बच्चो की परवरिश किस तरह से की जाये इस बात पर माता पिता दोनो के अलग अलग विचार हो सकते हैं। माता-पिता मे पेरेंटिंग मतभेदों को दूर करने के 7 सुझाव और इस नई यात्रा के दौरान अपनी शादी को मजबूत और स्थिर बनाए रखने के लिए मै यहाँ आपसे कुछ सुझाव साझा कर रही हूँ।
यहाँ तक कि सबसे खुशहाल कपल्स भी कभी न कभी शादी के दौरान एक दूसरे के पेरेंटिंग स्टाइल से असहमत होते हैं। अब इन मतभेदों को कैसे दूर किया जाये ये पूरी तरह से आप पर निर्भर करता है जिससे न केवल ये तय होगा कि आपकी शादी कितनी सफ़ल है या आप अपनी शादी से कितने खुश हैं अपितु ये भी तय होगा कि आप छोटे बच्चों की परवरिश करने मे सफ़ल हो रहे हैं या नही।
बच्चों को ऐसे माता-पिता की आवश्यकता होती है जो प्रेम पूर्वक घर मे अनुशासन बना सके। वे इसी माहौल मे अच्छे से बढते हैं।
यहां 7 पेरेंटिंग उपाय दिये गये है, जिनका उपयोग आप तब कर सकते हैं जब आपके और आपके जीवनसाथी की बच्चो की परवरिश को लेकर राय अलग अलग हो।
माता-पिता मे पेरेंटिंग मतभेदों को दूर करने के 7 सुझाव
1.नियमित रूप से बातचीत करे
नियमित रूप से बातचीत करने से आप पेरेंटिंग मतभेदों को हल कर सकते हैं इससे पहले कि वे अधिक गंभीर हो जाये। अपने जीवन साथी के साथ बात करते समय उसकी बाते ध्यान से सुने। आप उन्हें ये दिखाये कि आप उनके विचार और राय सुनने के लिए तैयार हैं, ये आपके रिश्ते में शांति और एकता लाने में अहं भूमिका निभाता हैं।
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2.एक दूसरे में विश्वास बनाएँ
किसी भी रिश्ते की नींव विश्वास पर टिकी होती है। बात जब वफ़ादारी और ईमानदारी की आती है ये न केवल उन्हे मानसिक शान्ति प्रधान करता है बल्कि ये उन कपल्स के लिए भी मददगार साबित हो सकती है जो बच्चों को एक साथ पाल रहे होते हैं। शोध से पता चलता है कि वे जोडे जो एक दूसरे पर विश्वास करते हैं वे अपना रिश्ता अधिक उत्साह से निभाते है।
आप निम्न कार्य करके अपने जीवनसाथी के साथ विश्वास बना सकते हैं:
- हमेशा अपने द्वारा किये गये वादे निभाये
- भरोसेमंद बने
- अपने जीवनसाथी की रक्षा करें
- अपनी कथनी और करनी एक समान रखे
- अपने. जीवनसाथी के प्रति ईमानदारी रहे
- असहमत होने पर भी आराम से बातचीत या संवाद करे
3.संयुक्त रहे
बच्चों की परवरिश करते समय, पेरेंट को एक टीम के रूप में कार्य करना चाहिए। शोध बताते है कि वे जोडे जो प्रति दिन की बातचीत मे “मै “कि जगह “हम “शब्द का उपयोग करते है उनके रिश्ते मे भावनात्मक रवैया ज़्यादा सकारात्मक और तनाव कम होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वे अपने जीवनसाथी के साथ एकता की भावना महसूस करते हैं।
ऐसी ही एकता की भावना आपके बच्चे को भी महसूस होनी चाहिए। उन्हें इस बात का पता होना चाहिए कि जो उत्तर उन्हें आपसे मिला है उसके विपरीत उत्तर या परिणाम की अपेक्षा वे दूसरे पेरेट से नहीं कर सकते। उन्हें दूसरे पेरेट से भी वही उत्तर मिलेगा जो आपसे मिला है।
4.फ्लेक्सिबल रहे
पेरेंट को हमेशा एक दूसरे की बात का समर्थन करना चाहिए खास तौर पर बच्चो के सामने उदाहरण के तौर पर,जब आप अपने बच्चे से किसी विषय पर बात करना चाहते है तो अपने पार्टनर से कहे “मुझे अपने बच्चे से इस बारे ज़रूरी बात करनी है। मै वास्तव मे आपके समर्थन की सराहना करूगी” इतना कहकर आप अपने जीवन साथी को बता सकते है कि ये विषय आपके लिए कितना महत्वपूर्ण है और उनका ध्यान आप अपनी तरफ़ खींच सकते हैं।
5.नियम मिलकर बनाये
ये मजाक की बात नही है लेकिन माता पिता होने के नाते आपको अपने घर मे नियम और परिणाम तय करने होंगे। पालन करने के लिए सबसे बड़ी पेरेंटिंग युक्तियों में से एक है -हमेशा अनुशासनात्मक बातचीत में अपने साथी को शामिल करना यानि कि किस तरह से घर मे अनुशासन लाया जाये इस बारे अपने पार्टनर की राय ज़रूर ले।
आपके और आपके जीवन साथी के बीच किस परिस्थिति मे क्या सज़ा देनी है और क्या प्रतिक्रिया होनी चाहिए ये बातचीत पहले से होना बहुत ज़रूरी है
यदि आपको बच्चों को ऐसा लगता है कि आपके और आपके जीवन साथी के बीच किसी विषय पर एकराय नहीं है तो वे इस बात का फ़ायदा उठा सकते है और अपना काम निकलवाने के लिए वे आप दोनो को एक दूसरे के खिलाफ़ कर सकते हैं
ऑनलाइन मैरिज़ कोर्स की सहायता से आप और आपके जीवन साथी विभिन्न संचार तकनीकों के बारे मे ज़्यादा जान सकते हैं और बच्चों की परवरिश मे आपको, क्यो एक टीम के रूप मे काम करना है इस बात का पता भी चल जायेगा।
6.परिणाम के बारे मे बात करे
याद रखें कि अनुशासन कठोर या क्रूर नहीं होना चाहिए बल्कि प्रेमपूर्ण और लाभदायक होना चाहिए। पीडियाट्रिक्स चाइल्ड हेल्थ जर्नल के अनुसार, अनुशासन को प्रभावी बनाने के लिए संतुलित होना बहुत ज़रूरी है।
अध्ययन में कहा गया है कि “प्रभावी और सकारात्मक अनुशासन बच्चों को पढ़ाने और उनका मार्गदर्शन करने के बारे में है, न कि उन्हें केवल हर आज्ञा मानने के लिए मजबूर करना।” बच्चे का अपने माता-पिता के साथ हेल्थी बॉन्ड होना चाहिए और उसे माता पिता पर ये यकीन होना चाहिए कि वे दिल से अनुशासन को उसके लिए लाभकारी या फ़ाय्देमन्द बनाना चाहते हैं।
जैसा कि वे कहते हैं, सज़ा भी “अपराध के अनुसार ” होनी चाहिए। उदाहरण के लिए, कर्फ्यू के कारण दो मिनट देरी से घर आना आप आसानी से माफ़ कर सकते हैं। इस तरह की एक साधारण गलती के लिए उन्हें घर से बाहर न जाने देना या उनसे सेल फोन लेना कोई प्यार नहीं होगा। इसी तरह कम आयु मे शराब पीने के कारण अपने बच्चे की “कलाई पर थप्पड़” मारने से भी कोई फ़ायदा नहीं होगा।
7.अपनी शादी का ख्याल रखे
द जर्नल ऑफ हैप्पीनेस स्टडीज ने पाया कि वैवाहिक संतुष्टि तभी बढती है जब पति-पत्नी एक दूसरे को अपना सबसे अच्छे दोस्त मानते हैं।
जिन बच्चों के माता पिता अपनी शादी को प्राथमिकता देते है वे बच्चे बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के कारण स्कूल मे या समाज मे अपना कार्य अच्छे से कर सकते हैं I
अध्ययनों के अनुसार सबसे बेहतर पेरेंटिंग सुझाव हैं – अपनी शादी का ख्याल रखना । आप अपने जीवनसाथी के जितने करीब होंगे, उतनी ही आसानी से आप उन्हें अच्छे माता-पिता के रूप मे पाएंगे।
पेरेंटिंग कभी कभी रिवॉर्डिंग तो कभी कभी निराशाजनक हो सकती है। हमेशा संवाद यानि कि बातचीत करे , एक दूसरे पर भरोसा करे , अपने बच्चों के सामने संयुक्त रहे और लचीला बने। इन पेरेंटिंग टिप्स के साथ आप अपने को – पेरेंट (सह अभिभावक) के साथ एक मजबूत रिश्ता बनाए रख सकते हैं।
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