बच्चों में अपनी अपनी उम्र के मुताबिक ही बोलने की क्षमता विकसित होती है . लेकिन बच्चों में बोली विकास – क्या सामान्य है , क्या नहीं ? ये जानने से आपको किसी भी परेशानी को जानने में मदद मिलेगी.
एक बच्चे की मुस्कान, जीवन को जीने लायक बनाती है
क्या आपको याद है जब आपने अपने बच्चे को पहली बार अपने साथ हसते हुए देखा था? जिस तरह से उसने आपको देखा था, यह पहचाना था कि आप ही उसके जीवन की पहली मोहब्बत हैं और उसके बाद प्यार से बिना दांतों के प्यारी सी हंसी याद है आपको. यह किसी भी माता-पिता के लिए कभी न भूल पाने वाला वक्त होता है।
मुस्कुराना किसी भी शिशु का अपने माता पिता से बात करने का दूसरा तरीका होता है, पहला होता है रोना . हालांकि, जब भी शिशु को खाना, कपड़े बदलने के लिए बताना इत्यादि कोई भी कार्य होता है तो वह रोता है. जब शिशु यह समझ जाता है कि रोने से उसे वो मिलेगा जो उसे चाहिए तो यह भी बात करने का एक तरीका बन जाता है. हालांकि, किसी भी नई मां के लिए बच्चे के रोने का मतलब समझना शुरुआत में थोड़ा मुश्किल होता है. पहली बार माता-पिता बनने वाले कई पेरेंट्स अकसर ही ऐसा कहते हैं कि काश यह बोल पाता कि इसे क्या चाहिए.
खैर आपका बढ़ता हुआ बच्चा आपसे जल्द ही बात करने लगेगा लेकिन बोलना एक कॉम्पलेक्स प्रोसेस है जिसमें कुछ हद्द तक शारीरिक विकास की आवश्यकता होती है. विशेष रूप से जबड़ों, होंठ और जीभ पर अपना नियंत्रण. चलिए बच्चों में बोली विकास – क्या सामान्य है , क्या नहीं ? आपको इस बारे में थोड़ा विस्तार में बताते हैं.
बोली और भाषा के बीच का फर्क
लोग अकसर बोलने की क्षमता और भाषा विकास को एक ही मानते है , लेकिन वे वास्तव में समान नहीं हैं.
भाषा- भाषा शब्दों, व्याकरण और समझने योग्य विचारों को भरने की पूरी प्रणाली का संयोजन है. भाषा में विभिन्न पहलुओं जिनमें, मौखिक, गैर-मौखिक, साथ ही संकेत शामिल हैं.
बोली- दूसरी ओर, बोली, मौखिक रूप में भाषा की अभिव्यक्ति है. यह वह आवाज है जो हम करते हैं, एक नियंत्रित रूप में उन शब्दों को बनाते हैं जो भाषा का हिस्सा हैं. बोली तब होता है जब जबड़े, जीभ, होंठ और मुखर तारों की सभी मांसपेशियां सार्थक आवाज उत्पन्न करने के लिए मिलकर काम करती हैं.
बच्चों में, बोली पहले विकसित होता है, क्योंकि एक बच्चा अपने मुंह और आवाज का उपयोग करके विभिन्न आवाज़ें सीखना शुरू कर देता है. जैसे ही मस्तिष्क और मांसपेशियों का विकास होता है, बच्चा यह समझना शुरू कर देता है कि कुछ ध्वनियों का मतलब कुछ चीजें हैं और यह भाषा विकास की शुरुआत है.
आम तौर पर, बोली विकास और भाषा विकास साथ साथ चलते हैं, लेकिन इन दोनों के बीच अंतर को समझने से किसी भी विकास में देरी हो सकती है. समस्या के सटीक क्षेत्र की पहचान करने से उपचार बहुत तेज और आसान हो जाएगा.
शिशुओं में बोली विकास के बारे में तथ्य-
- 6 महीने तक बच्चे अपनी मात्र भाषा के सामान्य शब्दों को समझने लगते हैं.
- यहां तक कि NICU में रखे गए प्रीमेच्योग बेबीज भी बढ़ों की बातों पर प्रतिक्रिया देते हैं.
- किसी भी सामान्य शब्द को बोलने की औसत उम्र 12 महीने है.
- लड़कियां, लड़कों के मुताबिक जल्दी बोलना शुरू कर देती हैं.
- लड़कों में विकास में देरी और बोली विकार लड़कियों के मुताबिक अधिक होता है
- द्विभाषी परिवारों में बच्चों को बोली विकास में थोड़ी देर हो सकती है
- 5 में से 1 बच्चे को बोली और भाषा का विकास करने में सामान्य से अधिक वक्त लगता है.
बच्चों में बोली विकास – क्या सामान्य है , क्या नहीं ?
शिशुओं में बोली विकास के मानक
महत्वपूर्ण: ये बच्चों में बोली विकास के सामान्य दिशानिर्देश हैं, लेकिन हर बच्चा अलग है और अपने स्वयं के शिड्यूल के अनुसार प्रत्येक मील का पत्थर प्राप्त करता है. इन दिशानिर्देशों से माता-पिता को एक सामान्य विचार मिलेगा कि उनका बच्चा कैसे विकसित हो रहा है और ध्यान दें कि क्या बच्चा वास्तव में क्या कर सकता है और उस उम्र की क्या अपेक्षा की जाती है.
3 महीने
- तेज आवाज पर प्रतिक्रिया देना
- माता-पिता की आवाज को पहचानना
- बात करने के वक्त शांत हो जाना
- किसी भी आवाज को सुनते वक्त दूध पीना बंद कर देना
- अलग अलग आवश्यकता के लिए अलग अलग तरह से रोना
- माता पिता के चेहरे को देख कर मुस्कुराना
6 महीने
- आंख और चेहरा जिस तरफ से आवाज आ रही है उस तरह घुमा लेना
- गाना बजते वक्त गाने पर ध्यान देना
- आवाज करने वाले खिलोनों को ध्यान से देखना
- बात करने वाले शख्स के चेहरे को देखना
- वक्ता के बोलने का तरीका बदलने पर प्रतिक्रिया देना
- अकेले या किसी के साथ खेलते हुए अलग अगल आवाज निकालना
- अपनी भावनाओं को समझाने के लिए अजीब आवाज करना. जैसे- पी,बी और मै
- रोने के अलावा और भी प्रतिक्रियाएं करना जैसे हसना
1 साल
- तेजी से आवाज आने वाली जगह की तरफ मुड़ जाना
- पीक- अ-बू जैसे खेल खेलना
- इधर आओ, मुझे ये दो जैसे अनुदेश पर प्रतिक्रिया देना
- अपना नाम पुकारे जाने पर प्रतिक्रिया देना
- ज्यादा देर तक बात करने पर ध्यान से सुनना
- किसी ओर इशारा करने पर ध्यान से देखना
- ना, कप, जूते जैसे शब्दों को समझना
- बाबाबा, पुपुपुपु जैसी आवाज करना
- किसी को आकर्षिक करने के लिए शोर मचाना
- सिर को लहराते हुए, इंगित करने, पहुंचने या हाथ हिलाकर संचार करना
- दूसरों द्वारा की गई आवाज को कॉपी करने की कोशिश
- एक दो शब्द जैसे, जाओ, बाबा, मामा आदि बोलना
2 साल
- आसान, छोटी कहानियां और गानें सुनना पसंद करते हैं.
- आसान सवाल जैसे दादा कहां है? को आसानी से समझते हैं
- आसान इंस्ट्रक्शन जैसे मुझे वो खिलोना दो, समझते हैं
- शरीर के कुछ अंगों के बारे में पूछे जाने पर इशारा कर बताना
- वस्तुओं की वस्तुओं के चित्रों को सही ढंग से पहचानना
- शब्दों को शुरू करने से पहले एन, एम, पी जैसे व्यंजनों का प्रयोग करना
- वाक्यों या प्रश्नों में शब्दों को जोड़ना, जैसे “अधिक दूध”, “कुत्ते कहां हैं?”
3 साल
- ‘अप-डाउन’, ‘बड़े-छोटे’ जैसे शब्दों को समझना
- नए शब्दों को जल्दी सीखना
- पहले से मुश्किल वाक्यों को समझना जैसे, अपना दूध खत्म कर और मुझे कप दो
- हर चीज के लिए एक शब्द होना और रोजाना 2 से 3 बार बात करते वक्त उसका इस्तेमाल करना
- सही शब्द के साथ सवालों का जवाब देना
- उन चीजों के बारे में बात करना जो कमरे में मौजूद नहीं हैं
- के, जी, एफ, टी, डी जैसी आवाजों का इस्तेमाल करना
- अधिक सर्वनाम का उपयोग करता है, “मेरा”, “उसका”, “उसकी”
- खुश’, ‘ठंडा’ जैसे वर्णनात्मक शब्दों को समझना
- बहुवचन और भूत काल का उपयोग करना
- शब्दों की अंतिम ध्वनियों को छोड़ देना
- कुछ शब्दों को परिवार द्वारा समझा जा सकता है अन्यों द्वारा नहीं
4 साल
- दूसरे कमरे से खुद के नाम की आवाज को समझना
- परिवार द्वारा सुनी जाने वाली आवाज में ही टीवी पर चल रहे कार्यक्रम को देखना
- ह्यूमर और बेकार की बातें जैसे मेरे बैग में हाथी है पर खुश होना
- ज्यादातर सर्वानाम का इस्तेमाल करना लेकिन आई, आर, एस, श, च, या आदि बोलने में परेशानी होना
- रंग, आकार, रिश्ते जैसे माता-पिता, दादी, भाई आदि की पहचान करना
- डेकेयर, दोस्तों या दुनिया भर के बारे में अधिक विस्तृत बातचीत करना
- 4 शब्दों से ज्यादा के वाक्यों का इस्तेमाल करना
- भावनाओं और वस्तुओं को पहले से बेहतर समझना
- ‘चलने’, ‘बात करने’ जैसी निरंतर काल ( टेन्सेस ) का उपयोग करना
- पूर्ण वाक्यों को दोहराना
- अजनबियों को बच्चे की पहले से ज्यादा बातें समझ आना
5 साल
- लघु कहानियां सुनना और उससे जुड़े सवालों के जवाब देना
- घर और स्कूल में की जाने वाली सभी बातों को समझना
- कई चरणों के साथ जटिल निर्देशों का पालन करता है
- बच्चों, बढ़ों और अजनबियों के साथ आसानी से संचार करना
- विस्तार में लघु कहानियां सुनाना
- राइमिंग शब्दों को बोलना जैसे टोपी में बिल्ली है
- कुछ अक्षरों और नंबरों को पहचानना
- पहले और आखिरी जैसे आदेशों को समझना
- समूह या जानवरों, पक्षियों जैसे समान वस्तुओं को सूचित करना
- आज या कल जैसी बातों को समझना
- क्यों से शुरू होने वाले सवालों के जवाब देना
- लगभग 200-300 शब्दों की शब्दावली होना
ये दिशानिर्देश बहुत सामान्य हैं और कुछ मील का पत्थर जल्दी तो कुछ बाद में हिट करना सामान्य बात है. कुछ बच्चे तेजी से बात करना सीखतें है और फिर अचानक धीमे हो सकते हैं. कुछ बच्चे धीमे हो सकते हैं लेकिन अचानक बहुत तेजी से सीखने लगते हैं.
जीन भी इस प्रक्रिया में एक भूमिका निभाते हैं. यदि माता-पिता कोई भी चीज़ धीरे सीखते थे, तो संभव है कि बच्चा भी देर से सिखने वाला होगा. द्विभाषी परिवारों में भी बच्चों को अधिक समय लगता है क्योंकि उन्हें एक ही समय में विभिन्न भाषाओं को समझना होता है. हालांकि अपेक्षित मील के पत्थर तक पहुंचने में व्यापक भिन्नता विकास में देरी का संकेत दे सकती है.
बोली के विकास में देरी
जिस तरह से बोली और भाषा दोनों अलग चीजे हैं. उसी तरह से बोली और भाषा के विकार भी अलग अलग होते हैं. लेकिन ये दोनों कुछ हद्द तक ओवरलैप दिखा सकते हैं. उदाहरण के लिए बोली में विकास में देरी वाला बच्चा
स्वयं को व्यक्त करने के लिए शब्दों का इस्तेमाल तो करता हो, लेकिन आपको समझ में न आता हो. वहीं, भाषा के विकास में देरी वाले बच्चे शब्दों को सही से तो बोल पा रहे होंगे लेकिन उन्हें शब्दों को जोड़ने और वाक्य बनाने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा होगा.
वैसे तो बोली के विकास में देरी के बहुत से कारण हो सकते हैं लेकिन मुख्य रूप से इसका कारण सामान्य देरी है. बच्चे के जीवन के पहले 3 साल बोली विकास के लिए एक महत्वपूर्ण अवधि है, इस दौरान बच्चे का मस्तिष्क तेजी से विकास कर रहा होता है. इस चरण के दौरान पर्याप्त भाषा एक्सपोजर की कमी बोली और भाषा दोनों विकास को में देरी का कारण हो सकती है.
एक अन्य महत्वपूर्ण कारण सुनने में समस्या हो सकती है, जो बोली को प्रभावित करता है. कुछ बच्चों में संरचनात्मक विकृतियां हो सकती हैं, जैसे कि जीभ, तालु या फ्रेनुलम के साथ समस्याएं.
इनके अलावा, किसी भी प्रकार की संज्ञानात्मक या मानसिक हानि बोली को प्रभावित कर सकती है, क्योंकि यह बुद्धिमान बोली देने के लिए आवश्यक सभी मांसपेशियों को समन्वयित करने की जरूरत होती है.
भाषा विकास में देरी के संकेत
आपके बच्चे में बोली या भाषा विकास देरी हो सकती है यदि वह अपनी उम्र में निम्नलिखित में से कोई भी संकेत प्रदर्शित करता है
3 महीने के बच्चे
- हंसते नहीं है
- दूसरे लोगों के साथ खेलते या दूसरों की बातों पर रिएक्ट नहीं करते
6 महीने के बच्चे
- किसी भी तरह की आवाजे नहीं निकालते
- किसी भी जगह से आवाज आने पर मुड़कर नहीं देखते
12 महीने के बच्चे
- थोड़ी बहुत ही आवाज करना
- कुछ पूछने के लिए शब्दों या आवाज का इस्तेमाल न करना
- दूसरों से बात करने के लिए इशारे न करना जैसे किसी ओर उंगली करना या हाथ हिलाना
- आवाज लगाए जाने पर प्रतिक्रिया न देना
18 महीने के बच्चे
- आसान निर्देशों को समझने में परेशानी होना
- जाने पहचाने शब्दों को न पहचान पाना
- शब्दों के मुकाबले ज्यादा इशारे करना
- आवाजों को दोहराने में दिक्कत होना
2 साल के बच्चे
- बात करने के लिए बहुत कम आवाज और कम शब्दों का प्रयोग करना
- दो या दो से ज्यादा शब्दों को साथ मिलाने में परेशानी होना
- जरूरी और तुरंत बात करने के अलावा बात न करना
- निर्देशों का पालन करने में परेशानी होना
- बोलने की कोशिश करने पर मुश्किल से बोल पाना
3 साल के बच्चे
- पहले शब्दांश को बार बार दोहराना. जैसे ब…ब…ब… बिल्ली
- कुछ भी बोलने में बहुत वक्त लगाना
- शब्दों को खींचना
- सुनने के वक्त लगना कि वह नाक से बोल रहे हैं
सामान्य दिशानिर्देश अनुसार 2 साल की आयु तक, कम से कम माता-पिता और करीबी परिवार या देखभाल करने वालों को बच्चे की आधी से ज्यादा बातें समझ आनी चाहिए. 4 वर्ष की आयू होने तक बच्चे द्वारा कही जाने वाली बातें अजनबियों को आसानी से समझ में आनी चाहिए.
सामान्य बोली विकार
1- बड़बड़ाना– बड़बड़ाना और हकलाना बोली के प्रवाह को प्रभावित करता है. यहां, बच्चे शेष वाक्य के साथ आगे बढ़ने से पहले कई बार शब्द के पहले भाग को दोहरा सकते हैं. जब बच्चा तनाव में पड़ता है तो यह और भी खराब हो सकता है.
2- तुतलाना– बच्चे उस वक्त तुतलाते हैं जब वह कई शब्दों को बाकियों की तरह नहीं बोल पाते. उदाहरण के लिए कुछ बच्चे जो स और ज को सही से नहीं बोल पाते वो इसकी जगह श का इस्तेमाल करते हैं. जैसे सैर को शैर बोलना आदि
3- अव्यवस्थित– अव्यवस्था बोली की गतिशीलता को प्रभावित करती है, जहां बच्चा अचानक बोलता है और अचानक रुक जाता है – उनका पूरा बोली ‘झटकेदार’ और असंगठित दिखाई देता है और खुद को व्यक्त करना उनके लिए मुश्किल हो जाता है.
4- भाषा का एपरेक्सिका– ऐसी स्थिति में बच्चे को मालूम होता है कि वो क्या बोलना चाहता है लेकिन बोलने में असमर्थ होते हैं. इसका कारण मस्तिष्क और बोली की मांसपेशियों के बीच संबंधों का न होना है, जहां मस्तिष्क मांसपेशियों को संदेश में नहीं भेज सकता है, भले ही वे स्वयं पूरी तरह कार्यात्मक हों.
5- डायसर्थरिया– डायसर्थरिया तंत्रिका या मांसपेशियों की क्षति के कारण होता है, जिसके परिणामस्वरूप बच्चे धीमी या अजीब लय में बात करते हैं. इस स्थिति में मरीजों को अपने जबड़े, होंठ या जीभ को स्थानांतरित करने में भी परेशानी हो सकती है.
6- हाइपोनेसेलिटी/ हाइपरनेसेलिटी– ये गले, मुंह और नाक के माध्यम से आवाज के रूप में उत्पन्न ध्वनि से संबंधित विकार है. इसमें ऐसा लगता है कि बच्चा नाक से बोल रहा है, क्योंकि नाक के माध्यम से जरूरी आवाज शक्ति नहीं गुजरती है या इससे काफी ज्यादा आवाज की शक्ति गुजरती है.
7- अलालिया– यह बोली देरी का सबसे सामान्य प्रकार है, जहां कारण मस्तिष्क कार्य में एक साधारण देरी से लेकर कुछ भी हो सकता है.
स्पीच डेवलपमेंट आनुवांशिक विकारों जैसे डाउन सिंड्रोम या ऑटिज़्म जैसे अन्य विकास या सीखने के विकारों से भी प्रभावित हो सकता है.
अगर आपको अपने बच्चे में बोली विकास में देरी पर संदेह है, तो अपने बाल रोग विशेषज्ञ से बात करें जो बच्चे को सटीक रूप से समझ सकेगा. यदि वास्तव में देरी हो रही है, तो आपको बोली भाषा रोग विशेषज्ञ या एक विकास मनोवैज्ञानिक जैसे बाल बोली विकास के क्षेत्र में विशेषज्ञों के लिए संदर्भित किया जा सकता है.
शिशुओं और बच्चों में बोली विकास को प्रोत्साहित करने की युक्तियां
माता-पिता के पास यह सुनिश्चित करने में बड़ी भूमिका होती है कि एक बच्चे का बोली और भाषा सामान्य तरीके से विकसित हो. चूंकि बच्चे के जीवन के पहले तीन वर्षों में बोली विकास के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात है, इस अवधि का अधिकतर हिस्सा यह सुनिश्चित करने के लिए करें कि आपका बच्चा सामान्य रूप से विकसित हो. यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं कि आप प्रत्येक चरण में क्या कर सकते हैं.
0 से 6 महीने तक के बच्चों के लिए
अपने बच्चों से हर बार मौका मिलने पर बात करें और उनसे बच्चों की भाषा में बात करने से न डरें. छोटे बच्चे भाषा पर ध्यान देते हैं और तेज भाषा को सुनते हैं इसलिए उनसे बात करते वक्त लालबीज गाएं. अगर आप चाहें तो बच्चों से बात करने के लिए बच्चों की इशारों की भाषा का भी इस्तेमाल कर सकती हैं.
7 से 9 महीनों के बच्चों के लिए
जब आप अपने बच्चों को गोद में उठाएं तो उन्हें आस पास क्या है सब दिखाएं और उस बारे में बात करें. उन्हें बताएं कि आप उनके लिए खाना बना रही हैं या पार्क में जितने भी फूल है उसके बारे में बताएं. ये काफी हद्द तक एक तरफा बातचीत हो सकती है लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि आपका बच्चा इसे ध्यान से सुने. अगर बच्चा आपकी बात पर प्रतिक्रिया देता है तो उसे प्रोत्साहित करने के लिए कुछ बोलें।
10 से 12 महीने के बच्चे
अपने बच्चों को उनके मुताबिक और उनकी भाषा में बात करने का मौका दें और रोज रोज उनकी गलतियों को सही करना छोड़ दें. हालांकि, उनसे बात करते वक्त सही शब्दों का इस्तेमाल करें न कि इस तरह से बात करें कि वो आपके शब्दों को दोहराए. अगर बच्चा डोगी को डोग्गा बोलता है तो आप कह सकती हैं कि हां यहां पर एक डोगी है.
13 से 18 महीने के बच्चों के लिए
अपने बच्चे से हर अवसर पर बात करना जारी रखें, और नए शब्दों को शामिल करना शुरू करें. उसे दिखाएं कि निर्देशों का पालन कैसे करें और उन्हें सफलतापूर्वक निष्पादित करते समय बहुत उत्साह की पेशकश करें. सीमित शब्दों और बहुत सारी तस्वीरों के साथ बोर्ड पुस्तकें चुनें और उन शब्दों में प्रत्येक तस्वीर के बारे में बात करें जो वह समझेंगे.
19 से 24 महीनों के बच्चों के लिए
अपने बच्चे से सरल प्रश्न पूछें और जवाब देकर बातचीत जारी रखें. शिष्टाचार सिखाने का यह एक अच्छा समय है जब आपका बच्चा कुछ मांगता है, आप उसे कुछ वापस देने के लिए कहते हैं. इंटरेक्टिव गेम्स और नर्सरी गायन इस आयु वर्ग के बच्चों को बोलना सिखाने के लिए अच्छा होता है. सरल, लेकिन पूर्ण वाक्यों में बोलना जारी रखें और सीखने के लिए बच्चे पर ज्यादा दबाव डालने की कोशिश न करें. टोडलर को बात करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए और अधिक युक्तियों के लिए हमारी पोस्ट देखें.
आम तौर पर, आपके बच्चे बोलने और सुनने के लिए जितने अधिक मौके मिलते हैं, बोली विकास उतना बेहतर होता है. पृष्ठभूमि में चल रहे टीवी से बचें, और स्वयं घोषित शैक्षिक डीवीडी वास्तव में मदद नहीं करते हैं. यदि स्क्रीन टाइम का उपयोग कर रहे हैं, तो इसे एक साथ करें, और आप जो देख रहे हैं उसके बारे में अपने बच्चे से बात करें. हालांकि किताबें कई मायनों में टीवी से बेहतर होती हैं, और आप बच्चे के जन्म के साथ ही उसे ये सिखाना शुरू कर सकते हैं.
आप सभी पाठकगण मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। कृपया मुझे अवश्य बताएँ कि मैं आपकी सहायता किस प्रकार कर सकती हूँ।
आप अपने प्रश्न मुझसे फेसबुक के ज़रिये भी पूछ सकते हैं।
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