हमारे बच्चों के लिए बाहर की दुनिया बुरी है लेकिन सही सिस्टम और उपायो के साथ हम अपने बच्चों को, आत्मविश्वास के साथ, एक बिना डर वाली दुनिया दे सकते हैं।
“डर के साथ जीना हमे जोखिम उठाने से रोकता है , लेकिन , यदि आप शाखा पर नहीं जाते हैं, तो आप कभी भी सबसे अच्छा फल पा नहीं सकते हैं ।”सराह पैरिश
जब हम बच्चे थे, में और पड़ोस के बच्चे अपने घर के पास ही एक ट्यूशन क्लास में जाते थे। खैर ट्यूशन सेंटर पास ही था, लेकिन फिर भी हमे वहा जाने के लिए थोड़ा सा चलना होता था और हमे इसमे ज़्यादा समय नहीं लगता था क्यों कि हम ट्यूशन जाते हुये और ट्यूशन से वापिस घर आते हुए एक दूसरे के साथ खिलखिलाते या हंसते हुये और बातचीत करते रहते थे। हम एक दूसरे के साथ सुरक्षित और सहज महसूस करते थे। आप कह सकते हैं कि ये हमारे सबसे अच्छे दिनो मे से एक थे।
लेकिन एक दिन, यह एहसास हमेशा के लिए बदल गया. क्योकि हमारी अंतिम परीक्षाएँ नजदीक थीं इसलिए हमारे ट्यूशन सर ने सिलेबस खत्म करवाने के लिए, एक घंटा ज्यादा पढाना शुरु किया। जैसे ही हम बाहर निकले,बाहर काफ़ी अंधेरा था लेकिन हम इससे परेशान नहीं हुये। हम अपनी परीक्षा के बाद की योजनाओं पर चर्चा करते हुए चल रहे थे कि पता नहीं कहा से एक आदमी हमारे सामने कूद पडा। हम चिल्लाए और एक पल के लिए तो हमारे दिल रुक गए। साफ़ साफ़ पता चल रहा था कि उस आदमी ने शराब पी रखी थी और वह खडा भी नहीं हो पा रहा था।
वह ठीक हमारे रास्ते मे ही खडा था और हम अपनी अपनी जगह पर जम गए थे,सांस नहीं ले पा रहे थे,हम अकेले ही मदद के लिए चिल्लाए। उस आदमी की कमीज खुली हुयी थी और वह हमारी तरफ लहरा के आ रहा था। हम सभी ने एक दूसरे की बाँहों को कस कर पकड़ लिया और वह अभी हमसे कुछ ही दूरी पर था कि हमने सुना कि कोई दूर से चिल्ला रहा है। यह मेरे दोस्त के चाचा थे जो ये देखने आये थे कि हम क्यो लेट हो गए। शराबी इधर उधर मुडा, उन्हें देखा और अपनी लड़खड़ाती चाल से वह जितनी तेज़ भाग सकता था उतनी तेज़ भागा।
जैसा कि आप कल्पना कर सकते हैं, यह हमारी ट्यूशन क्लासेज़ का अंत था। हमारे परिवारो ने हमे ट्यूशन लेकर जाने और वापिस लेकर आने का सुझाव भी दिया लेकिन हम तीनो के तीनो इस तरह सदमे मे थे कि हम दोबारा उस रास्ते के बारे, और वो भी उस भयानक आदमी को याद किये बिना, सोच ही नहीं सकते थे। इसका मतलब यह भी था कि अब हमें अब खुद से पढना होगा और ट्यूशन क्लास में मिलने वाले पढाई से जुड़े कुछ ज़रूरी टिप्स भी छूट गये। यह सब केवल हमे ही सहना पडा – और वो भी एक आदमी के कारण जिसने हममें वो डर पैदा कर दिया था।
डर की कीमत
डर की एक बात तो है – यह काफी शक्तिशाली हो सकता है, खासकर एक छोटे बच्चे के दिमाग में। ऐसी घटनाएं हमेशा के लिये से बच्चों को डरा सकती हैं, और कुछ स्थानों या स्थितियों से अप्राकृतिक भय पैदा कर सकती हैं।जैसे कि ऊपर उदाहरण दिया गया है ये डर हमे आगे बढ़ने से और हमे हमारी पूरी क्षमता को जानने से रोक रहा था।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के अनुसार,वक्त से पहले घटित ऐसी घटनाएं जो कि भय पैदा करती हैं ,इनका ब्रेन आर्किटेक्चर यानि कि मस्तिष्क की सरंचना पर आजीवन प्रभाव पड़ सकता है। यह उनके व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित करता है और उनके आत्मविश्वास की वृद्धि को रोकता है।
जब बच्चे किसी बात या वस्तु से डरे होते हैं तो हमारे बच्चो का ध्यान केवल उसी पर होता है जिससे डर उनके दिमाग में बढता रहता है। व्यक्तिगत विकास के लिए अस्वस्थ होने के साथ साथ वे कईं सुनहरे अवसरों को भी खो सकते हैं . हो सकता है कि वे कही जाने से भी डरे जैसे कि हम ट्यूशन क्लास जाने मे डरते थे। हो सकता है कि इस तरह की दर्दनाक घटना के बाद जिस क्षेत्र मे उनकी रूचि हो वे वहा काम करना बन्द कर दे। यह सब केवल हमारे बच्चों के लिए मुश्किल ही नहीं होता अपितु उन्हें अपने सपनों को पूरा करने से भी रोकता है। यह डर की बात है, जितना अधिक आप इस पर ध्यान केंद्रित करते हैं, ये उतना ही बढ़ता है।
डर हर जगह है
जब हमारे बच्चे, शिशु या छोटे बच्चे होते है वे सारा दिन घर पर और हमारी नज़रो के सामने रहते हैं। लेकिन एक बार जब वे स्कूल जाना शुरु कर देते है हम उनके आस पास वातावरण पर अपना नियंत्रण खो देते है क्योंकि अब वे खुद से इस बड़ी बुरी दुनिया में जाना शुरु कर देते हैं। ऐसा माना जाता है कि स्कूल जाने वाले बच्चे अपने घर से 8-9 घंटे तक दूर रहते हैं।
स्कूल के अलावा, अतिरिक्त कक्षाएं (extra classes) , ट्यूशन, खेल या अन्य गतिविधियां भी होती हैं। इन सब के साथ साथ बच्चे इन दिनों थोडी बहुत यात्रा या ट्रेवलिंग भी करते हैं। यह शायद सबसे जोखिम भरा क्षेत्र है, क्योंकि आपको पता नहीं है कि वे अपनी यात्रा के दौरान कहा होते हैं।
तो ऐसी परिस्थितियों में माता-पिता को क्या करना चाहिए? खैर हम व्यक्तिगत परिवहन यानि कि पर्सनल ट्रांसपोर्ट का सहारा ले सकते है यानि चाहे वह ट्यूशन क्लासेस हो, स्पोर्ट्स इवेंट हो या किसी दोस्त की बर्थडे पार्टी हो, बच्चे हमेशा परिवार के किसी सदस्य के साथ वहां जाये और अगर परिवार का कोई सदस्य नहीं है तो ,हम सिर्फ़ ड्राइवर पर या स्कूल स्टाफ़ पर और जहा भी बच्चा जा रहा है उन पर भरोसा करते हैं।
दुर्भाग्यवश , इन दिनों ये भी पर्याप्त नहीं है।
बच्चों की सुरक्षा
भारत में किए गए अध्ययन से पता चलता है कि भारत में हर जगह स्कूल, सड़कों पर, यहां तक कि घर के भीतर भी बाल सुरक्षा कितनी निराशाजनक है। यहाँ केवल उसके कुछ दुखद या निराशाजनक आँकड़े दिए गए हैं:
- नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (NCPCR) के एक अध्ययन के अनुसार, लगभग 53% या दो बच्चों में से एक बच्चा अब्यूज़ यानि कि दुर्व्यवहार का शिकार होता है।
- कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन्स फाउंडेशन के एक अध्ययन में कहा गया है कि पिछले तीन वर्षों में बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों में 34% की वृद्धि हुई है
- नाबालिगों के खिलाफ यौन अपराध और किड्नैपिंग पूरे अपराधो का 81 % है।
- 90% से ज़्यादा मामलो मे बच्चे से दुर्व्यवहार बच्चे के जान पहचान वाले लोगों द्वारा किया जाता है जैसे कि पड़ोसी, रिश्तेदार, घर मे काम करने वाले, स्कूल के कर्मचारी या ड्राइवर।
क्या यह डरावना नहीं है? लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि हम अपने बच्चों को घर के अंदर बंद कर दें या उन्हें बबल रैप में सुरक्षित रखें – ये उन्हें दूसरी तरह से नुकसान पहुचायेगा। बच्चों मे बिना किसी भी तरह के डर या संकोच के दुनिया में जाने और अपनी जगह बनाने के लिए आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प होना चाहिए।
ऐसी परिस्थितियों में, ये स्वाभाविक रूप से हैरान करने वाला होगा कि क्या कोई ऐसा तरीका है जिससे हम अपने बच्चों पर हर समय नज़र रख सके या जिससे हम, हर समय, अपने बच्चों को अपने सामने रख सके चाहे हम शारीरिक रूप से वहा उपस्थित न हो। कोई ऐसा तरीका जिस से उन्हें भी सुरक्षित महसूस हो कि वे जहा कही भी है उनके माता पिता उनके साथ हैं।
बच्चों को भय मुक्त दुनिया दे
एक माता पिता होने के नाते ये हमारी ज़िम्मेदारी है कि हमारे बच्चों के पास एक ऐसा सुरक्षित वातावरण हो जिसमे कि वे फ़ल फ़ूल सके और बढ सके। हम बाहरी तत्वों को नियंत्रित नही कर सकते हैं लेकिन हम अपने आस पास के माहौल को नियंत्रित कर सकते हैं। और यही वे जगह है जहां टैकनोलजी एक बहुत बड़ी भूमिका निभा सकती है।
आजकल बाज़ार में ऐसे उपकरण मौजूद है जिससे माता पिता बच्चे पर हर समय नजर रख सकते है , चाहे बच्चा कार में हो या कहीं और आप चाहे तो उनकी गाड़ी को मॉनिटर कर सकते हैं। यह उपकरण आपको तो चिंता मुक्त रखेंगे ही साथ ही बच्चे भी भयमुक्त महसूस करेंगे।
सबसे पहले बच्चों को सुरक्षित महसूस होगा कि उनके माता पिता वास्तव मे उनके साथ है। अगर इस उपकरण के साथ किसी भी तरह की छेड़ छाड़ की जाये तो कार के मालिक को इसका अलर्ट भेजा जायगा इसलिए इसे डिस्कनेक्ट (disconnect) करना एक विकल्प नहीं है। इसी तरह, भले ही आप किसी नैनी या ड्राइवर को काम पर रखें, आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि वे अपना काम अच्छी तरह से कर रहे हैं।
साथ ही छोटी उम्र से ही बच्चे को सेल्फ डिफेन्स यानि की आत्मरक्षा की ट्रेनिंग दिलाये। साथ ही उन्हें गुड टच बाद टच के बारे में भी बताये। इससे भी बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ेगा।
हमारे बच्चे भी बढने और ऊंची उड़ान भरने के योग्य हैं लेकिन वे ऐसा तभी कर सकते हैं जब वे बिना किसी डर या चिंता के ज़िन्दगी जिये I बच्चे माता-पिता की भावनाओं को भी समझते हैं.
,इसलिए यदि आप चिंतित होते हैं, तो आपका बच्चा भी ऐसा ही होगा। लेकिन सही उपकरणों और सही उपायो के साथ हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि हमारे बच्चों के पास अपने सपनों को पूरा करने के लिए और आगे बढने के लिए एक सुरक्षित और सुंदर दुनिया है।
आपको हमारा ब्लॉग बच्चों को लिए भय मुक्त दुनिया कैसा लगा कमेंट कर हमे बताइये।
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Moni yadu says
Hi mam I really like the post
Mam Meri beti 2 saal ki ho gai h kya mujhe use good tech bed tech k bare m batana suru karna chahiye, Mai use ye kaise sikhau please help
Hindi MyLittleMoppet says
Moni Ji
Bilkul aap abhi se bacchi ko sikha sakti hai good touch bad touch ke baar mai. iske liye aap internet par maujud videos ki madad le sakti hai. aise kayi sari videos hai jisme vistar se good touch aur bad touch ke baare mai bataya gaya hai.
Cheers
Hema