आपने शायद अपने डॉक्टर के क्लिनिक में या अपने बच्चे के स्कूल से deworming के बारे में सुना हो। हम में से बहुत से लोग इसे जरुरी नहीं समझते और ऐसा सोचते है कि यह सिर्फ ग्रामीण और पिछले इलाकों की समस्या है। लेकिन ये सच नहीं है। बच्चों के पेट में कीड़े – कारण, उपाय ,बचाव इस विषय पर यहाँ हम पूरी जानकारी देंगे।
भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 10 फरवरी को National deworming day (राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस) घोषित किया है. इस पहल का उद्देश्य 1-19 वर्ष के बच्चों को कृमि मुक्त (पेट में होने वाले कीडे से मुक्त )बनाना है। यह अभियान स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों का उपयोग करता है ताकि हर बच्चा शिक्षा से समझौता किए बिना एक स्वस्थ जीवन जी सके।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार,दुनिया भर में कुल 836 मिलियन बच्चों में परजीवी आंतों के कीड़े होने का खतरा है। भारत में 1 से 14 वर्ष के बीच के 241 मिलियन बच्चों को पेट में कीड़े होने की समस्या है। ये कीड़े एनीमिया और कुपोषण का कारण बन सकते हैं, जो शारीरिक और मानसिक विकास को प्रभावित करते हैं।
यह मानव शरीर में आंतों में रहता है और मानव शरीर के लिए बने पोषक तत्वों का उपभोग करता है। ये प्रत्येक दिन हजारों अंडे का उत्पादन करते हैं, जो मल में पारित होते हैं और सार्वजनिक शौचालय के लिए उपयोग किए जाने वाले क्षेत्रों के जरिये दूसरों में फैल जाते हैं।
कृमि संक्रमण(पेट में कीड़े) कैसे होता है ?
जब हम कृमि संक्रमण(पेट में होने वाले कीडों)की बात करते हैं, तब हम हेल्मिन्थ्स (helminths) नामक कीड़े की बात करते हैं। जब ये मृदा से दूषित मिट्टी के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है , तो उन्हें मृदा संचरित हेल्मिन्थ (Soil Transmitted Helminths) या आंतों के कीड़े कहा जाता है।
अन्य प्रकार के कीड़े जो मनुष्यों को संक्रमित करते हैं वे हैं roundworm,whipwormऔर hookworm .
पेट में कीड़े इसके अंडे , लार्वा या कीड़े को किसी भी माध्यम से निगलने के कारण होते है। यह संक्रमण मानव मल में उत्सर्जित अंडे से फैलता है जो कि पर्याप्त स्वच्छता की कमी वाले क्षेत्रों को दूषित करते हैं। यह निम्नलिखित तरीकों से हो सकता है –
- दूषित पानी पीने से
- अधपका भोजन खाने से
- बिना धोयी या अच्छी तरह से छिलका ना उतरी गयी सब्जयों या फल के सेवन से
- दूषित बर्तन का उपयोग करने से
- संक्रमित पालतू जानवरों की संभाल करने से
- शौच के बाद हाथ नहीं धोने से
- त्वचा के जरिये सीधे प्रवेश – नंगे पैर चलने से
कीड़े जीवित रहने के लिए मानव आंत में रहते हैं और प्रत्येक दिन हजारों अंडे पैदा करते हैं जो मानव मल के जरिये बाहर निकलते है । संक्रमित लोग जो बाहर खुले में शौच करने जाते हैं, वो मिट्टी में अंडे फैलाते हैं।
कृमि संक्रमण(पेट में होने वाले कीडों)के प्रभाव क्या हैं?
आंतों में रहने वाले कीड़े शरीर के अंगों को तो खाते ही है साथ ही रक्त भी पीते हैं। जिस कारण संक्रमित व्यक्ति को सारे पोषक तत्व नहीं मिलते हैं। एक संक्रमित व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षण दिखा सकते हैं –
- स्कूल में एकाग्रता में कमी
- दैनिक कार्यों को करने में कठिनाई
- भूख कम लगना और भोजन का सेवन कम होना
- वजन में कमी
- पेट में दर्द
- गुदा(anus) के आसपास लालिमा या दाने
- दस्त
- शारीरिक और मानसिक विकास में कमी
- आयरन, प्रोटीन और विटामिन ए की कमी
इस संक्रमण की पुष्टि फेकल टेस्ट, एंडोस्कोपी, रक्त परीक्षण, टेप परीक्षण या अन्य इमेजिंग परीक्षणों से की जा सकती है।
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बच्चों के पेट में कीड़े – कारण, उपाय ,बचाव
बच्चों को बचाने के लिए deworming एक रोगनिरोधी उपाय है।डब्ल्यूएचओ समय-समय पर एंटीहेल्मिन्थिक्स (ड्रग्स जो कृमि संक्रमण का इलाज करता है) को उन सभी बच्चों को देने के लिए कहता है जो कृमि संक्रमण के कारण जोखिम में हो सकते हैं। डब्लूएचओ के अनुसार, विकासशील देशों में पूर्वस्कूली बच्चे (2-5 वर्ष की आयु), स्कूली उम्र के बच्चे और गर्भवती महिलाएं (दूसरी और तीसरी तिमाही) जोखिम मे हो सकती हैं उन्हें ये दवा अवशय लेनी चाइये।
डीवर्मिंग (deworming)के लिए दवाएं
- 1 वर्ष से कम आयु के शिशुओं को दवाई नहीं देनी चाहिए।
- 13 से 23 महीने की उम्र के बच्चों के लिए, दवाई 200mg है। (एक खुराक)
- 2 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए, दवाई 400mg है। (एक खुराक)।
- आपके क्षेत्र में बीमारी की गंभीरता के आधार पर दवाई साल में एक या दो बार दी जा सकती है।
- deworming के साइड-इफेक्ट्स बहुत कम है, यह सुनिश्चित करें कि आपके बच्चों को साल में कम से कम एक बार हेल्मिंथियासिस से बचाव के लिए deworm किया जाए।
पेट के कीड़ों को दूर करने के घरेलू उपाय
- लहसुन: लहसुन की दो कलियों को दूध में मिलाएं। दूध को उबालकर और छानकर रोज़ सुबह पिए.
- कच्चा पपीता: कुछ कच्चे पपीते को पीस लें और ब्लेंड करें। कद्दूकस किए हुए पपीते और शहद दोनों का एक एक टेबलस्पून मिलाएं और गर्म दूध में मिलाएं। रोज सुबह खाली पेट पिएं।
- कद्दू के बीज:कद्दू के बीज को कुछ मिनट के लिए पानी में उबालें.और इसे ऐसे ही रहने देI बाद में छानकर पिये
- करेला: करेले का रस निकाल कर शहद और गर्म पानी में मिलाए और दिन में एक-दो बार पियें।
- नीम:नीम के पत्तों का पेस्ट बनाएं और गर्म पानी में मिलाएं. रोज सुबह खाली पेट पिएं।
- हल्दी : एक गिलास छाछ में थोड़ी सी हल्दी मिलाएं और हर दिन पिएं
- अजवाइन: एक चम्मच अजवायन को 4-5 मिनट के लिए पानी में उबालें। ठंडा करें और दिन में कुछ बार पिएं
कृपया ध्यान दें कि ये घरेलू उपचार दवाओं के विकल्प नहीं हैं
कृमि संक्रमण (पेट में होने वाले कीडों)को रोकने के तरीके
1. जहाँ तक हो सके.स्वच्छता रखें. खाने से पहले और शौच के बाद हाथ धो लें
2. बच्चों को हैप्पी बर्थडे गाने में जितनी देर लगती है, उतनी देर के लिए उनके हाथ धोएं
3. खाने से पहले सभी फलों और सब्जियों को साफ पानी में धो लें
4. खाना अच्छी तरह से पकाए,विशेष रूप से मांस
5. केवल उबला हुआ पानी पिएं, सार्वजानिक जगहों पर लगे नलों से पानी पीने से बच्चे ।
6. स्वच्छ शौचालय का उपयोग करें
7. बच्चे बाहर जाते समय चप्पल या जूते पहने
8. साफ़ स्विमिंग पूल का उपयोग करें
कई माता-पिता हैरान होते हैं : “हमारे घर में एक साफ़ और स्वच्छ वातावरण है, क्या फिर भी मुझे अपने बच्चों को deworm करना चाहिए?” इसका जवाब ‘हां’ है। यह आपके बच्चों के लिए पूरी तरह से आवश्यक है क्योंकि, भले ही आपका घर अच्छी तरह स्वच्छ हो, फिर भी आपके बच्चे स्कूल, खेल के मैदानों, रेस्तरां, वाहनों जैसी जगह पर जाते हैं , जिससे संक्रमण हो सकता है।
कृपया ध्यान दें: ऊपर दिया गया लेख का उद्देश्य लोगों को जागरूक करना है। यह किसी भी चिकित्सा सलाह को नहीं बदलता है। कृपया अपने बच्चे के लिए किसी प्रकार की दवाई लेने से पहले बाल रोग विशेषज्ञ से मिले ।
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