में 3 बार गाय का दूध दिया जा सकता है।
2. हाई कैलोरी एनर्जी देने वाला भोजन:
जब आप बच्चे को हाई एनर्जी भोजन करने को देते हैं तो इससे बिना अतिरिक्त फैट बढ़ाए उनका वजन आसा
नी से बढ़ सकता है। लेकिन यदि बच्चों को ऐसा खाना दिया जाता है जिससे पोषण के स्थान पर उनके शरीर में फैट की वृद्धि होती है तो उनकी खाने की आदतें खराब हो सकतीं हैं जिन्हें बाद में ठीक करने में परेशानी होती है।
3. केला :
छह महीने के उपरांत बच्चे को केला खाने के लिए दिया जा सकता है। केले में फाइबर, पोटेशियम, विटामिन सी और विटामिन बी 6 प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
आठ महीनों से पहले बच्चे को केले की प्यूरि बना कर दी जा सकती है और उसके बाद पेनकेक, दलिया या फिर बनाना मफिन के रूप में दिया जा सकता है।
अगर आप बच्चे को सर्दी में केला देने से डर लगता है तो कच्चे केले का पाउडर भी दिया जा सकता है जो पोषक भी होता है और इससे बच्चों का वजन भी बढ़ सकता है।
4. आड़ू :
जब बच्चा छह महीने का हो जाता है तो उसे आड़ू भी दिया जा सकता है। आड़ू में प्रचुर मात्रा में फाइबर, नियासिन , विटामिन ए, और विशेषकर विटामिन सी होता है।
इस अवधि में बच्चे को आड़ू का रस निकाल कर दिया जा सकता है और एक वर्ष के बाद मिल्क शेक या स्मूदी के रूप में दिया जा सकता है ।
5. नाशपाती :
बच्चों को नाशपाती एक ठोस पोषक और वजन बढ़ाने वाले भोजन के रूप में बहुत आसानी से दी जा सकती है। नाशपाती में आयरन, फाइबर, विटामिन बी 6 और विटामिन सी अधिकतम मात्रा में होती है।
6. मटर :
मटर को भी बच्चों में पोषण और वजन बढ़ाने में सहायक भोजन के रूप में एक बहुत अच्छा स्त्रोत माना जाता है। इसमें फाइबर, थियमीन, विटामिन सी, मैगनिशीयम , नियासिन, फास्फोरस,विटामिन ए और बी 6 अच्छी मात्रा में होते हैं।
मटर को प्यूरि , खिचड़ी और सूप के रूप में बच्चों को दिया जा सकता है।
7. शकरकंद:
छोटे बच्चों के लिए शकरकंद प्रथम आहार के रूप में सबसे बढ़िया आहार है। छह महीने के बाद इसे बड़ी आसानी से बच्चों को दिया जा सकता है।
शकरकंद में फैट बहुत कम मात्रा में होती है लेकिन इसमें फाइबर, मैगनिशीयम, विटामिन बी 6, विटामिन ए और विटामिन सी बहुत अच्छी मात्रा में होती हैं। इसे प्यूरि, खिचड़ी, सूप और पेनकेक के रूप में दिया जा सकता है।
8. मांस:
मांसाहारी भोजन में चिकन छोटे बच्चों को पोषण बहुत सरलता से दिया जा सकता है। इसमें चिकन बच्चों को आठ महीने के बाद दिया जा सकता है। चिकन में नियासिन, फोसफोरेस, मैगनिशीयम, विटामिन बी 6 और विटामिन बी 12 और कोलेस्टरोंल काफी अच्छी मात्रा में होते हैं। इसलिए सप्ताह में एक बार छोटे बच्चों को चिकन बहुत आसानी से दिया जा सकता है।
चिकन को उबाल कर या प्यूरि, स्ट्यू, सूप, चावल आदि के रूप में भी दिया जा सकता है। इसके अलावा चिकन का स्टॉक बना कर इसे किसी भी दूसरी डिश में मिला कर दिया जा सकता है।
9. घी:
भारतीय खाने में देसी घी वजन बढ़ाने का बहुत अच्छा स्त्रोत माना जाता है। बच्चे के सात महीने के बाद उसके खाने में एक बड़ा चम्मच घी मिलाकर दिया जा सकता है। लेकिन इसकी शुरुआत धीरे-धीरे करनी चाहिए। इसके लिए बच्चे के खाने में थोड़ा-थोड़ा घी मिलाकर दें और बार में उसकी मात्रा बढ़ाएँ। कुछ बच्चे घी थोड़ा देर से हजम करते हैं। इसलिए इसका उपयोग ध्यान से करें। अच्छा होगा अगर बच्चों को घर का बना शुद्ध घी ही खिलाएँ।
10. चीज़:
जब आपका बच्चा आठ महीने का हो जाता है तो उसे खाने में चीज भी दी जा सकती है। चीज में फास्फोरस, कैल्शियम और सेलेनियम बहुत अच्छी मात्रा में होती है ।
बच्चों को चीज ऐसे ही खाने के लिए दी जा सकती है। इसके अलावा फ्रूट सलाद में भी चीज का उपयोग करके बच्चों को दिया जा सकता है।
11. मेवा:
बादाम, पिस्ता, अंजीर, काजू आदि मेवे बच्चों में ताकत देने वाले भोजन माने जाते हैं। बच्चों को देने के लिए इन मेवों का पाउडर बना कर सभी खानों में मिलाया जा सकता है। इसके अलावा बादाम का दूध, मेवे की चौकलेट और मेवे के लड्डू बना कर भी दिये जा सकते हैं।
यह भी याद रखें की मेवे के पाउडर कुछ बच्चों में एलर्जी कर सकता है इसलिए आप तीन दिन वाले नियम को भी याद रखें।
12. साबुत गेहूं :
बहुत से लोग साबुत गेहूं को वजन बढ़ाने वाला नहीं मानते हैं लेकिन कुछ बच्चों में साबुत गेहूं से वजन बढ्ने की प्रवृति देखी गयी है। साबुत गेहूं में फाइबर और कम चिकनाई होती है।
जब बच्चों को साबुत गेहूं देना हो तो इसके लिए अनाज, सोया दलिया, खीर, पेनकेक, दलिया, बादाम दलिया आदि के साथ मिलाकर दिया जा सकता है।
गेहूं का दूसरा रूप दलिया जिसे बाजार में इसटेंट फूड के रूप में मिलने वाले भोजन के रूप में भी दिया जा सकता है। यह इसटेंट फूड अलग-अलग स्वादों जैसे इलायची, मूंग-दाल आदि के साथ भी आता है।
13. ओट्स:
एक और भोजन है जिससे बच्चों का पोषण और वजन दोनों बढ़ता है, इसे ओट्स कहते हैं। ओट्स में चिकनाई कम मात्रा में होती है और कोलेस्ट्रॉल, मैगनिशीयम, मैंगनीज, थियमीन और फास्फोरस बहुत अधिक मात्रा में होते हैं। ओट्स में प्रोटीन के बराबर के पोषक तत्व होते हैं। ओट्स दलिया, खीर, पेनकेक और फ्रूट डोसा के रूप में दी जा सकती हैं ।
14. एवोकादो :
जब बच्चा छह महीने का हो जाता है तो उसे एवोकादो दिया जा सकता है। इस फल में फाइबर अधिक और चिकनाई कम होती है।
इसको प्यूरि और बच्चे के एक वर्ष के बाद दूध में शेक या स्मूदी के रूप में दिया जा सकता है।
15. रागी:
बच्चों में वजन बढ़ाने के लिए रागी एक सर्वोत्तम आहार है। इसमें फाइबर, प्रोटीन , विटामिन बी 1,बी 2 और बी 6 अच्छी मात्रा में होते हैं ।
रागी को दलिया, केक, डोसा, इडली, लड्डू, खीर, रोटी या कुकीज़ के रूप में दी जा सकती है ।
अंकुरित रागी का पाउडर भी बच्चों को पोषक भोजन के रूप में दिया जा सकता है। यह ऑनलाइन भी खरीदा जा सकता है।
16. घर में बना सेरेलेक:
घर में बनाया हुआ सेरेलेक भी बच्चों में पोषण और वजन बढ़ाने वाला भोजन माना जाता है। इसमें अनाज, मेवा, दालें आदि मिलाकर एक सम्पूर्ण आहार का रूप दिया जा सकता है।
17. ऑलिव तेल :
बच्चों को ऑलिव ऑयल देना इसलिए लाभकारी होता है क्यूंकी इसमें संतुलित चिकनाई वाला दूसरे सभी तेलों में सर्वोत्तम माना जाता है। बच्चे का खाना बनाने के लिए किसी भी अच्छी कंपनी के ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल किया जा सकता है।
18. आलू :
बच्चों के लिए सबसे पहला आहार आलू ही माना जाता है। नरम होने के कारण इसको आसानी से मसलकर खिलाया जा सकता है और इसके खाने से बच्चे को किसी प्रकार की एलर्जी भी नहीं होती है। शुरू में बच्चों को थोड़ी मात्रा में आलू दिया जा सकता है जिससे उन्हें पेट में गैस की शिकायत न हो।
आलू में खनिज, विटामिन के अलावा कैरोटेनोयड्स और प्राकृतिक फिनोयल जैसे पादप रसायन भी होते हैं। आलू में सबसे अधिक कार्बोहाइड्रेट होता है।
आलू को खिचड़ी, सूप या प्यूरि के रूप में दिया जा सकता है ।
19. अंडा :
बच्चे के आठ महीने के बाद उसे अंडा आसानी से दिया जा सकता है। इसे उबाल कर, तल कर भी दिया जा सकता है। इसके अलावा अंडे को पेनकेक, चावल,पुडिंग या टोस्ट के साथ बना कर दिया जा सकता है। कुछ बच्चों को अंडे के सफ़ेद भाग से परेशानी हो सकती है, इसलिए अगर ऐसा महसूस हो तो देख भाल कर दें।
20. नारियल तेल :
नारियल तेल में खाना पकाने से बच्चे खाना आसानी से पचा भी लेते हैं और उनका वजन भी आसानी से बढ़ जाता है।
21. मल्टीग्रेन हैल्थ ड्रिंक पाउडर:
बच्चों को घर का बना मल्टीग्रेन हैल्थ ड्रिंक पाउडर भी दिया जा सकता है। इसके लिए साबुत अनाज और दालों को मिलाकर एक पोषक हैल्थ ड्रिंक पाउडर बहुत आसानी से बनाया जा सकता है। जिससे बच्चों में पोषण और वजन दोनों को सरलता से बढ़ाया जा सकता है।
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Kailash says
Thank you sir
Kailash says
Thank you maim
Sonu says
Sir 8yrs ke bacche ka Bazan kaise badhaye