खांसी और ठंड में बच्चों को खिलाने के लिए 40 सर्वश्रेष्ठ पदार्थ : सभी माता-पिता जानते है और मानते है कि, एक बीमार बच्चे से निपटना बिल्कुल आसान नहीं है। विशेष रूप से छोटे बच्चो से , जो यह भी व्यक्त नहीं कर सकते कि वे कैसा महसूस कर रहे हैं । ना ही वे हमे शब्दों में बयां कर पातें है की उन्हें क्या चाइये।
इस समय कुछ भी खाने की इच्छा नहीं होती और माता-पिता के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक उन्हें कुछ खाने के लिए प्रेरित करना।
खांसी और ठंड से निपटना अपने आप में एक चुनौती है , क्योंकि गले में खुजली होती है, नाक बहती है, और बच्चे को खाने में और सांस लेने में मुश्किल होती है । आप खांसी और ठंड से राहत पाने के लिए घरेलू उपचारों का प्रयोग कर सकते हैं। आप खांसी और ठंड के लिए आयुर्वेदिक तेल का का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इस समय खाने में अरुचि के साथ ही उल्टी की सम्भावना भी रहती है। जब बच्चे लंबे समय तक सोते हैं, तो आपके पास उन्हें खिलाने के लिए बहुत ज्यादा समय नहीं बचता है।
बीमारी मे बच्चे को खाना खिलाने की इतनी सारी चुनौतियों के कारण आपको खांसी या ठंड के दौरान खाने वाले खाद्य पदार्थों के बारे में स्मार्ट होना चाहिए। इस समय खाना ऐसा होना चाइये –
- आसानी से पचाने योग्य
- प्रोटीन, विटामिन ए, सी, के जैसे पोषक तत्वों से भरा हुआ
- वजन न घाटे इसके लिए पर्याप्त कैलोरी कैलोरी से भरा
- कम मसाले का
- हल्का और नरम / खाने में आसान
डब्ल्यूएचओ के अनुसार बच्चे के जीवन के पहले छह महीनों में सिर्फ स्तनपान कराना चाइये , इसलिए इस उम्र के शिशुओं को माँ के दूध के अलावा कुछ भी नहीं देना चाहिए – यहां तक कि पानी भी नहीं। 6 महीने शिशुओं और बड़े बच्चों को नियमित अंतराल पर छोटी मात्रा में खाना खिलाने की कोशिश करें , लेकिन जबरदस्ती ना करें । उन खाद्य पदार्थों को चुनने का प्रयास करें जिन्हें वे पसंद करते हैं ताकि वे खाने मे आनाकानी ना करें ।
आपका जीवन आसान बनाने के लिए, हमने खांसी और ठंड में बच्चों को खिलाने के लिए 40 सर्वश्रेष्ठ पदार्थ की लिस्ट तैयार की है। अपने बच्चे को खिलने से पहले प्रत्येक पर आयु अनुशंसा की जांच करें।
खांसी और ठंड में बच्चों को खिलाने के लिए 40 सर्वश्रेष्ठ पदार्थ
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स्तन पान
माँ का दूध बीमार बच्चे के लिए अमृत सामान होता है। माँ के दूध में किसी भी दवाई से ज्यादा बीमारी से लड़ने की क्षमता होती है। तो अगर आप अपने बच्चे को स्तनपान करा रहे हैं, तो बच्चे की मांग के अनुसार ऐसा करना जारी रखें। अगर आपका बच्चा ठोस आहार लेना शुरू कर चूका है तो भी बीमार होने पर वो ज्यादा स्तनपान करने की इच्छा रख सकता है।
कैल्शियम, आयरन, जस्ता, मैग्नीशियम और तांबा जैसे विटामिन और खनिजों के साथ, जौ पानी बच्चों को पिलाने के लिए सबसे स्वस्थ पेय पदार्थों में से एक है। यह एंटी-ऑक्सीडेंट्स और फाइटोकेमिकल्स से भरा पाचन तंत्र को परेशान किए बिना बीमारी से राहत प्रदान करता है ।
आयु: 6 महीने +
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तुलसी का पानी
तुलसी, या भारतीय तुलसी, एक प्राकृतिक अनुकूलन है, जो शरीर को किसी भी तरह के तनाव से लड़ने में मदद करता है, जिसमें खांसी और ठंड भी शामिल है। आधे लीटर पानी में 3-4 मिनट के लिए कुछ तुलसी की पत्तियों को उबालें। पानी के ठंडा होने पर छान कर उसे बच्चे को पिलाएं।
आयु: 6 महीने +
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अदरक की चाय
अदरक को प्राकृतिक एंटीवायरल माना जाता है, यहां तक कि अदरक की सुगंध भी बहुत आराम पोछाती है । यह पसीने को शरीर से बहार निकलने में मदद करता है और बुखारमें शरीर के तापमान को कम करता है। एक गर्म अदरक की चाय सर्दी में दवा के रूप में कार्य करटी हैं।
आयु: 8 महीने +
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नींबू शहद का पानी
शहद आपके रसोईघर में सबसे अधिक औषधीय गुणों से युक्त खाद्य पदार्थों में से एक है और कई खांसी सिरप के मुख्य घटकों में से एक है। शहद गले पर एक परत बनाता है और संक्रमण से होने वाली खुजली से आराम दिलाता है । एक वर्ष से ऊपर के बच्चों को नींबू का रस और शहद को एक चम्मच गर्म पानी के साथ मिला कर दिया जा सकता है ।
आयु: 1 वर्ष +
हल्दी को तरल सोना भी कहा जाता है , हल्दी दूध खांसी और ठंड सहित कई बीमारियों के लिए एक पुराना उपाय है। मसालेदार हल्दी दूध का एक कप खांसी से छुटकारा पाने में मदद कर सकता है और अच्छा महसूस करा सकता है। आप हल्दी दूध बनाने के लिए हमारा हल्दी दूध मसाला यहाँ से खरीद सकती है।
आयु: 1 वर्ष +
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हॉट चॉकलेट
यह शायद एकमात्र उपाय है जिसको सभी बच्चे खुशी से उपभोग करेंगे! कोको में फ्लेवोनोइड्स होते हैं, जिसमें गहरे कोको में हरी चाय से लगभग दो से तीन गुना अधिक एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। इसकी बीमारी को ठीक करनी की क्षमता को दालचीनी पाउडर डाल कर और भी बढ़ाया जा सकता है ।
आयु: 1 वर्ष +
जब बच्चों को भूख नहीं लगती और वे चिड़चिड़े हो रहे हो , तो चावल का सूप सही उपाय के रूप में कार्य करता है। यह बच्चे की तरल पदार्थ और ऊर्जा की जरुरत को पूरा करके उसे ठीक होने में मदद करता है । इसका बेमसाला स्वाद उन बच्चों के लिए भी अच्छा काम करता है जो बीमार होने पर कुछ भी भारी खाना नहीं खा सकते हैं।
आयु: 6 महीने +
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लहसुन और दाल का सूप
चावल सूप के साथ, दाल का पानी या दाल का सूप खांसी, ठंड या बुखार के लिए बिल्कुल सही है। लहसुन में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीवायरल गुण होते हैं जो संक्रमण को रोकने में मदद करते हैं और उपचार प्रक्रिया को तेज करते हैं।
आयु: 6 महीने +
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वेजिटेबल मूंग दाल सूप
मूंग दाल या मुंग सेम प्रोटीन के सबसे अच्छे पौधों में से एक हैं, जिसमें आवश्यक अमीनो एसिड होते जो शरीर स्वाभाविक रूप से उत्पादन नहीं करता है। ये प्रोटीन बीमारी से उभरने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह सूप, सब्जियों के अतिरिक्त पोषण के साथ बच्चों को बीमारी से ठीक होने की शक्ति देने का सबसे अच्छा तरीका है।
आयु: 8 महीने +
कद्दू शरीर की प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन यह खांसी या ठंड से पीड़ित होने पर भी खाया जा सकता है । कद्दू बीटा कैरोटीन (एक प्रकर का एंटीऑक्सिडेंट) में समृद्ध होते हैं, जो बीमारी से लड़ने की क्षमता को बढ़ता है । यह फाइबर में भी समृद्ध है इसलिए बीमारी में बच्चे की पाचन शक्ति को भी सुचारु रखता है । कद्दू के सूप में आप हमारा इम्मुनोबूस्टर पाउडर डालकर उसकी रोगप्रतिरोधक क्षमता को दुगना कर सकते है। आप इम्म्यूनो बूस्टर पाउडर ऑर्डर कर अपने घर पर इसे प्राप्त कर सकते है।
आयु: 6 महीने +
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गाजर चुकंदर का सूप
आम तौर पर जमीन के अंदर उगने वाली सब्जियां विटामिन ए, बी और सी के लिए लोकप्रिय होती हैं। यह सभी संक्रमण से लड़ते हैं और प्रतिरक्षा को बढ़ावा देते हैं। चुकंदर एंटीऑक्सीडेंट से भरे होते हैं और गाजर के पा बीटा कैरोटीन होता है। यह सूप एक बीमार बच्चे के लिए बिल्कुल उपयुक्त है।
आयु: 6 महीने +
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चिकन सूप
चिकन सूप का केवल स्वाद ही अच्छा नहीं है बल्कि यह ठंड, खांसी और बुखार के लिए आदर्श भोजन भी है। चिकन सूप खांसी से लड़ने में मदद करता है और नाक में सूजन होने के कारण बंद नाक को खोलता है । चिकन सूप म्यूकस को पतला कर बंद नाक खोलने में मदद करता है।
आयु: 7 महीने +
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मटन सूप
मटन सूप या पेया का उपयोग पीढ़ियों से ठंड और खांसी के इलाज के लिए किया गया है। यह शोरबा कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस और अन्य मूल्यवान खनिजों को शरीर में प्रवाहित करता है , जिसे आसानी से शरीर द्वारा अवशोषित किया जा सकता है। यह सूप उन तत्वों को भी शरीर में प्रवाहित करता हैं जो खांसी से लड़ने में मदद करते हैं।
आयु: 8 महीने +
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टमाटर का सूप
एक टमाटर में विटामिन सी के R D A का 40% होता है. यह एक ऐसी सब्जी है जिसे ठंड या खांसी के दौरान भुलाया नहीं जा सकता है। इसके अलावा, इसमें विटामिन A और k साथ पोटेशियम और आयरन होता है जो अच्छी परिसंचरण सुनिश्चित करता है।
आयु: 1 वर्ष +
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मिश्रित सब्जी का सूप
जब आपका बच्चा सादे तरल भोजन की जगह थोड़ा सा गाढ़ा खाना पसंद करता हो , तो यह मिश्रित सब्जी का सूप उसके लिए उपयुक्त रहेगा। विभिन्न सब्जियों से संयुक्त एंटीऑक्सिडेंट्स और खनिजों के साथ भरा हुआ यह खाना ऊर्जा और फाइबर भी प्रदान करता है।
आयु: 10 महीने +
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ब्रोकोली मशरूम सूप
ब्रोकोली विटामिन , खनिज और फोलेट से भरी सब्जी है। यह कोलेजन भी प्रदान करता है जो उपचार में मदद करता है। मशरूम मूल्यवान विटामिन डी प्रदान करता हैं, जिसकी कमी कई बच्चों में होती है। चूंकि इन सब्जियों को छोटे बच्चों को खाने में मुश्किल हो सकती है, इसलिए इसका सूप इन लाभों को प्राप्त करने में उनकी सहायता करने का एक सही तरीका है।
आयु: 1 वर्ष +
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मसूर की दाल और मेथी सूप
मेथी एक उत्कृष्ट मसाला है जो पाचन को आसान बनाता है, बुखार को कम करता है और बार बार खांसने से होने वाली दर्द और पीड़ा को भी कम करता है । लाल मसूर के प्रोटीन और फाइबर के साथ मिल कर , यह सूप बीमार बच्चों पर चमत्कारीक रूप से असर कर सकता हैं।
आयु: 1 वर्ष +
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कद्दू और मसूर की दाल का सूप
यह सूप दो सामग्रियो की गुणवत्ता को मिलाता है। बीटा-कैरोटीन में समृद्ध कद्दू को प्रोटीन में समृद्ध लाल मसूर को जोड़ता है। प्रोटीन कोशिकाओं के पुनर्निर्माण में मदद करने के लिए महत्वपूर्ण है, और यह सूप बच्चों को प्रोटीन खिलाने का एक आसान तरीका है।
आयु: 1 वर्ष +
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पालक का क्रीमी सूप
पालक में आयरन की मात्रा काफी ज़्यादा होती है, जो स्वस्थ रक्त कोशिकाओं के लिए महत्वपूर्ण है। पालक में किसी अन्य सब्जी की तुलना में अधिकअमात्रा में विटामिन K होता है। जब यह मलाईदार तरीके से पेश किया जाये तो यह सूप उन बच्चों को भी अपनी और आकर्षित करता है जिनकी भूख कम हो गयी हो।
आयु: 1 वर्ष +
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टमाटर रसम
टमाटर विटामीन सी से भरपूर होता है और और टमाटर रसम में काली मिर्च का प्रयोग किया जाता है जिससे टमाटर रसम की शक्ति और बढ़ जाती है. दरअसल, काली मिर्च में फ्लैवोनोइड्स होता है और यह रोगों और विरोधी गुणों को दूर रखती है. इस रैसिपी में हल्दी और जीरा जैसे अन्य उपचार मसाले भी शामिल हैं.
आयु: 1 वर्ष +
22 .सेबसॉस रेसिपी
आसानी से पचाने योग्य होने के कारण, सेब मौसम की वजह से बिमार महसूस कर रहे बच्चों के लिए सबसे अच्छे भोजन में से एक हैं। सेब से बनी ये प्यूरी उन बच्चों के लिए अच्छी है जिन्होंने अभी ठोस पदार्थ खाना शुरू किया है और ज्यादा कुछ पचा नहीं सकते।
आयु: 6 महीने +
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अनार का रस
अनार बच्चों को सर्दी और खांसी से राहत पहुंचाने का काम करता है क्योंकि यह एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होता है. छोटे बच्चों के लिए अनार खाना मुश्किल होता है. जिस वजह से बच्चों को अनार का जूस पिलाना चाहिए. इस फल से बच्चों को आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त होते हैं.
आयु: 6 महीने +
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गाजर प्युरी
जो बच्चे फिलहाल एक साल से कम उम्र के हैं उनके लिए एक गाजर की प्यूरी पूरी तरह से पोषक और लाभदायक होती है. गाजर में विटामिन सी और एंटी- ऑक्सीडेंट होता है. इस प्यूरी से बच्चे की नाक खुल जाती है और बच्चे को सांस लेने में आसानी होती है.
आयु: 6 महीने +
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शकरकंद प्यूरी
शकरकंद एक ऐसी सब्जी है जो बीटा कैरोटीन से भरपूर होता है और इसमें बच्चों के अंदर विटामिन ए को बढ़ाने की क्षमता होती है. शकरकंद में स्पोरैमिन्स भी होता है जो ऑक्सिडेटिव सेल की क्षति को रोकता है और उपचार को बढ़ावा देता है.
आयु: 6 महीने +
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ब्रोकोली स्पिनेच (पालक) प्यूरी
बच्चों को पालक और ब्रोकली खिलाने का सबसे अच्छा तरीका उन्हें ये एक प्यूरी के रूप में देना है. इसमें एंटीऑक्सिडेंट के अलावा कई तरह के पोषक तत्व होते हैं. ये प्यूरी उन बच्चों के लिए काफी फायदेमंद होती है जो खांसी और ठंड से पीड़ित होते हैं. इस प्यूरी से उन्हें जल्दी स्वस्थ होने में सहायता मिलती है.
आयु: 8 महीने +
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मटर प्युरी
मटर में 70 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट मौजूद होता है जिससे बच्चों को अच्छी मात्रा में कैलरी मिलती है. कोई भी बीमारी होने पर ज्यादातर बच्चे अच्छे से खाना नहीं खाते हैं जिससे उनका वजन घट जाता है और स्वास्थ्य भी ठीक नहीं होता. इस हरी मटर की प्यूरी से उन्हें ताकत हासिल होती है और उनका वजन भी बढ़ता है.
आयु: 6 महीने +
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केरल के कच्चे केले की खिचड़ी
कई माता पिता अपने बच्चों को खांसी और सर्दी लगने के वक्त केला देने से डरते हैं लेकिन केरल के कच्चे केले इस स्थिति में बच्चों के लिए बिलकुल सुरक्षित होते हैं. कच्चे केले से बनाई गई खिचड़ी आसानी से पच जाती है और इससे बच्चों की डायट में कैलरी की मात्रा भी बढ़ती है। यदि आपके पास इस पाउडर को तैयार करने का समय नहीं है, तो आप कच्चे केले का पाउडर यहाँ से ऑर्डर कर अपने घर पर इसे प्राप्त कर सकते है.
आयु: 6 महीने +
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बाजरे का दलीया पाउडर
बाजरे का दलीया पाउडर बच्चों के लिए एक उतकृष्ट ग्लूटन मुक्त ओप्शन है. इसमें लगभग 14 प्रतिशत प्रोटीन होता है और ये फोलिक एसिड से भरपूर होता है. इस वजह से पर्ल मिलेट या बाजरा बच्चों के पेट के लिए आसानी से हजम हो जाने वाला व्यंजन है.
आयु: 8 महीने +
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चुकुंदर और बाजरे का दलीया
एक बार जब आपका बच्चा स्टेज 2 वाले खाद्य पदार्थों को खाने लायक हो जाता है तो यह चुकुंदर और बाजरे का दलिया खिलाने का एक और तरीका है. चुकुंदर के एंटीऑक्सिडेंट और बाजरे के प्रोटीन को मिला कर बनाया गया यह दलीया महत्वपूर्ण पोषक तत्व प्रदान करने के साथ बच्चे के स्वास्थ्य को भी बेहतर करता है.
आयु: 8 महीने +
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इलायची गेहूं दलिया की खिचड़ी
इलायची एक ऐसा मसाला है जिसके कई सारे ओषधिय लाभ होते हैं. इसमें एंटीऑक्सीडेंट, जीवाणुरोधी और मूत्रवर्धक गुण होते हैं और शुष्क खांसी और नाक की समस्या से निजात दिलाने में भी सहायक होती है. क्योंकि यह खिचड़ी आसानी से और जल्दी बन जाती है. इसलिए यह माताओं के लिए वरदान है जिनके बच्चों के बीमार होने के कारण उनके पास खाना बनाने का वक्त नहीं है. यदि आपके पास इस पाउडर को तैयार करने का समय नहीं है, तो आप इंस्टेंट इलाइची गेहूं दलिया पाउडर यहाँ से ऑर्डर कर अपने घर पर इसे प्राप्त कर सकते है.
आयु: 6 महीने +
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मूंग दाल और चावल की खिचड़ी
भारत में खिचड़ी बीमारी के वक्त खाया जाने वाले काफी मशहूर पदार्थ है. ये मूंग दाल और चावल की खिचड़ी बच्चों के लिए काफी अच्छी है और आसानी से बच्चों को पच भी जाती है. वहीं इससे बच्चों को प्रोटीन और पोषक तत्व भी प्राप्त होते हैं.
आयु: 6 महीने +
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सेब की खिचड़ी
अगर आपके बच्चे ने पहले भी सेब खाया है और सेब का टेस्ट उसे पसंद आया है तो उसके लिए ये सेब से बनी खिचड़ी बेहद फायदेमंद है और सर्दी-जुखाम में सेब की खिचड़ी से आपके बच्चे का स्वास्थ्य जल्दी ठीक होगा. बता दें, सेब और चावल दोनों ही आसानी से हजम हो जाते हैं. यह बच्चों का पेट भरा रखने का आसान और अच्छा तरीका है.
आयु: 6 महीने +
साबुदाना में कैलोरी की अच्छी मात्रा होती है और यह आसानी से पच जाता है. इस वजह से यह एक अच्छा तरीका है अपने बच्चों के वजन को उम्र के मुताबिक सामान्य रखने का उस स्थिति में भी जब उनकी तबियत ठीक नहीं है. इस साबुदाना खिचड़ी में आप सब्जियों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं ताकि बच्चों को यह स्वादिष्ट लगे और उनका पेट भरा रहे.
आयु: 9 महीने +
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सब्जियों से भरपूर दलिया खिचड़ी
इस खिचड़ी में अनाज, दाल और सब्जियां होती हैं जो इसे एक संतुलित आहार बनाती हैं. इस खिचड़ी को बनाते वक्त इसमें हल्दी जैसे मसालों को डालने से सर्दी और जुखाम से परेशान बच्चों का स्वास्थ्य ठीक होता है. इसे बनाने के लिए इसमें उबला हुआ पानी डालें.
आयु: 10 महीने +
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पोंगल
पोंगल, खिचड़ी का एक अलग रूप है लेकिन ये काफी हद्द तक खिचड़ी जैसा ही होता है. इसमें अदरक होती है जो कई सारे ओषधिय गुणों से भरपूर होती है. इस रेसिपी में जीरे का भी इस्तेमाल किया जाता है जिससे पाचन बेहतर होता है और उपचार को भी बढ़ावा मिलता है.
आयु: 6 महीने +
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कांजी/ चावल दलिया
कांजी या चावल का दलिया बीमारी के दौरान खाया जाने वाला मशहूर खाद्य पदार्थ है और इसका इस्तेमाल काफी वक्त से लोगों द्वारा बीमारी के दिनों में किया जाता है. इस रेसिपी को बनाने के लिए चावलों को थोड़ा ज्यादा पका लें जिससे इसका स्टार्च से भरपूर पानी बना रहता है. इससे बीमार बच्चों के आवश्यक तरल पदार्थ मिल जाते हैं और कार्बोहाइड्रेट से उन्हें ताकत और कैलरी मिल जाती है.
आयु: 8 महीने +
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घी चावल
आयुर्वेद की दुनिया में घी एक बेहद मशहूर पदार्थ है और माना जाता है कि घी खाने से इंसान का शरीर अंदर से गर्म रहता है. घी की मदद से शरीर में जम कफ भी आसानी से बाहर निकल जाता है और इससे शरीर को कैलरी भी प्राप्त होती हैं. इसके लिए आपको केवल घी वाले चावल बनाने की आवश्यकता है.
आयु: 6 महीने +
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इडली
स्टीम और फेरमेंटशन से बनने वाली इडली को व्यक्ति आसानी से पचा पाते हैं और इसका सामान्य स्वाद के कारण बच्चे इसे आसानी से खा पाते हैं. साथ ही बीमारी के कारण ज्यादा तेज सुंगध को बर्दाश्त न कर पाने वाले बच्चों के लिए प्लेन इडली अच्छा विकल्प है. आप इसे प्लेन दाल या घी के साथ बच्चों को खिला सकते हैं.
आयु: 8 महीने +
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बेसन हलवा
बेसन में कई सारे पोषक तत्व होता है, जिनमें से एक है प्रोटीन. इतना ही नहीं इसमें विटामिन थिआमिन भी होता जो इस भोजन को ताकत में परिवर्तित कर देता है. इसमें विटामिन बी 6 की भी अधिक मात्रा होती जो इंसान के मूड और भूख को बढ़ा देता है.
आयु: 10 महीने +
ये सभी खाने सामान्य सर्दी जुखाम के लिए हैं. कृपया इसे किसी भी तरह की ओषधिय सलाह के तौर पर न लें. अगर आपके बच्चे की खांसी अलग तरह की प्रतीत होती है और आपको आपके बच्चे में पानी की कमी महसूस होती है तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं. वहीं अगर आपका बच्चा किसी भी तरह की दवाई ले रहा है तो उसे कुछ भी देने से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह ले लें. बच्चे के बीमार होने पर उसे किसी भी तरह का नया खाना देने से बचें. बच्चे को वहीं दें जो उसने पहले भी खाया हो ताकि उसे किसी तरह की एलर्जी होने का डर न रहे.
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