कहते हैं की भगवान के दर्शन करने हो तो एक छोटे बच्चे की आँखों में झांक कर देख लीजिये। निश्चल, निष्पाप और सरल मुस्कान हर व्यक्ति के दुख-दर्द को मिटाने की क्षमता रखती है। लेकिन कुछ नन्हें और मासूम बच्चे अपनी मुस्कान को अधिक समय तक बनाए रखने में असमर्थ होते हैं, विशेषकर वो बच्चे जो किसी न किसी जन्मजात रोग से पीड़ित होते हैं। उन बच्चों के दुख और तकलीफ को दूर करने जैसा पुण्य बहुत कम भाग्यशाली लोग अर्जित करने का साहस करते हैं। आज भी हमारे समाज में छोटे बच्चों के दिल के मसीहा हम सरलता से देख सकते हैं।
तमिलनाडु के मदुरै क्षेत्र में ऐसे ही एक चिकित्सक दंपत्ति पिछले कुछ समय से समाज के निम्न वर्ग के उन बच्चों को नया जीवन देने का प्रयास कर रहे हैं जो जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित होते हैं।
चिकित्सक दोस्त:
प्राचीन काल से चिकित्सक पृथ्वी पर भगवान का प्रतिरूप माने जाते रहे हैं। आधुनिक काल में भी इस मान्यता में कोई परिवर्तन नहीं आया है। इसका कारण है आज भी डॉक्टर हेमप्रिया और डॉक्टर गोपी जैसे चिकित्सक जो आर्थिक रूप से कमजोर उन बच्चों को जो जन्मजात हृदय रोग से प्रभावित होते हैं, उन्हें न केवल विश्व स्तर की चिकित्सा उपलब्ध करवा रहे हैं बल्कि उन्हें चिकित्सा में आर्थिक मदद भी प्रदान करते हैं। एक सच्चे दोस्त के रूप में यह बाल हृदय रोगियों का तन-मन और धन से सहायता कर रहे हैं।
बाल हृदय रोगी और चिकित्सा सुविधाएं:
यूएस नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन-नेशनल मेडिसिन ऑफ हैल्थ के अनुसार भारत में प्रत्येक 100 शिशु में से 2 जन्मजात हृदय रोग से प्रभावित होते हैं। इस बीमारी से ग्रस्त बच्चों के जन्म के समय ही उनके हृदय की संरचना में विकार होता है जिसकी चिकित्सा लागत 3 लाख से 15 लाख तक आती है। इसके अतिरिक्त ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों में तो सम्पूर्ण चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में इन बाल हृदय रोगियों को सही समय पर इलाज भी शुरू होना असंभव होता है। इस स्थिति का सामना डॉक्टर गोपी नालियन और उनकी जीवन संगिनी डॉक्टर हेमाप्रिया नातेसन ने अपने कार्यकाल में किया। डॉक्टर गोपी एक प्रतिष्ठित बाल हृदय रोग विशेषज्ञ हैं और डॉक्टर हेमाप्रिया एक प्रतिष्ठित डॉक्टर हैं, ने अपने कार्यकाल में बंगलुरु, हैदराबाद और चेन्नई जैसे शहरों में विभिन्न अस्पतालों में अपनी सेवाएँ प्रदान करीं। इस अवधि में डॉक्टर दंपत्ति ने यह महसूस किया की उनके सम्मुख प्रतिदिन हृदय रोग से पीड़ित बच्चे आते हैं, जिनके परिवार उनका समय पर सही इलाज करवाने में असमर्थ होते हैं। हालांकि सरकारी योजनाओं के माध्यम से इस कठिनाई को दूर करने का प्रयास किया जाता है लेकिन यह राशि अच्छे इलाज और सर्जरी के लिए नाकाफी होती है। दक्षिण तमिलनाडु के सबसे बड़े शहर मदुरै में अपने कार्यकाल के दौरान यह डॉक्टर दंपत्ति, वहाँ उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं और पीड़ित बाल रोगियों की परेशानी से द्रवित हो गए और उनके हृदय कुछ ऐसा करने के लिए आतुर होने लगा जिससे निर्धन वर्ग के बाल हृदय रोगियों के कष्टों को दूर किया जा सके।
जीवन बदलने वाला क्षण:
प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में एक क्षण ऐसा आता है जब इस जीवन की क्षणभंगुरता का एहसास बहुत तीव्रता से होता है। ऐसा ही एक क्षण डॉक्टर गोपी नालियन के सम्मुख वर्ष 2015 में आया। उस समय उनके सम्मुख एक पाँच वर्ष की निर्धन बालिका हृदय रोग से पीढ़ित आई जिसके माता-पिता के पास उसके इलाज के लिए समुचित धन राशि नहीं थी। छह माह की अवस्था में इस रोग के पता लगते है उस बालिका के माता-पिता ने चेन्नई के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में चक्कर काटे, लेकिन बालिका का समुचित इलाज नहीं हो पाया। परिणामस्वरूप रोग बढ़ता गया और जब तक वे डॉक्टर गोपी के पास पहुंचे, बालिका का रोग लाइलाज हो गया। इस घटना ने सरल हृदय डॉक्टर गोपी और उनकी सहधर्मिणी डॉक्टर हेमप्रिया ने एक संकल्प लेने के लिए प्रेरित किया।
सफल बाल हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर गोपी नालियान और हेमाप्रिया ने अपनी आकर्षक और ऊंचे वेतन वाले पदों का त्याग करके एक एनजीओ की स्थापना का निर्णय लिया।
लिटिल मोपेट हार्ट फाउंडेशन:
नवंबर 2016 में डॉक्टर दंपत्ति ने अपने चिकित्सा के पेशे को अपना धर्म बनाते हुए, आकर्षक और सुख सुविधा वाले पदों का त्याग करके समाज सेवा में पदार्पण किया। लिटिल मोपेट हार्ट फाउंडेशन के रूप में एक अलाभकारी और गैर सरकारी संस्था का गठन किया जिसका उद्देशय तमिलनाडु के उन सभी बाल हृदय रोगियों तक विश्व स्तर की चिकित्सा सेवा और सुविधा पहुंचाना था, जो समाज के निर्धन और कमजोर वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके लिए चिकित्सक युगल ने दूर-दूरस्थ के ग्रामीण इलाकों में स्वयं घर-घर जाकर लोगों को इस बीमारी के लक्षणों से न केवल अवगत करवाया बल्कि प्रभवित बच्चों को समुचित इलाज का भी जिम्मा उन्होनें उठाया। इसके लिए उन्होनें ग्रामीण इलाके, आंगनवाड़ी और स्कूलों और प्राथमिक चिकित्सा केन्द्रों में व्यक्तिगत रूप से जाकर बच्चों के स्वास्थ्य की जांच करी। डॉक्टर गोपी ने जन्मजात बाल हृदय रोगियों के समुचित चिकत्सा और सर्जरी के लिए मदुरै के बड़े अस्पतालों में मुफ्त चिकित्सा की भी व्यवस्था करी, जिससे अधिक से अधिक बच्चों को जन्मजात हृदय रोग की परेशानी से बचाया जा सके।
दो छोटे-छोटे बच्चों की माँ होने के बावजूद डॉक्टर हेमाप्रिया ने सच्ची सहधर्मिणी का कर्तव्य निभाया। एक सहृदया चिकिसक, ममतामई माँ और कुशल समाजसेविका के रूप में डॉक्टर हेमप्रिया ने इस फाउंडेशन के निर्माण और विकास में अपना सक्रिय योगदान दिया।
युगल दंपत्ति के अनथक प्रयास का परिणाम है की अब तक लिटिल मोपेट हार्ट फाउंडेशन के परिसर और नियंत्रण में 500 बाल जन्मजात हृदय रोगी, जटिल सर्जरी का लाभ ले चुके हैं।
इसके अतिरिक्त इस फाउंडेशन के माध्यम से शिक्षा के इच्छुक और प्रतिभाशाली बच्चों को शिक्षा के लिए आर्थिक मदद मिल चुकी है। ऐसा ही एक पंद्रह वर्षीय बाल हृदय रोगी कन्नन है जो जन्मजात हृदय रोगी होने के कारण स्कूली शिक्षा पूरी नहीं कर पाया था। डॉक्टर गोपी ने न केवल उसका इलाज किया बल्कि उसको अपनी शिक्षा पूरी करने में आर्थिक मदद भी प्रदान करी।
सफलता की किरणें:
लिटिल मोपेट हार्ट फाउंडेशन ने तमिलनाडु में एक वर्ष की अवधि में ही 4200 स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य की गहन जांच करके लगभग 800 से अधिक बच्चों को चिकित्सा सुविधा प्रदान कर दी है। भारत के निम्न वर्ग में फैले हुए बाल हृदय रोग को जड़ से मिटाने का लक्षय लेकर यह प्रेरणादायी चिकित्सक युगल नित नए आयामों को छूने का प्रयास कर रहा है।
डॉ गोपी फाउंडेशन के विज़न को स्पष्ट करते हुए कहते हैं की:
“हमारा उद्देशय लिटिल मोपेट फाउंडेशन को न केवल ऊंचाइयों तक ले जाना है बल्कि भारत की ग्रामीण भूमि के हर कोने को छूना भी है। इसके साथ ही बाल हृदय रोग से पीड़ितों के लिए एक इस प्रकार का चिकित्सा तंत्र भी स्थापित करना है जिससे उन्हें सही समय पर सही इलाज भी मिल सके।”
आप भी इस पवित्र और सामाजिक कार्य में अपना योगदान देकर दिल के इन मसीहाओं के हाथ मजबूत करें। आपके छोटे-छोटे योगदान इस सामाजिक यज्ञ में बड़ी आहुती के रूप में सिद्ध होते है। इससे न केवल यग्यकर्टओन का मनोबल बढ़ता है बल्कि आप भी स्वयं को इस यज्ञ का भागीदार पाकर गर्व महसूस करेंगे।
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