बच्चों को हेल्दी और फिट रखने के लिए 8 आसान योगा आसन से बच्चों के पाचन तंत्र मे सुधार, विश्राम करने मे मदद और एकाग्रता में सुधार होगा . यह बहुत छोटे बच्चों के लिए भी उप्युक्त है !
बडे होने के नाते, हमे पता है कि आधुनिक जीवन आसान नहीं है। समय सीमा, बढ़ती लागत, अधिक जिम्मेदारियों और तनाव के साथ, हम बहुत मुश्किल से ही इन्हें पूरा कर पाते हैं . हालाँकि, बच्चे भी इस तनाव से मुक्त नहीं हैं – बस उनके तनाव के कारण अलग हैं .
आज के बच्चों के लिए तनाव के मुख्य कारण है बहुत ज़्यादा पढाई का दवाब, भरमार कार्यक्रम और बहुत अधिक मीडिया एक्सपोजर . फिर साथियों का दबाव और तानो जैसे काम – दोनों ऑफ़लाइन और ऑनलाइन है । आजकल पहले से कहीं अधिक परिवारों के टूटने और तनाव से राहत पाने के लिए कम आउटलेट है और आजकल के बच्चे भी पिछली पीढ़ियों की तुलना के बच्चों से कही अधिक तनावग्रस्त है।
जब तक आप काम बंद करके या सब छोड कर जंगलों मे रहने नहीं चले जाते हैं या की योजना नहीं बना लेते हैं, तब तक आधुनिक जीवन का तनाव कभी न खत्म होने वाला है! और हम अपने बच्चों को जितनी देर तक वे छोटे है सिर्फ़ तब तक अपने बच्चों को तनाव से बचा सकते हैं – जैसे ही वे बडे हो जाते हैं, उन्हें इसे अपने दम पर संभालने की जरूरत होती है। अच्छी खबर यह है कि एक सरल उपाय है – हमारे पूर्वजों का समाधान जो न केवल बचपन में तनाव को दूर कर सकता है, बल्कि जीवन भर इसे कैसे सहन करना है ये भी सिखाता है – योग
जिस तरह योग बड़ों के लिए फायदेमन्द हैं, उसी तरह यह सभी उम्र के बच्चों के लिए भी बहुत फायदेमंद है।
बच्चों के लिए योग के शारीरिक लाभ
- लचीलेपन में सुधार करता है
- बेहतर संतुलन बनाने में मदद करता है
- हड्डियों और मांसपेशियों की ताकत या मज़बूती बढ़ाता है
- बच्चों को स्टैमिना बढाने मे मदद करता है और उन्हें अधिक गतिविधियो मे भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करता है
- बच्चों को कोऑर्डनेशन या तालमेल बेहतर करने मे मदद करता है .
- अच्छी नींद लाने मे मदद करता है
- दीर्घकालिक लाभों ( long term benefits) में योग शरीर के वजन का रखरखाव और बेहतर शारीरिक कार्य करने मे मदद करता हैं
बच्चों के लिए योग के भावनात्मक लाभ
- फोकस और एकाग्रता में सुधार करता है
- रचनात्मकता को बढ़ाता है
- अनुशासन और जिम्मेदारी की भावना को प्रोत्साहित करता है
- योग ब्लॉक में मदद करता है
- तनाव और साथियों के दबाव को कम करता है, क्योंकि योग कोइ प्रतिस्पर्धी गतिविधि नहीं है
- भावनाओ पर नियन्त्रण पाने में मदद करता है
योग एडीएचडी या बाल व्यवहार संबंधी विकार वाले बच्चों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है। डाउन सिंड्रोम और संज्ञानात्मक स्थिति वाले बच्चों ने नियमित रूप से योग करके अपनी हालत (conditions) मे सुधार किया है . यदि आप सोच रहे हैं कि अपने घर में योग कैसे शुरू करें, तो मै यहां बच्चों के लिए कुछ आसान योग बताने जा रही हैं, जिन्हें ज्यादा मेहनत किए बिना आसानी से किया जा सकता है।
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बच्चों को हेल्दी और फिट रखने के लिए 8 आसान योगा आसन
1. सुखासन (आसान मुद्रा)
- एक मैट पर आलती पालती करके बैठ जाये . पीठ को सीधा रखें और कंधे झुका कर न बैठे .
- अपनी बाजूओं को आराम से रखें . आपके हाथ घुटनो पर हो और हथेलियाँ ऊपर की ओर हो .
- आंखें बंद करें और शरीर के किसी भी तरफ़ संतुलन बना कर इस मुद्रा में बैठने की कोशिश करें।
- एक मिनट के लिए इसी पोज़ीशन मे रहे और फिर पैरों की पोज़ीशन बदल ले .
- दोहराये
ये बहुत ही आसान योग है और कोइ भी इसे आसानी से कर सकता है और ये बच्चों को आत्मविश्वास देता है कि योग कुछ ऐसा है कि जिसे वे कर सकते हैं .योग उनकी चिंता कम करता है और उनकी माइंडफ़ुल नेस (mindfulness) बढाता है . ये उनके पोशचर को भी ठीक करता है .
2.बद्ध कोणासन (Butterfly Pose)
- एक मैट पर पैरों को सामने की ओर फैलाकर बैठें, पीठ सीधी रखे ।
- घुटनों को मोड़ें ताकि दोनों पैर अंदर की ओर हों। घुटनों को मोड़ें और दोनों पैरों को श्रोणि की ओर लाएँ,पाँव के तलवे एक दुसरे को छूते हुए हो ।
- अपने हाथो से पैरों को पकड़ें। आप चाहे तो या तो पैरों के नीचे के हिस्से या अंगूठे को पकड़ सकते हैं ।
- एक बार इस मुद्रा में बैठ जाने पर, तितली के पंखों की तरह फड़फड़ाते हुए घुटनों को ऊपर–नीचे करना शुरू करें।
- धीरे से शुरू करे,धीरे धीरे स्पीड बढाएं और रूकने से पहले स्पीड फिर धीरे कर ले . सामान्य रूप से सान्स ले .
ये आसन घुटनो और जांघों की स्ट्रेचिंग के लिए एकदम सही है विशेष तौर पर वे बच्चे जो इतने समय से ऐक्टिव नही है . यह पाचन तंत्र को भी ठीक करता है और मेटाबोलिज़्म भी ठीक करता है । यह लड़कियों के मासिक धर्म मे भी मदद करता है .
3.वृक्षासन (Tree Pose)
- पैरों और पीठ को सीधा रखते हुए चटाई पर खड़े हो जाएं। घुटनों को सीधा रखे लेकिन वे सख्त या कठोर न हों।
- हाथों को बगल में रखते हुए उन्हे आराम करने दे . कंधों को थोड़ा पीछे की ओर खींचें ताकि छाती बढ जाए या आगे की और आ जाये ।
- एक बार इस मुद्रा में खड़े होने के बाद, दाएं पैर को चटाई से ऊपर उठाएं और इसे बाईं जांघ के ऊपर रखें, ताकि दायां घुटना बाहर की ओर निकले।
- जहा भी आपको आरामदायक लगे और आप आसानी से संतुलन बना सकते हो वहा अपना दाहिना पैर रखे .
- दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाएं और उपर जाने के बाद उन्हें एक साथ जोड़ दें। जितनी देर हो सके इस मुद्रा मे खड़े रहे और सामान्य रूप से सान्स ले .
- अपनी बाजू नीचे करे और दाहिने पैर को फ़र्श पर रखे I बाहिने पैर के साथ बिल्कुल ऐसा ही करे . अगर आप अच्छे से संतुलन नहीं बना पा रहे हैं तो अपने एक हाथ को स्थायी या मज़बूत कुर्सी या मेज़ पर रख ले I या आप दीवार के साथ अपनी पीठ लगा कर भी ये आसन कर सकते हैं .
जैसा कि स्पष्ट है, यह पोज़ संतुलन और समन्वय ( coordination) विकसित करने के लिए उत्तम है। ये बच्चों मे एक्रागता तीव्र करने के लिए एकदम परफ़ेक्ट है क्योंकि बच्चों ने अपना सारा ध्यान बिना गिरे खडे रहने में लगा दिया है । उनके पोशचर को भी ठीक करता है .
4.अधो मुख सवनसना (Downward Dog Pose)
- पैरों और पीठ को सीधा रखते हुए चटाई पर खड़े हो जाएं। घुटनों को सीधा रखे लेकिन वे सख्त या कठोर न हों।
- हाथों को बगल में रखते हुए उन्हे आराम करने दे I कंधों को थोड़ा पीछे की और खींचें ताकि छाती बढ जाएय या आगे की और आ जाये I
- कमर से थोडा नीचे की और झुके और पंजे को छूने की कोशिश करे I
- अपने हाथ आगे बढाएं जब तक कि उल्टा v नहीं बन जाता
- कूल्हे हवा मे उठाये ताकि सही आकृति बन जाये I आपके पैर फर्श पर ही होने चाहिए और आपकी हथेलियाँ पर आपके शरीर का ज़्यादातर वज़न होना चाहिए I सामान्य रूप से सांस लेते हुए एक मिनट तक इसी मुद्रा मे रहे I
- हाथों को पैरों की ओर वापस लाकर धीरे–धीरे ऊपर उठाते हुए इस मुद्रा से बाहर आएं।
शरीर के सभी अंगों मे ब्लड सर्कुलेशन बढाने के लिए ये बहुत अच्छा आसन है साथ ही साथ ये आपकी शरीर को विशेष तौर पर पैरो , कंधे और पीठ को स्ट्रेच करता है
5.ऊर्ध्व मुख श्वानासन (Upward Facing Dog Pose)
- अपनी पेट के बल मैट पर लेट जाऐं , पैर का उपरी हिस्सा फ़र्श पर और टांगे पीछे की और हो खिन्चे हुये हो
- कमर के दोनों ओर फर्श पर हथेलियाँ रखकर कोहनी मोड़ें। हाथों को धक्का देते हुए, ऊपरी शरीर को ऊपर उठाते हुए कोहनियों को सीधा करें।
- पीठ या गर्दन पर दबाव डाले बिना,कंधे पीछे की और रखते हुये छाती आगे बढ़ाये . 10 सेकंड के लिए ऐसे ही रहे और इस आसन से बाहर आने के लिए या तो फर्श पर वापस लेट जाएँ या downward facing dog पोज़ मे आ जाये .
यह आसन बहुत ही प्रभावी रूप से हाथों और कलाई को मजबूत करता है, जबकि गर्दन और पीठ को भी स्ट्रेच या खिंचाव देता है . यह आपको ऊर्जा भी प्रधान करता है और पोशचर भी ठीक करता है .
6.बालासन (Child’s Pose)
- घुटनो के बल मैट पर बैठ जाये,कुल्हे एडियो पर टिका ले। या अपनी एड़ियों पर बैठ जाएँ,कूल्हों पर एड़ी को रखें, घुटने एक दूसरे से उचित दूरी पर हो .
- एक बार इस पोज़ीशन मे आने पर,कुल्हो को बिना उठाये धीरे धीरे आगे झुके ताकि आपका शरीर आगे की तरफ़ फ़ोल्ड हो जाये .
- आप चाहे तो भुजाये अपनी टागो के बगल मे रखे या उन्हें भी आगे की और फ़ैला ले या स्ट्रेच कर ले
- गहरी सान्स ले,इसी पोज़ मे रहे और आराम करे
ये बहुत ही आराम देने वाला पोज़ है जो कोइ भी इसे कर सकता है . ये बच्चो की सान्स महसूस करने मे मदद करता है क्योंकि वे इस पोज़ मे झुके हुये होते हैं और पूरा विशव थोडे समय के लिए आँखो से ओझल हो जाता है I पीठ,पैरो और भाजु को स्ट्रेच करने के साथ साथ ये पाचन तंत्र भी सुधारता है और कब्ज़ से राहत भी दिलाता है .
7.वीरासन (Hero Pose)
- चटाइ पर घुटने मोड कर और एडी को छूते हुये पीछे बैठे . घुटने एक दूसरे से उचित दूरी पर हो .
- आपकी पीठ बिना किसी कठिनाइ के सीधी होनी चाहिए . कन्धो को आराम दे उनहे धीरे धीरे पीठ की तरफ़ खीन्चे ताकि छाती आगे बढ़ जाये .
- हाथों को घुटनों पर रखें, हथेलियाँ ऊपर की ओर होनी चाहिए । सामान्य रूप से सांस लेते हुए इसी स्थिति मे बैठे रहे .
ये आसन पीठ और पैरों को स्ट्रेच करता है. यह कंधों को भी आराम देता है और बच्चों के पोशचर को ठीक करता है . इनके अलावा, यह पाचन तंत्र को भी ठीक करता है और सतर्कता (alertness) भी बढ़ाता है।
8. शवासन (Corpse Pose)
- पैरो को आगे की और फ़ैला कर मैट पर लेट जाये और बाजु बगल मे फ़ैला ले I बाजु को शरीर से थोडी दूरी पर रखे ताकि बगल भी सान्स ले सके I हथेलिया ऊपर की और रखे .
- पैरो और एडियो को ढीला रहने दे जिससे पैर स्वाभाविक रूप से बाहर की ओर निकल जाए। आंखें बंद रखें।
- शरीर के हर हिस्से को आराम दें, पैर की उंगलियों से शुरू होकर सिर के उपर तक, खासकर घुटनों, कूल्हों, पीठ, कंधों और गर्दन पर।
- सामान्य रूप से सांस लेते रहें और पूरी तरह से इस आसन मे सेटल होने के लिये समय ले .
दिखने मे ये आसन बेहद आसान लगता है लेकिन छोटे बच्चों के लिए इस मुद्रा में आवश्यक स्तर तक आराम करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। जो बच्चे ज़्यादा चिंतित रहते है उनके लिए ये आसन उत्तम है और ये अच्छी नींद को बढ़ावा देने में भी मदद करता है। यह एक कूलिंग पोज भी है जो गर्मियों के दौरान अच्छा होता है।
छोटे बच्चों के साथ योगाभ्यास शुरू करने के टिप्स
ये कल्पना करना भी बहुत मुश्किल हो सकता है कि उछल कूद करने वाले टाडलर और प्रीस्कूलर्स भी कुछ सीरीयस काम जैसे कि योगा कर सकते हैं लेकिन ये केवल एक अवधारणा है . बच्चो के साथ योगाभ्यास कैसे शुरू करे मै यहा आपको उसके लिए सुझाव दे रही हूँ I
- उन्हें दिन मे लगभग 10 मिंट का समय योगा करने के लिए दे . इस समय कोई भी शोर शराबा या डिस्ट्रेक्शन न हो
- योगा से पहले उन्हें भारी भोजन न करने दे क्योंकि ये बच्चों मे मितली और बैचेनी या जी मचलाना पैदा कर सकता है
- बच्चों ने ढीले कपडे पहने हो ताकि वे इधर उधर आसानी से हिल सके
- कोइ हल्का सोफ़्ट म्यूज़िक लगा ले ये बच्चों के योगा करने के अनुभव को और भी बढाऐगा
- कलरफ़ुल योग मैट और योग ब्लाक के साथ योगा को और मज़ेदार बनाएं
- अपने बच्चे को सिखाये कि योगा कैसे किया जाता है जब वह योगा कर रही हो तो इसमे आप उसकी सहायता करे . और उसके साथ खुद भी योगा करे
- इसे फैमिली एक्टिविटी बनाये
- सबसे अंत में, आराम करने के लिए शवासन करे
यदि आपका बच्चा योग के बारे बिलकुल भी नहीं जानता है तो आप किताबो का सहारा भी ले सकते हैं . ऐसी पुस्तकें रुचि और जिज्ञासा उत्पन्न करती हैं,खास तौर पर यदि आपको कोई किताब बच्चे के फ़ैवरेट पात्र की मिल जाये तो . यहा मै आपको कुछ सुझाव दे रही हूँ .
योग शुरू करने से पहले आपको बच्चे की संपूर्ण शारीरिक स्थिति के बारे मे पता होना चाहिए . जिन बच्चों को माइग्रेन, अस्थमा या सांस की समस्या है उनके लिए सबसे पहले डॉक्टर से सलाह ले. बच्चे को किसी मुद्रा मे बैठने या खडे होने के लिए मज़बूर न करे – धीरे धीरे बच्चा सीख जायेगा . योग मज़ेदार और खोजपूर्ण ( explorative) बनाये इससे बच्चे को इसकी आदत हो जायेगी जो कि जीवन भर रहेगी .
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