भारतीय सभ्यता और संस्कृति विभिन्न प्रकार के त्योहारों से रची बसी है। यहाँ के लोग प्रतिदीन कोई न कोई कारण, किसी न किसी उत्सव को मनाने के लिए ढूंढ ही लेते हैं। यह उत्सव और महौत्सव का सिलसिला वर्ष के आरम्भ यानि जनवरी से ही शुरू हो जाता है। इसी क्रम में फरवरी में एक दिन ऐसा है जिसे पूरी दुनिया के लोग बहुत रोमांटिक अंदाज़ में मनाते हैं। जी हाँ, आप ठीक समझे, हम 14 फरवरी की बात कर रहे हैं जिसे वैलंटाइन डे के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन क्या आप जानतीं हैं की इसी दिन को विश्व में “दिल की अनुवंशिक बीमारियों की जागरूकता दिवस” के रूप में भी मनाया जाता है।
अब तक के आंकड़ों से यह सिद्ध हो चुका है की लगभग प्रति वर्ष भारत में 1,80,000 बच्चे दिल की बीमारियों के साथ ही जन्म लेते हैं। इनमें से लगभग 60,000 से 90,000 बच्चों के दिल की घातक बीमारियों से ग्रस्त होते हैं और इन बच्चों को शुरुआत में ही सही इलाज और रोग से बचाव की जरूरत होती है। लेकिन सम्पूर्ण व समुचित स्वस्थ्य व्यवस्था न होने के कारण लगभग 10% नवजात शिशु अनुवंशिक हृदय रोग से प्रभावित होने के कारण काल के गाल में समा जाते हैं।
भारत में स्वास्थ्य संबंधी जानकारी की जागरूकता के अभाव और संबंधी सुविधाओं के पर्याप्त न होने के कारण असंख्य वयस्क भी असाध्य अनुवंशिक हृदय रोग से ग्रस्त हैं। एक अनुमान के अनुसार प्रत्येक 1000 जन्म लेने वाले बच्चों में से 4 इस रोग से पीढ़ित होते हैं।
अनुवंशिक हृदय रोग क्या है ?
बहुत से लोग अनुवंशिक रोग को पिछले जन्म का परिणाम मान लेते हैं। लेकिन वास्तविकता इससे भिन्न है। कभी-कभी बच्चे के गर्भ में होने पर उसके हृदय के विकास में यदि किसी प्रकार की बाधा आ जाती है। ऐसी स्थिति में परिणाम अनुवंशिक हृदय बाल रोगी के जन्म के रूप में सामने आता है। कुछ बच्चों में यह बीमारी जन्म लेने के तुरंत बाद स्पष्ट दिखाई दे जाती है। लेकिन कुछ बच्चों में यह शैशव काल या कुछ बड़े होने पर भी पता लग जाती है। कुछ विशेष परिस्थितियों में वयस्क होने पर ही अनुवंशिक हृदय रोग का पता लग पाता है।
कुछ समय पहले तक यह एक भ्रम था की जो बच्चे अनुवंशिक हृदय रोग से पीढ़ित होते हैं, वो सारी उम्र बीमार ही रहते हैं (कुछ स्थितियों में तो इलाज होने के बाद भी)। लेकिन इस कथन को भ्रम सिद्ध करने के लिए मैं आपको यहाँ कुछ बच्चों के चित्र शेयर कर रही हूँ जो सर्जरी से पहले गंभीर रूप से बीमार थे। इन्हें सही इलाज मिलने के बाद वो अब एक स्वस्थ और सामान्य जीवन व्यतीत बहुत प्रसन्नता के साथ जी रहे हैं। ?
मैं उन सभी अभिभावकों की हृदय से आभारी हूँ जिन्होनें अपने बच्चों की तसवीरों को मुझे शेयर करने की अनुमति दी है।
आइये आपको विभिन्न प्रकार की अनुवंशिक हृदय रोग और उनके उपलब्ध इलाज प्रक्रिया के बारे में जानकारी देते हैं।
अनुवंशिक हृदय रोग के प्रकार :
सामान्य और सरल शब्दों में अनुवंशिक हृदय रोग निम्न में से किसी भी कारण के परिणामस्वरूप हो सकते हैं:
- फेफड़ों में रक्त प्रवाह का बढ़ जाना
- फेफड़ों में रक्त प्रवाह का कम होना
इन लक्षणों के अनुसार अनुवंशिक हृदय रोग (Chronical Heart Disease/CHD) को जटिलता के आधार पर आगे और विभाजित किया जा सकता है
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सामान्य अनुवंशिक हृदय रोग
जो मरीज सामान्य अनुवंशिक हृदय रोग से पीड़ित होते हैं उन्हें निम्न प्रकार की क्षति या परेशानी हो सकती है
- हृदय के ऊपरी (ASD) भाग या निचले (VSD) में छेद हो सकता है
- हृदय में छेद की उपस्थिती इस प्रकार हो सकती है जिससे शुद्ध और अशुद्ध रक्त मिलने की स्थिति हो जाती है
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जटिल अनुवंशिक हृदय रोग
जिन मरीजों को जटिल अनुवंशिक हृदय रोग होता है उन्हें एक से अधिक प्रकार की परेशानियों, और दो या दो से अधिक क्षति के साथ जीवनयापन करना पड़ता है।
- हृदय के दोनों पक्षों में छेद होना
- हृदय के निचले क्षेत्र में छेद के साथ ही फेफड़ों में रक्त के प्रवाह में रुकावट का होना
- हृदय में छेद के साथ ही हृदय वाहिनियों में रिसाव का होना
- हृदय की मुख्य धमनियों का विपरीत हो जाना
- हृदय की मुख्य नालियों में केवल एक ही वाल्व का होना
अनुवंशिक रोग के लक्षण :
- बारमबार होना – फेफड़ों में रक्त प्रवाह के बढ़ जाने की तकलीफ के साथ ही, यह प्रवाह सामान्य प्रवाह से दुगुना हो जाता है। इसके कारण फेफड़े हर समय गीले रहते हैं और उनमें निमोनिया आदि जैसे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। कुछ स्थितियों में तो अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति भी बन जाती है।
- फेफड़ों में रक्त प्रवाह के बढ्ने के दोष के साथ ही शरीर के दूसरे भागों में रक्त का प्रवाह काफी कम हो जाता है और इसके परिणामस्वरूप निम्न परेशानियाँ उत्पन्न हो सकतीं हैं:
- वजन का तेजी से गिरना
- खाना खाने में परेशानी होना
- काम की गति में गिरावट होना
- थकान का तेजी से बढ़ना
- फेफड़ों में रक्त प्रवाह के कम होने के दोष के साथ ही, रक्त में शुद्धता की कमी हो जाती है और पूरे रक्त के शुद्ध न हो पाने के कारण उसमें औक्सीजन की कमी हो जाती है। इस कारण निम्न परेशानियाँ खड़ी हो जाती हैं:
- होंठ, उँगलियाँ और ज़ुबान का नीला पड़ना
- शरीर में ऑक्सीज़न की कमी हो जाने के कारण किसी भी काम को करने में परेशानी का अनुभव होना
इन लक्षणों के दिखाई देने की उम्र इनकी गंभीरता पर निर्भर करती है।
अत्यधिक गंभीर
गंभीर प्रकार के अनुवंशिक हृदय रोग जन्म के तुरंत बाद स्पष्ट दिखाई दे जाते हैं और इस प्रकार के बच्चे ब्लू बेबी के नाम से जाने जाते हैं।
मध्यम प्रकार
इस प्रकार के रोग आमतौर पर जन्म के तीन महीनों बाद दिखाई देते हैं और इनके कारण बच्चों में वजन का न बढ़ना, खाना खाने में तकलीफ का होना, सांस का तेज़ी से चढ़ना और बार-बार सांस की नली में संक्रमण का होना होने लगता है।
साधारण प्रकार
इस प्रकार के रोग बच्चों में 9 माह से लेकर एक वर्ष तक की आयु में दिखाई देने लगते हैं और इनके लक्षण मध्यम प्रकार के लक्षणों के समान ही होते हैं।
अनुवंशिक हृदय रोगों का इलाज
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बिना सर्जरी के इलाज
कुछ अनुवंशिक हृदयों में हृदय के ऊपरी और निचले क्षेत्र में हुए छेदों और अतिरिक्त जोड़ों को एक छोटी सर्जरी करके ठीक किया जा सकता है। इसमें ओपन हार्ट सर्जरी के स्थान पर इन छेदों पर बटन जैसी डिवाइस लगा दी जाती है। यह डिवाइस एक इंजेक्शन के द्वारा बच्चे के शरीर में प्रवेश करवा दी जाती है। इसके लिए बच्चे के पाँव में स्थित हृदय की धमनी में यह इंजेक्शन लगाया जाता है और और बच्चे को बिना बेहोशी की दवा के ही यह डिवाइस हृदय तक पहुंचा दिया जाता है। इस प्रक्रिया में किसी प्रकार का शरीर पर निशान भी नहीं रहता है और मरीज बहुत आराम से उसी दिन घर भी जा सकता है।
2. ओपन हार्ट सर्जरी
ऐसे मरीज जो जटिल हृदय रोग से पीढ़ित हैं या सामान्य रोग होते हुए भी कुछ जटिलताओं के कारण उनका इलाज बटन डिवाइस से संभव नहीं होता है, उनका इलाज ओपन हार्ट सर्जरी के द्वारा किया जाता है। एक सही समय पर ओपन हार्ट सर्जरी के द्वारा हृदय रोग की परेशानी को ठीक किया जाता है और इसके द्वारा हृदय की बनावट को सम्मान्य करने का प्रयास किया जाता है। इस प्रयास में सामान्य रूप से एक सर्जरी की ही जरूरत होती है लेकिन आवशयकता पड़ने पर 2 या 3 सर्जरी भी बाद की जांच के तौर पर की जाती हैं। यह रोग की गंभीरता पर निर्भर करता है। यह सर्जरी कब करनी है इसका निर्णय भी हृदय रोग की गंभीरता के आधार पर लिया जाता है।
3. मिश्रित प्रक्रिया
कुछ जटिल प्रकृति के अनुवंशिक हृदय रोग शुरू में बिना सर्जरी के ठीक करने का प्रयास किया जाता है जिसमें पाँव की धमनी का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन बाद में बच्चे की उम्र थोड़ी बढ़ जाने पर ओपन हार्ट सर्जरी भी कर दी जाती है।
डॉ गोपी नल्लीयान द्वारा ऑपरेशन किए हुए मरीज
लेखक के बारे में
डॉ गोपी नल्लीयान , एम.एस. एम,केमिस्ट्री , डीएनबी एक मशहूर बच्चों के हृदय रोग विशेषज्ञ हैं जिन्हें इस क्षेत्र में एक दशक से अधिक का अनुभव है और उन्होनें सामान्य से लेकर जटिल प्रकार के हृदय रोग से पीढ़ित नवजात शिशु से लेकर वयस्क अनुवंशिक विकारों तक का सफल इलाज किया है। यदि आप भी बच्चों के हृदय रोग से संबन्धित किसी जानकारी को जानना चाहें तो आप डॉ गोपी नल्लीयान को [email protected] के ईमेल पर संपर्क कर सकते हैं।
umaahanakar says
सर मेरे बच्चे के दिल का बनावट ठीक नहीं है क्या करे
Misba Begum says
कृपया अपने बच्चे को एक डॉक्टर के पास ले जाइये और जांच करवाइये